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भाटलापेनुमरु : वह गांव जहां राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के डिजाइनर पिंगली वेंकय्या का जन्म हुआ, लोग कर रहे याद

भारतीय स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पूरा देश जश्न मना रहा है। इस मौके पर देश के नागरिक उन अमर...
भाटलापेनुमरु : वह गांव जहां राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के डिजाइनर पिंगली वेंकय्या का जन्म हुआ, लोग कर रहे याद

भारतीय स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पूरा देश जश्न मना रहा है। इस मौके पर देश के नागरिक उन अमर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं, जिन्होंने इस देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। ऐसे ही महान स्वतंत्रता सेनानी और गांधीवादी पिंगली वेंकय्या को याद करते हुए पूरे देश में तिरंग महोत्सव मनाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सभी बड़े नेताओं, कलाकारों और नागरिकों ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर में राष्ट्र ध्वज तिरंगा लगाया हुआ है। 

 

2 अगस्त 1876 को, पिंगली वेंकय्या का जन्म वर्तमान भारत के आंध्र प्रदेश के भाटलापेनुमरु में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। भारतीय राष्ट्र ध्वज तिरंगा का डिजाइन पिंगली वेंकय्या ने ही तैयार किया था। इस नाते पिंगली वेंकय्या भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।लेकिन अफसोस की बात है स्कूल की किताबों में हमें पिंगली वेंकय्या के विषय में अधिक जानने को नहीं मिलता। न ही उनकी जन्मभूमि भाटलापेनुमरु का कहीं कोई विशेष उल्लेख मिलता है। 

 

भाटलापेनुमरु के ग्रामीणों ने अभी कुछ वर्ष पहले अपने संगठित प्रयासों से एक दो मंजिला इमारत का निर्माण किया, जिसे पिंगली वेंकय्या की स्मारक की तरह देखा जाता है। गांव के मध्य में महात्मा गांधी के संग लगा पिंगली वेंकय्या की मूर्ति गांव में आने वाले आगंतुकों का स्वागत करती है। पिंगली वेंकय्या गांधीजी से बेहद प्रभावित थे। दोनों के संबंध बहुत मधुर थे। राष्ट्रीय ध्वज के लिए वेंकय्या के डिजाइन पर 1921 में विजयवाड़ा में कांग्रेस की बैठक में महात्मा गांधी द्वारा ही अंतिम मुहर लगाई थी। 

 

भाटलापेनुमरु में अब पिंगली वेंकय्या के परिवार से कोई नहीं रहता है। सब इधर उधर जा चुके हैं। गांव वाले भी अपने जीवन में मसरूफ रहते हैं और कुछ खास दिनों में अपने नायक को याद करते हैं। 2 अगस्त को 

पिंगली वेंकय्या की 146 वीं जयंती के अवसर भाटलापेनुमरु के निवासियों ने भव्य आयोजन करते हुए अपने नायक, अपनी धरोहर को याद किया। इस मौके पर 300 फीट के तिरंगे के साथ यात्रा निकाली गई और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

 

भाटलापेनुमरु के स्थानीय निवासी कोटेश्वर राव के अनुसार कुछ वर्ष पूर्व विजयवाड़ा से सांसद लगड़ापति राजगोपाल ने एक तिरंगा दौड़ का आयोजन कराया था। इसके अलावा बीते कई वर्षों में स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय धरोहर पिंगली वेंकय्या की स्मृति में कुछ नहीं किया गया है। भाटलापेनुमरु से कुछ ही दूरी पर कुचिपुड़ी गांव स्थित है, जो शास्त्रीय नृत्य विधा के कारण प्रसिद्ध हो गया है। नहीं तो इसके हिस्से में भी भाटलापेनुमरु की तरह ही गुमनामी होती। 

 

 

 

भाटलापेनुमरु के नागरिकों को यह देखकर गर्व की अनुभूति होती है कि आज आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर देशभर में "आजादी का अमृत महोत्सव" और "हर घर तिरंगा" मुहिम चलाई जा रही है। भाटलापेनुमरु के नागरिक पी के प्रसाद कहते हैं कि उन्हें यह सोचकर गर्व महसूस होता है कि उनके पूर्वज ने राष्ट्र निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। 

 

 

31 जुलाई को केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने भाटलापेनुमरु पहुंचकर पिंगली वेंकय्या को यह याद किया और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। ऐसे करने वाले वह आजद भारत के इतिहास के पहले केंद्रीय मंत्री हैं। किशन रेड्डी ने स्थानीय प्रशासन को पिंगली वेंकय्या के सम्मान में विशाल ध्वज फहराने के निर्देश दिए। इसके साथ ही किशन रेड्डी ने वादा किया कि वह पिंगली वेंकय्या के भव्य स्मारक का निर्माण सुनिश्चित करवाएंगे। 

 

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