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एक्टर कौशिक सेन का दावा- मॉब लिंचिंग के खिलाफ आवाज उठाने पर मिली जान से मारने की धमकी

मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए देशभर की 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी...
एक्टर कौशिक सेन का दावा- मॉब लिंचिंग के खिलाफ आवाज उठाने पर मिली जान से मारने की धमकी

मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए देशभर की 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम चिट्ठी लिखी है। पीएम मोदी को लिखे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक अभिनेता कौशिक सेन ने गुरुवार को कहा कि उन्हें धमकी भरा फोन आया है। सेन ने कहा कि पुलिस को इसके बारे में सूचित करते हुए  उन्हें वो फोन नंबर भेज दिया गया है जिससे उनके पास फोन आया था।

अभिनेता कौशिक सेन ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से बातचीत में बताया, ‘कल मुझे अज्ञात नंबर से एक कॉल आया, जिसमें मुझे पीट-पीट कर हत्या करने (मॉब लिचिंग) और असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठाना बंद नहीं करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। मुझे बोला गया कि अगर मैं अपना तरीका नहीं बदलता हूं, तो मेरी हत्या कर दी जाएगी।'

चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले और लोगों को कर दिया है सूचित

मामला सामने आने के बाद एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। सेन ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो, मैं इस तरह के कॉल को लेकर चिंतित नहीं हूं। मैंने कॉल के बारे में पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य लोगों को भी इस बारे में सूचित कर दिया है और उन्हें भी फोन नंबर भेज दिया है।'

जानें पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में क्या कहा गया-

इस चिट्ठी में प्रधानमंत्री को देश में बढ़ती असहिष्णुता पर उनका ध्यानाकर्षण करने के लिए लिखा गया है। इस पत्र में लिखा गया है कि इन दिनों देश में धर्म और जात-पात और मॉब लिंचिंग से जुड़े मामले देश में बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि आपने मॉब लिंचिंग और इस तरह के मामलों को संसद में उठाया है लेकिन संसद में उठाना ही काफी नही है आपको इन मामलों पर कड़े कानून बनाने चाहिए ताकि इन बढ़ते मामलों की संख्या बढ़ने की बजाए कम हो लेकिन ऐसा नही हुआ।

अनुराग कश्यप समेत इन हस्तियों ने लिखी चिट्ठी

फिल्म निर्माताओं, लेखकों और अभिनेताओं सहित 49 प्रतिष्ठित हस्तियों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर देश में मॉब लिचिंग की हालिया घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। अदूर गोपालकृष्णन, मणि रत्नम, अनुराग कश्यप, बिनायक सेन, सौमित्र चटर्जी, अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा, रेवती, श्याम बेनेगल, शुभा मुद्गल, अनुपम रॉय जैसी 49 हस्तियों के हस्ताक्षर से जारी की गई चिट्ठी में एंटी नेशनल और अर्बन नक्सल का टैग लगाने पर भी चिंता जताई गई है। साथ ही कहा गया है कि देश में एक ऐसा माहौल होना चाहिए जहां असहमति को कुचला नहीं जाना चाहिए।

 

'असहमति देश को और ताकतवर बनाती है'

इन हस्तियों ने कहा है कि असहमति देश को और ताकतवर बनाती है। पत्र में लिखा गया है, “अफसोस की बात है कि ‘जय श्री राम’ के नाम पर खुलेआम देश में हिंसा हो रही है। लोगों को अपने ही देश में एंटी नेशनल, अर्बन नक्सल कहा जा रहा है।”

'हमारा संविधान भारत को एक सेकुलर गणतंत्र बताता है'

इस चिट्ठी में लिखा है कि हमारा संविधान भारत को एक सेकुलर गणतंत्र बताता है, जहां हर धर्म, समूह, लिंग, जाति के लोगों के बराबर अधिकार है। चिट्ठी में में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर कहा है गया है कि 1 जनवरी 2009 से लेकर 29 अक्टूबर 2018 के बीच धर्म की पहचान पर आधारित 254 अपराध दर्ज किए गए, इस दौरान 91 लोगों की हत्या हुई और 579 लोग घायल हुए। मुसलमान जो भारत की आबादी के 14 फीसदी है वे ऐसे 62 फीसदी अपराधों के शिकार बने, जबकि क्रिश्चयन जिनका आबादी में हिस्सा 2 फीसदी है वे ऐसे 14 फीसदी अपराध के शिकार हुए। इन घटनाओं के लिए पीएम मोदी ने क्या किया?

'हम ऐसा महसूस करते हैं कि ऐसे अपराधों को गैर जमानती बनाया जाए'

पत्र में लिखा गया है, "ऐसा जुर्म करने वालों के खिलाफ क्या कदम उठाया गया है, हम ऐसा महसूस करते हैं कि ऐसे अपराधों को गैर जमानती बनाया जाए और दोषियों को ऐसी सजा दी जाए जो नजीर बन जाए. जब हत्या के दोषियों को बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है तो लिंचिंग के मामले में ऐसा क्यों नहीं ह सकता है, जो कि और भी घृणित अपराध है? हमारे देश के किसी नागरिक को डर और खौफ में रहने की जरूरत नहीं है!"

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