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प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और यूपी सरकार को लगाई फटकार, कहा- आप ड्यूटी निभाने में रहे नाकाम

दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को...
प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और यूपी सरकार को लगाई फटकार, कहा- आप ड्यूटी निभाने में रहे नाकाम

दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भी सख्त रुख अपनाया। शीर्ष अदालत ने पराली मामले पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही यह सुनिश्चित करें कि पराली ना जलाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में नाकाम रही है। कोर्ट ने पूछा कि सरकार किसानों से पराली खरीद क्यों नहीं सकती? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिए कि छोटे और मझोले किसान जिन्होंने पराली नहीं जलाई है, उन्हें 100 रुपए प्रति क्विंटल की सहायता राशि दी जाए ताकि वह इससे निपट सकें। कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि अगर सरकारों को लोगों की परवाह नहीं है तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।

'आप कल्याणकारी राज्य की अवधारणा भूल गए हैं'

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की विशेष पीठ प्रदूषण पर लंबित अन्य मामलों की सुनवाई की। इस मौके पर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को तलब किया गया था। सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि अगर कोई भी नियम व निर्देशों का उल्लंघन करता पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को अपनी ड्यूटी नहीं निभाने पर कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने पंजाब सरकार से कहा, 'आप अपनी ड्यूटी पूरी करने में बुरी तरह से फेल हुए हैं।' जस्टिस मिश्रा ने आदेश देते हुए कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि अब कोई पराली न जले। बेंच ने कहा, 'आप (राज्य) कल्याणकारी सरकार की अवधारणा भूल गए हैं। आप गरीब लोगों के बारे में चिंतित ही नहीं हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।'

अधिकारियों और सरकारों के बीच ताल-मेल नहीं

जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि हर किसी को पता है कि इस साल भी पराली जलाई जा रही है। आखिर सरकार ने इस संबंध में पहले से तैयारी क्यों नहीं की और क्यों मशीनें पहले मुहैया नहीं कराई गई? उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पूरे साल में कोई भी कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि लगता है अधिकारियों और राज्य सरकारों के बीच कोई तालमेल नहीं है। उन्होंने पंजाब के मुख्य सचिव से पूछा कि क्या आपके पास फंड है? अगर आपके पास नहीं है तो प्लीज बताइए। हम आपको पराली के मुद्दे से निपटने के लिए फंड मुहैया कराएंगे।

वायु प्रदूषण कानून की लगातार अनदेखी का नतीजा: एनजीटी

वहीं राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने कहा कि हवा की गुणवत्ता केवल एक दिन में ही खराब नहीं हुई है। यह कानून को लागू करने में लगातार अनदेखी का नतीजा है। इसके साथ ही एनजीटी ने कचरा जलाने पर अंकुश लगाने के लिए प्राधिकरणों को ड्रोन का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है।

एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने वायु प्रदूषण पर मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए मंगलवार को सुनवाई की। पीठ ने दिल्ली में कचरा जलाने की घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा, कानून के कार्यान्वयन में क्या कमी है? लोग खुले में कूड़ा जला रहे हैं, हमने अपनी आंखों से देखा है। इस समस्या का स्थायी समाधान ढूंढना होगा। प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर इसे रोका जा सकता है। कूड़ा जलने से रोकने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है। ड्रोन की मदद से आसानी से उन जगहों का पता लगाया जा सकेगा, जहां खुले में कचरा जलाया जाता है।

पीएम मोदी ने की प्रदूषण के हालात की समीक्षा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली और एनसीआर में वायु की गुणवत्ता गंभीर और बेहद खराब स्थिति में पहुंचने पर समीक्षा की। उन्होंने मंगलवार को इस बाबत एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए उत्तर भारत में प्रदूषण के हालात पर चर्चा की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक ट्वीट के जरिये इसकी जानकारी दी। बैठक में प्रधानमंत्री ने पश्चिम भारत में चक्रवात से उत्पन्न हालात की भी समीक्षा की। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से बिगड़े हालात के बाद प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के शीर्ष अधिकारियों के साथ रविवार और सोमवार को लगातार समीक्षा बैठकें कीं।

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