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भारत पहुंचा पांच राफेल लड़ाकू विमान का पहला जत्था, वायुसेना प्रमुख ने अंबाला एयरबेस पर की अगवानी

फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान आज अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पहुंच चुका हैं। एयर चीफ मार्शल आर के एस...
भारत पहुंचा पांच राफेल लड़ाकू विमान का पहला जत्था, वायुसेना प्रमुख ने अंबाला एयरबेस पर की अगवानी

फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान आज अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पहुंच चुका हैं। एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पांच राफेल लड़ाकू विमानों की अगवानी की। इस मौके पर एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोआ भी मौजूद रहें। वायुसेना प्रमुख आर.के.एस. भदौरिया रणनीतिक और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला एयरबेस पर बुधवार दोपहर बाद पहुंचे पांच राफेल विमानों को प्राप्त कर उन्हें भारतीय वायुसेना में शामिल किया।

राफेल के भारत आने पर अंबाला वायुसेना केंद्र के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई और निषेधाज्ञा लागू की गई है। वहां वीडयोग्राफी और फोटो खींचने पर रोक लगा दी गई। एक अधिकारी ने बताया कि अंबाला जिला प्रशासन ने वायुसेना केंद्र के तीन किलोमीटर के दायरे में लोगों के ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

राफेल विमान भारत द्वारा पिछले दो दशक से अधिक समय में लड़ाकू विमानों की पहली बड़ी खरीद है। इन विमानों के आने से भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। भारत ने 23 सितंबर 2016 को फ्रांसीसी एरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपए का सौदा किया था। छह राफेल प्रशिक्षु विमानों की पूंछ पर आरबी श्रृंखला की संख्या अंकित होगी।

आसपास के गांवों में धारा 144 लागू

उपायुक्त अशोक शर्मा ने एक आदेश में कहा कि धुलकोट, बलदेव नगर, गरनाला और पंजखोड़ा समेत वायुसेना के आसपास के गांवों में धारा 144 लगा दी गई है जिसके तहत चार या अधिक लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध है। जो पांच विमान आ रहे हैं उनमें तीन एक सीट वाले और दो दो सीटर हैं।

अंबाला के उपायुक्त ने कहा कि निषेधाज्ञा लागू रहने के दौरान वायुसेना केंद्र की चहारदीवारी और आसपास के इलाके का वीडियो बनाने और तस्वीरें लेना प्रतिबंधित है। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि अंबाला पुलिस ने आवश्यक कदम उठाए हैं। अंबाला शहर के भाजपा विधायक असीम गोयल ने राफेल विमानों के स्वागत के लिए लोगों को बुधवार को अपने घरों में शाम सात-साढ़े सात बजे के बीच मोमबत्ती जलाने को कहा है।

भारतीय पायलटों को मिली ट्रेनिंग

राफेल को उड़ाने के लिए भारतीय वायुसेना के पायलट्स को फ्रांस के मोंट डे मार्सन हवाई अड्डे पर ट्रेनिंग दी गई। यहीं मिराज 2000 की ट्रेनिंग भी हुई थी। पायलट्स के अलावा इंजीनियरों और टेक्नीशियंस को भी ट्रेनिंग दी गई है।

आरबी एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया के नाम के पहले और अंतिम शब्द का संक्षिप्त रूप होगा। उन्होंने इस सौदे में मुख्य वार्ताकार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पांच विमानों का पहली खेप सोमवार को फ्रांसीसी बंदरगाह शहर बोरदु में मेरिग्नैक एयरबेस से रवाना हुई। ये विमान लगभग 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद बुधवार दोपहर को अंबाला पहुंचेंगे। अधिकारियों ने बताया कि इन विमानों में तीन एक सीट वाले और दो विमान दो सीट वाले होंगे। इन विमानों को बुधवार दोपहर में भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन नम्बर 17 में शामिल किया जाएगा, जिसे 'गोल्डन एरोज' के नाम से भी जाना जाता है।

हालांकि, इन विमानों को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए मध्य अगस्त के आसपास समारोह आयोजित किया जाएगा जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और देश के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है। फ्रांस से अंबाला तक अपनी लंबी उड़ान के बीच ये पांचों विमान करीब सात घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने के बाद संयुक्त अरब अमीरात में अल दफरा एयरबेस पर उतरे थे।  

पाकिस्तान के पास क्या

पाकिस्तान के पास अमरीका से मिले एफ-16 विमान और चीन से मिले 135 जेएफ-17 लड़ाकू विमान हैं। ये भी मल्टीरोल हैं।

चर्चा में हिलाल अहमद राठेर का नाम

राफेल लड़ाकू विमान के देश की धरती पर उतरने के बीच जो एक नाम चर्चा में बना हुआ है वो है कश्मीर के निवासी हिलाल अहमद राठेर का। इन पर कश्मीर ही नहीं बल्कि पूरा देश गर्व कर रहा है।

अहमद राठेर भारतीय सेना के वो पायलट है जिन्होंने सबसे पहले राफेल पर उड़ान भरी है। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के रहने वाले हिलाल ने ही सोमवार को राफेल की पहली खेप को फ्रांस से भारत के लिए विदा किया था। दरअसल वह फ्रांस में भारत के एयर अटैच के पद पर तैनात हैं। उन्होंने न केवल राफेल की वक्त पर डिलीवरी सुनिश्चित की बल्कि इसमें भारत की जरूरतों के मुताबिक किन-किन हथियारों को लगाया जाए, यह तय करने में भी अहम भूमिका निभाई।

मध्यवर्गीय परिवार में हुआ जन्म

हिलाल का जन्म मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता मरहूम मोहम्मद अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर पुलिस डिपार्टमेंट से बतौर डेप्युटी एसपी रिटायर हुए थे। हिलाल अहमद राठेर ने जम्मू जिले के नगरोता टाउन स्थित सैनिक स्कूल से पढ़ाई की।

उन्होंने डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज से ग्रैजुएशन डिग्री ली।वह अमेरिका के एयर वॉर कॉलेज से ग्रैजुएट हैं। नैशनल डिफेंस अकैडमी  में उन्होंने 'सॉर्ड ऑफ ऑनर' हासिल किया।

हिलाल को मिल चुके हैं कई मेडल:

-         हिलाल 17 दिसंबर 1988 को भारतीय वायुसेना में फायटर पायलट के तौर पर कमीशन हुए थे।

-         वो 1993 में फ्लाइट लेफ्टिनेंट बने और साल 2004 में ग्रुप कमांडर।

-         2016 में उन्हें ग्रुप कैप्टन बनाया गया और 2019 में वो एयर कोमोडोर के पद पर पहुंचे।

-         हिलाल को वायु सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल मिल चुके हैं।

मिराज-2000, मिग-21 और किरण एयरक्राफ्ट पर उड़ान के दौरान हिलाल ने अब तक तकरीबन 3000 घंटे गुजारे हैं। अब राफेल विमान के साथ हिलाल का नाम ऐतिहासिक तौर पर जुड़ गया है।

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