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मंजूरी से पहले लेबर कोड की आपत्तियां दूर करे सरकारः बीएमएस

भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कहा है कि सरकार को लेबर कोड के कुछ प्रावधानों पर गंभीर आपत्तियों के बारे...
मंजूरी से पहले लेबर कोड की आपत्तियां दूर करे सरकारः बीएमएस

भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कहा है कि सरकार को लेबर कोड के कुछ प्रावधानों पर गंभीर आपत्तियों के बारे में तुरंत विचार करना चाहिए और उन्हें शामिल करना चाहिए। उसने सरकार को इन आपत्तियों से अवगत कराया है। बीएमएस के अध्यक्ष साजी नरायण सीके ने कहा है कि मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल या संसद में भेजने से पहले लेबर कोड में आवश्यक बदलाव किया जाना चाहिए।

श्रमिकों के अधिकारों में कटौती मंजूर नहीं

बीएमएस ने विवादास्पद इंडस्ट्रियन रिलेशंस कोड को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उसका मानना है कि श्रम संगठनों के पदाधिकारियों के लिए पात्रता सरकार द्वारा तय किए जाने, हड़ताल करने का अधिकार सीमित करने, कर्मचारियों को एकतरफा तौर पर निकालने, एप्रेंटिस श्रमिकों को अलग करने जैसे प्रावधानों से श्रमिकों के अधिकारों में कटौती हुई है। बीएमएस ने इसके ड्राफ्ट में पूरी तरह बदलाव की मांग की है।

कर्मचारियों की कार्यदशा संबंधी प्रावधान भी ठीक नहीं

चौथे कानून में कामकाज के दौरान सुरक्षा, स्वास्थ्य और कर्मचारियों की कार्यदशाओं संबंधी लेबर कोड पर भी बीएमएस को आपत्तियां है। उसका कहना है कि अनुबंधित श्रमिक कानून, फैक्ट्री कानून, पत्रकार कानून और परिवहन कर्मचारी कानून आदि के बड़े मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया है। औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा संबंधी कानूनों को भी हल्का कर दिया गया है। सेफ्टी बोर्ड में श्रम संगठनों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने का भी प्रावधान नहीं है।

वेतन संबंधी लेबर कोड से बीएमएस संतुष्ट

बीएमएस ने चार लेबर कोडों में से वेतन और सामाजिक सुरक्षा संबंधी लेबर कोड की सराहना की है और उन्हें ऐतिहासिक और क्रांतिकारी बताया है। इससे आखिरी मजदूर तक इनका लाभ पहुंचाया जा सकेगा। इस समय सिर्फ सात फीसदी श्रमिकों को ही न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा के लाभ मिलते हैं। वेतन संबंधी लेबर कोड को परामर्श के बाद संसद में भेजा गया लेकिन वहां यह श्रम संब॒धी स्थायी संसदीय समिति में अटक गया है। श्रम संगठनों के साथ विचार विमर्श के बाद समिति ने इसे मंजूरी दे दी। बीएमएस चाहती है कि इसे संसद से यथाशीघ्र इसे मंजूरी मिल जाए। सामाजिक सुरक्षा संबंधी लेबर कोड के ड्राफ्ट में कई आपत्तियां हैं। स्कीमों के दोहराव, निजी फंडों की भागीदारी जैसे मसलों पर श्रम संगठनों को आपत्तियां रहीं। बीएमएस के प्रमुख साजी नरायण ने सरकार से मांग की है कि श्रम संगठनों के साथ तत्काल परामर्श किया जाए ताकि श्रम कानून सुधारों की दिशा में तालमेल की भावना से आगे बढ़ा जा सक।

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