किताब का नाम- द शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ माइग्रेशन
लेखक- इयान गोल्डिन
पृष्ठ- 250
कीमत- 470
प्रकाशक- पैन मैकमिलन इंडिया
माइग्रेशन कोई नई कहानी नहीं है। इंसान ने तब से सफ़र करना शुरू किया, जब उसने दो पैरों पर चलना सीखा। ‘द शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ माइग्रेशन’ में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और ग्लोबलाइजेशन के विशेषज्ञ इयान गोल्डिन इस अनंत यात्रा को सदी-दर-सदी, महाद्वीप-दर-महाद्वीप हमारे सामने रखते हैं।
गोल्डिन का सबसे बड़ा कमाल यह है कि वे माइग्रेशन को केवल आज की सुर्खियों में मौजूद राजनीतिक विवाद के रूप में नहीं देखते, बल्कि इसे मानव सभ्यता की रीढ़ बताते हैं।
आज दुनिया की महज 3% आबादी अपनी जन्मभूमि से बाहर रहती है, लेकिन इसी अल्पसंख्या ने इतिहास को आकार दिया है।सिल्क रोड के व्यापारी, दास जहाजों में कैद अफ्रीकी, औपनिवेशिक दौर में विस्थापित लोग और युद्ध से भागे शरणार्थी: ये सभी हमारी साझा पहचान के निर्माता हैं।
किताब हमें यह भी याद दिलाती है कि पासपोर्ट जैसी चीज़ महज़ 100 साल पुरानी है, जो पहली बार प्रथम विश्व युद्ध के बाद अस्तित्व में आई। उससे पहले इंसान का सफ़र अपेक्षाकृत बिना-अवरोध था। हालांकि, ये शायद आपको पता होगा लेकिन किताब की रोचकता और वस्तु आपको एक अलग दृष्टि देता है। गोल्डिन के मुताबिक, बंद होती सीमाएं हमें न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी गरीब बनाती हैं।
लेखक ने कुछ मार्मिक व्यक्तिगत कहानियां भी जोड़ी हैं, जैसे 'किंडरट्रांसपोर्ट' द्वितीय विश्व युद्ध से पहले हज़ारों यहूदी बच्चों का ब्रिटेन में शरण लेना। ये पल किताब में इतिहास को केवल डेटा और तारीखों से नहीं, बल्कि जीवंत मानवीय अनुभव से जोड़ते हैं।
गोल्डिन माइग्रेंट्स को “आर्थिक और सामाजिक पुनर्जागरण के वाहक” बताते हैं। उनका तर्क है कि वृद्ध होती आबादी वाले विकसित देशों के लिए माइग्रेंट्स केवल श्रमशक्ति नहीं, बल्कि नवाचार और विविधता के स्रोत हैं।
पुस्तक की सबसे बड़ी ताकत इसकी संक्षिप्तता है। 250 पन्नों से भी कम में गोल्डिन माइग्रेशन की लाखों साल की कहानी कह जाते हैं और यह करते हुए वे जटिल तथ्यों को सहज भाषा में बुनते हैं।
‘द शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ माइग्रेशन’ उन लोगों के लिए है जो सुर्खियों से आगे जाकर समझना चाहते हैं कि इंसान ने क्यों, कब और कैसे सीमाएं पार कीं और क्यों यह सफ़र हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जारी रहना चाहिए!