ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35B लाइटनिंग II स्टील्थ फाइटर जेट, जो 14 जून 2025 से केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तकनीकी खराबी के कारण रुका हुआ था, अब मरम्मत के बाद 22 जुलाई को उड़ान भरने के लिए तैयार है। 110 मिलियन डॉलर कीमत का यह अत्याधुनिक जेट, जो HMS प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा था, भारतीय समुद्र में अभ्यास के दौरान खराब मौसम और कम ईंधन के कारण आपातकालीन लैंडिंग करने को मजबूर हुआ था। भारतीय वायुसेना (IAF) ने लैंडिंग की अनुमति दी और रिफ्यूलिंग सहित हरसंभव सहायता प्रदान की। हालांकि, प्री-डिपार्चर जांच के दौरान हाइड्रोलिक खराबी का पता चला, जिसके कारण जेट उड़ान नहीं भर सका।
6 जुलाई को 24 सदस्यीय ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स की टीम, जिसमें 14 तकनीकी विशेषज्ञ शामिल थे, विशेष उपकरणों के साथ एयरबस A400M एटलस विमान से तिरुवनंतपुरम पहुंची। जेट को एयर इंडिया के मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) हैंगर में ले जाया गया, जहां मरम्मत का काम शुरू हुआ। शुरुआत में ब्रिटिश नेवी ने हैंगर में ले जाने के भारत के प्रस्ताव को गोपनीय तकनीकों की सुरक्षा के चलते ठुकरा दिया था, लेकिन बाद में सहमति दी। ब्रिटिश हाई कमीशन ने कहा, “हम भारतीय अधिकारियों और IAF के सहयोग के लिए आभारी हैं। मरम्मत का काम तेजी से पूरा हुआ, और जेट अब उड़ान के लिए तैयार है।” मरम्मत असफल होने पर जेट को C-17 ग्लोबमास्टर जैसे बड़े कार्गो विमान से यूके ले जाने की योजना थी, लेकिन यह जरूरी नहीं पड़ा।
तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर जेट को सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) ने 24 घंटे सुरक्षा प्रदान की। हवाई अड्डे ने प्रति दिन 26,261 रुपये की पार्किंग फीस वसूली, जो 37 दिनों में लगभग 9.7 लाख रुपये हुई। इस घटना ने सोशल मीडिया पर हलचल मचाई, जहां केरल टूरिज्म ने मजाकिया अंदाज में AI-जनरेटेड तस्वीर साझा की, जिसमें जेट को नारियल के पेड़ों के बीच दिखाया गया, इसे “ऐसी जगह जो छोड़ने का मन न करे” बताया। यह मामला यूके की संसद में भी उठा, जहां सांसद बेन ओबेसे-जेक्टी ने जेट की सुरक्षा और तकनीकी गोपनीयता पर सवाल उठाए।
यह घटना भारत-यूके रक्षा सहयोग को दर्शाती है, जिसमें IAF की त्वरित प्रतिक्रिया और समन्वय की सराहना हुई। F-35B, जो शॉर्ट टेकऑफ और वर्टिकल लैंडिंग (STOVL) क्षमता वाला एकमात्र पांचवीं पीढ़ी का जेट है, अब अपने कैरियर पर लौटने के लिए तैयार है।