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डॉक्टरों ने ममता बनर्जी से बिना शर्त माफी मांगने को कहा, विरोध वापस लेने के लिए रखीं 6 शर्तें

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल का मुद्दा अब राष्ट्रीय बन गया है क्योंकि कई राज्यों के डॉक्टरों...
डॉक्टरों ने ममता बनर्जी से बिना शर्त माफी मांगने को कहा, विरोध वापस लेने के लिए रखीं 6 शर्तें

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल का मुद्दा अब राष्ट्रीय बन गया है क्योंकि कई राज्यों के डॉक्टरों ने बंगाल के डॉक्टरों का समर्थन किया है। अब तक 100 से अधिक डॉक्टरों ने अपना इस्तीफा दे दिया है। इस बीच पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की है। साथ ही डॉक्टरों ने राज्य सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य सेवा बाधित करने वाली उनकी चार दिन की हड़ताल को वापस लेने के लिए छह शर्तें निर्धारित की हैं।

जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त फोरम के प्रवक्ता डॉ अरिंदम दत्ता ने कहा, "मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कल एसएसकेएम अस्पताल में हमें जिस तरह से संबोधित किया था, उसके लिए उन्हें बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।" गुरुवार को एसएसकेएम अस्पताल का दौरा करते हुए, बनर्जी ने तर्क दिया कि "बाहरी लोगों" ने गड़बड़ी पैदा करने के लिए मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश किया था और आंदोलन माकपा और भाजपा द्वारा एक साजिश थी।

क्या हैं शर्तें

-छह शर्तों को सूचीबद्ध करते हुए आंदोलनकारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री को अस्पताल में घायल डॉक्टरों का निरीक्षण करना होगा और उनके कार्यालय को उन पर हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी करना चाहिए।

 

-उन्होंने कहा, "हम मुख्यमंत्री का तत्काल हस्तक्षेप भी चाहते हैं। सोमवार रात को निल रतन सिरकर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टरों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ न्यायिक जांच के दस्तावेजी सबूत भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए।"

 

-दत्ता ने कहा, "हम उन लोगों के खिलाफ दस्तावेजी सबूत और कार्रवाई का ब्योरा मांगते हैं, जिन्होंने हम पर हमला किया था।"

 

- उन्होंने सभी "झूठे मामलों और आरोपों" को बिना शर्त वापस लेने की मांग की, जो उनकी हड़ताल के मद्देनजर पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों पर लगाए गए थे।

 

- उन्होंने सभी स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ सशस्त्र पुलिस कर्मियों की पोस्टिंग में बुनियादी ढांचे में सुधार की अपनी मांग पर भी जोर दिया।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने ममता को लिखी चिट्ठी

प्रदेश डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने सीएम ममता से डॉक्टरों की हड़ताल के मौजूदा गतिरोध को व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप कर सुलझाने को कहा है।

कई राज्यों के डॉक्टर आए समर्थन में 

राजधानी दिल्ली स्थित एम्स और कई अन्य अहम संस्थाओं के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों की हड़ताल के समर्थन में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने अखिल भारतीय विरोध दिवस घोषित किया है। दिल्ली मेडिकल असोसिएशन के अलावा पटना और रायपुर एम्स के डॉक्टर भी हड़ताल को समर्थन दे रहे हैं। वहीं, वाराणसी के बीएचयू में भी डॉक्टर हड़ताल पर हैं। पश्चिम बंगाल में डॉक्टर पूरी तरह से एकजुट होते नजर आ रहे हैं। डॉक्टरों की इस हड़ताल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने ही परिवार के सदस्यों और उनके सबसे करीबी मंत्री सहयोगी और सहकर्मी की बेटी की आलोचना झेलनी पड़ रही है। इस हड़ताल में दो युवा डॉक्टर- आबेश बनर्जी, जो मुख्यमंत्री के भतीजे हैं और कोलकाता के मेयर और राज्य की मंत्री फिरहाद हकीम की बेटी शब्बा हकीम भी शामिल हो गई हैं, जिन्होंने ममता बनर्जी की कड़ी आलोचना की है। इस पूरे मामले को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने ममता बनर्जी से "इसे एक प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाने" की अपील करते हुए उनसे "अल्टीमेटम" वापस लेने का आग्रह किया है। 

हाईकोर्ट का दखल

राज्य में डॉक्टरों की हड़ताल पर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिन का समय दिया। कोर्ट ने राज्य से पूछा कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य को इस पर विराम लगाना होगा और इसका हल ढूंढना होगा।

डॉक्टरों की हड़ताल में शामिल हुए ममता के भतीजे

जहां इस हड़ताल का समर्थन करने वाली डॉक्टर शब्बा हकीम ने कहा कि वह इस मामले में सरकार के रूख से शर्मिंदा हैं। तो वहीं, ममता बनर्जी के भाई कार्तिक के बेटे आबेश बनर्जी ने डॉक्टरों की मार्च में शामिल होकर राज्य सरकार को बैकफुट पर ला दिया है। शब्बा हकीम ने एक फेसबुक पोस्ट लिखकर अपने पिता की सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इस मामले में राज्य सरकार की ओर से कदम नहीं उठाए जाने की आलोचना की। बता दें कि ममता के भतीजे आबेश केपीसी मेडिकल कॉलेज के छात्र हैं जबकि शब्बा ने वहीं से एमबीबीएस किया है।

'हमारे पास अपने कार्यस्थल पर सुरक्षा हासिल करने का अधिकार है'

फेसबुक पोस्ट में शब्बा ने लिखा कि एक तृणमूल समर्थक होने के नाते वह अपने नेताओं की चुप्पी को लेकर शर्मिंदा हैं। उन्होंने आगे लिखा है कि उन्हें शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का अधिकार है। हमारे पास अपने कार्यस्थल पर सुरक्षा हासिल करने का अधिकार है।

इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं ममता: हर्षवर्धन

इस पूरे मामले को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से एक ट्वीट में "इसे एक प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाने" की अपील करते हुए उनसे "अल्टीमेटम" वापस लेने का आग्रह किया है। 

ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को वो धमका रही हैं। उन्हें हड़ताल खत्म करने के लिए कदम उठाना चाहिए।  हर्षवर्धन ने सभी हड़ताली डॉक्टरों से धैर्य और गम्भीरता बनाए रखने की अपील की। उन्होंने अपील की कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री इस मुद्दे को प्रतिष्ठा का विषय न बनाएं। ममता बनर्जी की इस हड़ताल को खत्म करने में अहम भूमिका होनी चाहिए। मुझे लगता है कि बहन ममता बनर्जी मेरी अपील सुनेंगी।

 

बंगाल में अब तक 18 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा

पश्चिम बंगाल के अलावा इन शहरों में सड़को पर उतर आए डॉक्टर्स

दरअसल, कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में दो जूनियर डॉक्टरों पर हमला होने के बाद पश्चिम बंगाल के जूनियर डॉक्टर मंगलवार से हड़ताल पर हैं। आज उनकी हड़ता का चौथा दिन है। अब बंगाल के डॉक्टरों के समयर्थन में देशभर से कई डॉक्टर सड़कों पर उतर आए हैं। न सिर्फ दिल्ली में ही बल्कि यूपी, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के अलावा पंजाब, केरल, राजस्थान, और बिहार में डॉक्टरों ने काम करने से इनकार कर दिया है और वह अब सड़कों पर उतरकर हाथ में 'वी वॉन्ट जस्टिस' का पोस्टर लिए नजर आ रहे हैं। गुरुवार को ममता बनर्जी ने हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों को चार घंटे में काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया था लेकिन अब उनका भी अल्टीमेटम फेल होता दिख रहा है। इस तरह डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से ओपीडी के अलावा आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। 

आइएम से जुड़े एक डॉक्टर ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि आज एम्स, सफदरजंग के अलावा निजी क्लिनिक-नर्सिंग होम भी बंद रहेंगे। एम्स (AIIMS) में नए मरीजों का इलाज नहीं होगा, जबकि सफदरजंग में केवल इमर्जेंसी चलेगी। पश्चिम बंगाल में एनआरसी  मेडिकल कॉलेज और अस्पताल द्वारा उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज, सिलीगुड़ी में डॉक्टरों ने प्रोटेस्ट का आयोजन किया।

दिल्ली के एम्स में 

वहीं, हैदराबाद में भी निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर विरोध मार्च निकाला।

दिल्ली के सफदरजंग में सड़कों पर उतरे डॉक्टर्स

 

पश्चिम बंगाल में हड़ताल का चौथा दिन

 

पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का आज चौथा दिन है। हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने गुरुवार दोपहर दो बजे तक काम पर लौटने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अल्टिमेटम को नहीं माना। डॉक्टरों का कहना है मुख्यमंत्री ने जो कहा उन्हें उसकी उम्मीद नहीं थी और सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा संबंधी मांग पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी।

 

वहीं, मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनकारियों पर बरसते हुए विपक्षी बीजेपी और सीपीएम पर उन्हें भड़काने और मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया। डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से कई सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में तीसरे दिन भी आपातकालीन वॉर्ड, ओपीडी सेवाएं, पैथलॉजिकल इकाइयां बंद रहीं।

पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ चुकी हैं

दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने राष्ट्रीय राजधानी में स्थित निजी और सरकारी अस्पताल, क्लिनिक व नर्सिंग होम को पत्र लिखकर देशव्यापी मेडिकल बंद को समर्थन करने की अपील की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष और दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सचिव डॉ. गिरीश त्यागी का कहना है कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ चुकी हैं। एक डॉक्टर कम संसाधनों के साथ 15 से 16 घंटे अस्पताल में बैठ 300 से 500 मरीजों तक का उपचार करता है, लेकिन डॉक्टर को मारपीट का शिकार होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कोलकाता मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों पर हुआ हमला चिकित्सीय क्षेत्र के लिए चिंताजनक है।

महाराष्ट्र में सड़कों पर डॉक्टर्स

न्याय दिलाने की जगह डॉक्टरों को कानून का हवाला देकर धमका रहीं हैं ममता

वहीं, एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ. अमरिंदर सिंह ने बताया कि पश्चिम बंगाल में डॉक्टर हड़ताल पर हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डॉक्टरों को न्याय दिलाने की जगह उन्हें कानून का हवाला देकर धमका रहीं हैं। देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा का सवाल उठ खड़ा हुआ है। आए दिन अस्पतालों पर हमले, डॉक्टरों से मारपीट जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। इसीलिए एम्स आरडीए ने फैसला लिया है कि शुक्रवार को दिनभर ओपीडी और आपातकालीन सेवाओं में तैनात रेजीडेंट डॉक्टर पश्चिम बंगाल में चिकित्सीय हड़ताल का समर्थन करेंगे।

केरल में भी 

डॉक्टरों के तमाम राष्ट्रीय संगठनों ने हड़ताल का फैसला लिया

साथ ही, एम्स परिसर में ही धरना प्रदर्शन करते हुए सरकार से डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सख्ती से कानून लगाने की अपील भी करेंगे। इनके अलावा फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जूनियर डॉक्टर, यूआरडीए सहित डॉक्टरों के तमाम राष्ट्रीय संगठनों ने हड़ताल का फैसला लिया है।

डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सभी राज्यों से करेंगे चर्चा: डॉ. हर्षवर्धन

पश्चिम बंगाल के एनआरएस अस्पताल में दो डॉक्टर पर हमले की केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा अहम मुद्दा है। इसे लेकर वे जल्द ही सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चर्चा करेंगे। हर राज्य में डॉक्टरों को बेहतर माहौल और सुरक्षा मिलेगी, तभी जनता स्वस्थ रह सकती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डॉक्टर समाज के मजबूत स्तंभ हैं।

हर्षवर्धन ने डॉक्टरों से अपील की है कि हड़ताल के दौरान आपातकालीन सेवाओं को प्रभावित नहीं किया जाए। अपने अधिकारों के लिए कोई भी आवाज उठा सकता है, लेकिन उससे समाज या जनता को नुकसान नहीं होना चाहिए। पश्चिम बंगाल जैसी घटनाएं दोबारा न हो इसके लिए जल्द ही सभी राज्यों के साथ बातचीत की जाएगी।

अगर आप बंगाल में हैं तो आपको बंगाली बोलनी होगी: ममता बनर्जी

इस बीच पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा, 'हमें बांग्ला को आगे लेकर जाना है। जब मैं बिहार, यूपी या पंजाब जाती हूं, तो मैं उनकी भाषा में बात करती हूं। अगर आप बंगाल में हैं तो आपको बांग्ला बोलना ही होगा। मैं उन अपराधियों को बर्दाश्त नहीं करूंगी जो बंगाल में रहते हैं और बाइक पर घूमते हैं।'

 

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