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अमर्त्य सेन के गाय, गुजरात-हिन्दू भारत वाले बयान पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची

भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने एक बार फिर अर्थशास्त्री सुमन घोष द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री में एक बयान पर आपत्ति जताते हुए कैंची चला दी है।
अमर्त्य सेन के गाय, गुजरात-हिन्दू भारत वाले बयान पर चली सेंसर बोर्ड की कैंची

दरअसल, सेंसर बोर्ड ने कोलकाता के अर्थशास्त्री सुमन घोष द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री 'द आर्ग्यूमेंटेटिव इंडियन' में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के उस बयान पर कैंची चला दी है, जिसमें उन्होंने गुजरात, हिन्दू भारत, गाय और भारत का हिंदुत्ववादी दृष्टिकोण जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है।

बोर्ड ने यह कदम उठाने से पहले सुमन घोष से कहा था कि अगर वो गुजरात, हिन्दू भारत, गाय और भारत का हिंदुत्ववादी दृष्टिकोण जैसे शब्दों को बीप कर दें, तो उन्हें UA प्रमाणपत्र मिल सकता है। फिल्म में देश के वर्तमान राजनीतिक हालात पर बातचीत के दौरान इन शब्दों का प्रयोग हुआ है।

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुमन घोष ने कहा कि सेंसर बोर्ड के इस रवैये से डॉक्यूमेंट्री की जरूरत और भी साफ हो जाती है। घोष ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना पर ऐसा प्रतिबंध हैरान करने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारे समय के सर्वश्रेष्ठ चिंतकों में से एक के कहे शब्दों को मैं किसी भी हालात में बीप नहीं करूंगा।

गौरतलब है कि 'द आर्ग्यूमेंटेटिव इंडियन' अमर्त्य सेन की प्रसिद्ध किताब है। इस किताब में भारत की बहस और संवाद का जिक्र किया गया है और इसी किताब के नाम पर घोष ने अपनी फिल्म का नाम रखा है। फिल्म दो हिस्सों में शूट की गई है। फिल्म का कुछ हिस्सा साल 2002 का है जबकि बाकी हिस्सा साल 2017 का। फिल्म में अमर्त्य सेन ने गुजरात शब्द का प्रयोग कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दिए गए एक लेक्चर में किया है। वहीं, फिल्म में गाय शब्द का भी इस्तेमाल किया गया है जो बहस और संवाद की जरूरत पर जोर देता है।

 

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