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SC में भी खारिज दोषी पवन कुमार की याचिका, निर्भया गैंगरेप के वक्त नाबालिग होने का किया था दावा

निचली अदालत, दिल्ली हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्भया के दुष्कर्मी पवन की उस याचिका को खारिज...
SC में भी खारिज दोषी पवन कुमार की याचिका, निर्भया गैंगरेप के वक्त नाबालिग होने का किया था दावा

निचली अदालत, दिल्ली हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्भया के दुष्कर्मी पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने वारदात के वक्त खुद के नाबालिग होने का दावा किया था। कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई नया आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई की। 

जस्टिस भानुमति की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच पवन की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला दोहपर ढाई बजे तक के लिए सुरक्षित कर लिया है। पवन ने सुप्रीम कोर्ट को दी अर्जी में कहा कि वह दिल्ली हाई कोर्ट को भी यह बता चुका है, लेकिन हाई कोर्ट ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 दिसंबर, 2019 की सुनवाई में इस दलील को खारिज करते हुए पवन के वकील पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया था।

पवन के वकील ने दी दलील

पवन के वकील एपी सिंह ने शीर्ष अदालत में दलील दी कि दोषी पवन की जन्मतिथि 8 अक्टूबर, 1996 है। उन्होंने कहा, 'हमारे पास दस्तावेज हैं। पवन अपराध के समय नाबालिग था।' ए पी सिंह ने गायत्री बाल स्कूल के सर्टिफिकेट को जिक्र किया और कहा कि यह नया दस्तावेज है।

'वकील एपी सिंह ने कहा कि उनका मुवक्किल नाबालिग है'

इससे पहले निर्भया मामले में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता की स्पेशल लीव पेटिशन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील एपी सिंह ने कहा कि उनका मुवक्किल नाबालिग है। ऐसे में उसे नाबालिग के तौर पर देखा जाए। एपी सिंह ने दोषी पवन की ओर से पक्ष रखते हुए दावा किया कि 16 दिसंबर, 2012 को पवन कुमार गुप्ता की उम्र 17 साल एक महीने और 20 दिन थी। साथ ही यह भी तर्क रखा कि जब यह अपराध हुआ तो वह नाबालिग था। पवन की तरफ से पेश वकील एपी सिंह ने तीन जजों की बेंच आर. भानुमती, अशोक भूषण और बोपन्ना के सामने अपना पक्ष रखा। अब 2:30 बजे सुप्रीम कोर्ट पवन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।

बता दें कि दोषी पवन की अर्जी को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद पवन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।

यह फांसी की सजा टालने की कोशिश भर है- आशा देवी

याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्भया की मां ने कहा कि यह फांसी की सजा टालने की कोशिश भर है। उसकी याचिका सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2013 में रद्द कर चुका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होगी। वह समय बर्बाद कर रहा है।

अपनी याचिका में क्या बोला दोषी पवन

निर्भया गैंगरेप के दोषी पवन का कहना है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने उसकी दलीलों और सबूत को अनदेखा कर फैसला दिया है, लिहाजा उसके साथ इंसाफ किया जाए, क्योंकि न्याय प्रक्रिया में थोड़ी सी भी चूक उसे फांसी के फंदे तक पहुंचा देगी।

दो बार तय की जा चुकी है फांसी की तारीख

ट्रायल कोर्ट पवन सहित चार दोषियों को निर्भया से रेप और निर्मम हत्या करने के जुर्म में फांसी की सजा सुना चुका है। दो बार फांसी की तारीख भी तय की जा चुकी है। उसके साथी मुजरिम मुकेश के पास बचाव के अंतिम विकल्प के रूप में राष्ट्रपति से रहम की गुहार का विकल्प भी खत्म हो चुका है, लेकिन दो दोषियों अक्षय और पवन के पास क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने का भी विकल्प है, जबकि अक्षय, पवन और विनय के पास दया याचिका दाखिल करने का संवैधानिक विकल्प भी बचा है।

अब निर्भया के दोषियों को 1 फरवरी को होगी फांसी

निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों का नया डेथ वारंट कोर्ट ने जारी कर दिया है। चारों दोषियों को अब 1 फरवरी सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। इससे पहले मामले में दोषी मुकेश की दया याचिका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खारिज कर दिया।

पहले 22 जनवरी को दी जानी थी फांसी

बता दें कि पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को 22 जनवरी सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाने की तारीख तय की थी, लेकिन इसके बाद दोषी मुकेश सिंह ने राष्ट्रपति के सक्षम दया याचिका लगा दी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा निर्भया के दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज होने के बाद कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी किया है।

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