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जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल, राहुल गांधी समेत ब्रिटिश हाईकमिश्नर ने दी श्रद्धांजलि

पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग के हत्याकांड के 13 अप्रैल को 100 साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर वहां एक...
जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल, राहुल गांधी समेत ब्रिटिश हाईकमिश्नर ने दी श्रद्धांजलि

पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग के हत्याकांड के 13 अप्रैल को 100 साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर वहां एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जलियांवाला बाग स्मारक में शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उनके साथ पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू मौजूद रहे। इसके अलावा भारत में ब्रिटिश हाईकमिश्नर डॉमिनिक एस्किथ ने भी श्रद्धांजलि दी। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और पंजाब के राज्यपाल भी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

स्मारक की विजिटर्स बुक में राहुल गांधी ने लिखा, 'आजादी की कीमत कभी नहीं भुलायी जानी चाहिए। हम भारत के लोगों को सैल्यूट करते हैं, जिन्होंने इसके लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। जय हिंद।'

सिक्का और डाक टिकट होगा जारी

शुक्रवार देर रात अमृतसर पहुंचे राहुल गांधी ने श्री अकाल तख्त गोल्डन टेम्पल में माथा टेका। इस दौरान उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी मौजूद रहे। शनिवार को जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए शताब्दी समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर शहीदों की याद में सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया जाएगा।

सीएम कैप्टन अमरिंदर ने निकाला कैंडल मार्च

इससे पहले शुक्रवार शाम राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैंडल मार्च निकालकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। कैंडल मार्च में कैबिनेट मंत्री सुखबिंदर सिंह सुखसरकरिया, ओम प्रकाश सोनी, सुनील जाखड़, आशा कुमारी, गुरजीत औजला, सुनील दत्ती, इंदरबीर बुलारिया, राजकुमार वेरका के अलावा छात्रों ने भी हिस्सा लिया।

जलियांवाला बाग हत्याकांड

सौ साल पहले 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन एक बाग में करीब 15 से बीस हजार हिंदुस्तानी इकट्ठा थे। सब बेहद शांति के साथ सभा कर रहे थे। ये सभा पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं की गिरफ्तारी और रौलेट एक्ट के विरोध में रखी गई थी पर इससे दो दिन पहले अमृतसर और पंजाब में ऐसा कुछ हुआ था, जिससे ब्रिटिश सरकार गुस्से में थी।

ब्रिटिश सरकार ने अपने अफसर जनरल डायर को अमृतसर भेज दिया। जनरल डायर 90 सैनिकों को लेकर शाम करीब चार बजे जलियांवाला बाग पहुंचा और सभा कर रहे लोगों पर गोली चलवा दी। 120 लाशें तो सिर्फ उस कुएं से बाहर निकाली गई थी जिस कुएं में लोग जान बचाने के लिए कूदे थे। अंग्रेजों ने दावा किया कि जलियांवाला बाग में 379 लोग मारे गए थे। जबकि हकीकत ये है कि उस दिन एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और करीब दो हजार गोलियों से जख्मी हुए थे। इस नरसंहार के बाद पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई।

ब्रिटिश पीएम ने जताया था खेद

ब्रिटिश हुकूमत ने आज तक इस नरसंहार के लिए माफी नहीं मांगी है। हालांकि पिछले दिनों ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने इसके लिए खेद जताते हुए कहा था कि यह ब्रिटिश-भारत इतिहास में एक ‘शर्मनाक धब्बा’ है। ब्रिटेन में विपक्षी लेबर पार्टी थेरेसा मे सरकार से परिवारवालों से माफी मांगने की मांग कर रही है।

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