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लाठीचार्ज के बाद किसानों पर मामले दर्ज, मामला सुलझाने को भाजपा के तीन सांसद करेंगे किसानों से बात

कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन अध्यादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हरियाणा के किसानों पर लाठीचार्ज के...
लाठीचार्ज के बाद किसानों पर मामले दर्ज, मामला सुलझाने को भाजपा के तीन सांसद करेंगे किसानों से बात

कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन अध्यादेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हरियाणा के किसानों पर लाठीचार्ज के बाद पुलिस द्वारा एफआइआर दर्ज किए जाने से सियासत तेज हो गई है। गुरुवार को कुरुक्षेत्र के पिपली में विरोध प्रदर्शन दौरान सड़क पर जाम लगाए जाने के मामले में पुलिस द्वारा 300 से अधिक किसानों पर केस दर्ज करने के बाद गिरफ्तारी की तैयारी है। इधर किसानांे के पक्ष में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र सिंह हुड्डा,कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला समेत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा के आगे आने से सरकार के बचाव में भाजपा के नेता भी आगे आए हैं। किसानों पर लाठीचार्ज के बाद कांग्रेस और इनेलो ने इस मुद्दे पर किसानों को समर्थन दे दिया है। 

कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा और वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला पिपली जाकर किसानों से मिले। इनेलो नेता अभय चौटाला भी लाठीचार्ज और अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं।इधर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने  तीन सांसदों को किसानों से बातचीत करने का जिम्मेदारी दी है। इसमें भिवानी के सांसद धर्मबीर सिंह, हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह और कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी शनिवार को रोहतक में किसानों से मुलाकात करने के लिए पहुंचे। यहां वे किसानों से संवाद कर रहे हैं और उनकी समस्याएं सुन रहे हैं। इसके बाद वे करनाल जाएंगे। वहां भी किसानों से मुलाकात करेंगे। रविवार को पंचकूला में किसानों से मिलेंगे। इधर पिपपली में लाठीचार्ज के मामले में गृह मंत्री अनिल विज का कहना है कि तरह का लाठीचार्ज नहीं हुआ है। कोरोना काल में किसी को इतनी बड़ी भीड़ जुटाने की इजाजत नहीं है। कानून व्यवस्था बनाने के लिए कुरुक्षेत्र पुलिस को तैनात किया गया था। पुलिस केवल इतना चाहती थी कि किसान सड़क पर जाम न लगाएं। 

गुरुवार को पिपली में किसान रैली के दौरान किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद यह मामला गर्मा गया है। ऐसे में भाजपा मामले को शांत करने के लिए जुटी है। वहीं दूसरे विपक्षी दल इस मुद्दे को हवा देने में लगे हुए हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने ओमप्रकाश धनखड़ द्वारा बनाई गई तीन सांसदों की कमेटी को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे किसानों को गुमराह कर रहे हैं। अगर किसानों की चिंता है तो लोकसभा के मॉनसून सत्र में कृषि अध्यादेशों को कानून बनाने से रोका जाए। गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सिर्फ तपती आग को ठंडा करने के लिए राजनीति की जा रही है।

केंद्र सरकार के अध्यादेशों का विरोध करने वाले किसानों का कहना है कि पहले कानून के मुताबिक हर व्यापारी केवल मंडी से ही किसान की फसल खरीद सकता था। अब व्यापारी को इस कानून के तहत मंडी के बाहर से फसल खरीदने की छूट मिल जाएगी।अनाज, दालों, खाद्य तेल, प्याज, आलू आदि को जरूरी वस्तु अधिनियम से बाहर करके इसकी स्टॉक सीमा समाप्त कर दी गई है।सरकार कांट्रेक्ट फॉर्मिंग को बढावा देने की बात कह रही है।

 

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