Advertisement

दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 21 शहर, दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी

साल 2019 में दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी शहरों की लिस्ट में राजधानी दिल्ली शीर्ष स्थान पर है। एक नई...
दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 21 शहर, दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी

साल 2019 में दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी शहरों की लिस्ट में राजधानी दिल्ली शीर्ष स्थान पर है। एक नई रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि विश्व के 30 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 21 भारत के हैं। 'आईक्यूएयर एयर विजुअल' द्वारा तैयार 2019 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में गाजियाबाद सबसे प्रदूषित शहर है। इसके बाद चीन में होतन, पाकिस्तान में गुजरांवाला और फैसलाबाद और फिर दिल्ली का नाम है।

30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में ये भारतीय शहर हैं शुमार

विश्व के 30 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार 21 भारतीय शहरों में क्रम से गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा, बंधवारी, लखनऊ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, बागपत, जींद, फरीदाबाद, कोरोत, भिवाड़ी, पटना, पलवल, मुजफ्फरपुर, हिसार, कुटेल, जोधपुर और मुरादाबाद हैं। देशों के आधार पर आंकड़ों के मुताबिक, सूची में बांग्लादेश शीर्ष पर, इसके बाद पाकिस्तान, मंगोलिया और अफगानिस्तान और पांचवें नंबर पर भारत है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय शहरों ने पिछले वर्षों में सुधार किया है।

'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है कोरोना वायरस

आईक्यूएयर के सीईओ फ्रैंक हेम्स ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना वायरस सुर्खियों में है लेकिन वायु प्रदूषण हर साल 70 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले रहा है। दुनिया के बड़े हिस्से में वायु गुणवत्ता आंकड़े में अंतर एक गंभीर समस्या है क्योंकि जिसे नहीं मापा जाता है उसे प्रबंधित नहीं किया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में वायु गुणवत्ता की जानकारी नहीं है, वहां दुनिया का सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होने की आशंका है, ऐसे में बड़ी आबादी को खतरा है। वैश्विक स्तर पर निगरानी आंकड़ा बढ़ने से नागरिकों को सशक्त करने का मौका मिलेगा और सरकार वायु गुणवत्ता बेहतर करने के लिए बेहतर नीतिगत फैसला ले सकेगी।

जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल अभी भी बहुत है

रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ग्रीनपीस इंडिया में सीनियर कैंपेनर अविनाश चंचल ने कहा कि प्रदूषण को नियंत्रित किए जाने के लिए उठाए जाने वाले कदम पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नयी रिपोर्ट और पिछले साल जारी रिपोर्ट से उन रूझानों का पता चलता है कि घरेलू और कृषि स्तर पर जैव ईंधन का प्रयोग घटा है लेकिन जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल अभी भी बहुत है।

किस आधार पर तैयार होती है रिपोर्ट?

ग्लोबल एयर क्वॉलिटी इन्फोर्मेशन कंपनी आईक्यूएआईआर के रिसर्चरों ने ग्राउंड मॉनिटरिंग स्टेशन के जरिए मिले पीएम2.5 (μg/m³) के डेटा के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है। पीएम2.5 PM (μg/m³) वायु में घुले बेहद ही छोटे कण होते हैं, जिन्हे सिर्फ माइक्रोस्कोप की मदद से देखा जा सकता है। सांस लेने के दौरान ये कण आसानी से फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं, जो बेहद नुकसानदायक है। ये आगे चलकर फेफड़ों और ह्दय से जुड़ी बीमारियों के कारण बनते हैं। अगर किसी शहर का PM 2.5 (μg/m³)- 12 से कम है तो उसे बेहतर माना गया है।

वायु प्रदूषण के कारण हर साल 15 साल से कम उम्र के 6 लाख बच्चों की मौत

विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 15 साल से कम उम्र के 6 लाख बच्चों की मौत सिर्फ प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के कारण होती है। वर्ल्ड बैंक की 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदुषण के कारण होने वाली बच्चों की मौतों से हर साल दुनियाभर में 5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad