Advertisement

पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा

कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार, 2 अगस्त 2025 को पूर्व जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) सांसद और पूर्व...
पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा

कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार, 2 अगस्त 2025 को पूर्व जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। 34 वर्षीय प्रज्वल को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2) के तहत अधिकतम सजा दी गई, साथ ही 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया, जो पीड़िता को मुआवजे के रूप में दिया जाएगा। यह मामला हसन के गन्निकदा में रेवन्ना परिवार के फार्महाउस में काम करने वाली 47 वर्षीय घरेलू सहायिका के साथ 2021 में हुए बलात्कार से संबंधित है।

विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने प्रज्वल को दो बार बलात्कार और यौन शोषण के आरोप में दोषी पाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता को हसन और बेंगलुरु के बसवंगुडी में रेवन्ना परिवार के आवासों पर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। प्रज्वल ने कथित तौर पर अपराध को अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड किया, जिसमें पीड़िता उसे छोड़ने की गुहार लगाती दिखी। फोरेंसिक रिपोर्ट और डीएनए विश्लेषण ने सबूतों की पुष्टि की, जिसमें पीड़िता के कपड़ों पर प्रज्वल का डीएनए पाया गया।

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले हसन में पेन ड्राइव के जरिए प्रज्वल से जुड़े अश्लील वीडियो सामने आए। इसके बाद प्रज्वल मई 2024 में जर्मनी भाग गए थे, लेकिन 31 मई को बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उनकी गिरफ्तारी हुई। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सितंबर 2024 में 1,632 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें 113 गवाह शामिल थे।

प्रज्वल के खिलाफ चार यौन शोषण और बलात्कार के मामले दर्ज हैं, जिनमें से यह पहला मामला है जिसमें सुनवाई पूरी हुई। अन्य मामलों की सुनवाई अभी जारी है। प्रज्वल ने अदालत में साजिश का दावा किया, लेकिन सबूतों के आधार पर अदालत ने उसे दोषी ठहराया। इस मामले ने जद-एस और उनके सहयोगी दल बीजेपी को राजनीतिक रूप से असहज स्थिति में डाल दिया है।

यह फैसला कर्नाटक में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर कठोर कार्रवाई का संदेश देता है। पीड़िता की बहादुरी और कानूनी प्रक्रिया की तेजी ने इस मामले को 14 महीनों में निपटाने में मदद की।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad