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आरबीआई ने विकास का अनुमान घटाया तो लुढ़के शेयर बाजार, सेंसेक्स 433 अंक नीचे आया

जीडीपी विकास दर के अनुमान में रिजर्व बैंक के भारी कटौती करने से शेयर बाजार शुक्रवार को लुढ़क गए। बीएसई...
आरबीआई ने विकास का अनुमान घटाया तो लुढ़के शेयर बाजार, सेंसेक्स 433 अंक नीचे आया

जीडीपी विकास दर के अनुमान में रिजर्व बैंक के भारी कटौती करने से शेयर बाजार शुक्रवार को लुढ़क गए। बीएसई का सेंसेक्स 1.14 फीसदी यानी 433.56 अंक गिरकर 37,673.31 पर आ गया। एनएसई के निफ्टी में 1.23 फीसदी की गिरावट आई। यह 139.25 अंक गिरकर 11,174.75 पर बंद हुआ। पूरे हफ्ते में सेंसेक्स में 2.96 फीसदी यानी 1,149.26 अंकों की गिरावट आई है। निफ्टी में भी इस दौरान 2.93 फीसदी यानी 337.65 अंकों की गिरावट रही।

आईटी को छोड़ सभी सेक्टर इंडेक्स में गिरावट

रेपो रेट में कटौती की उम्मीद से बाजार में सुबह से तेजी का माहौल था। सेंसेक्स करीब 300 अंक बढ़त के साथ खुला। लेकिन मौद्रिक नीति की समीक्षा में जैसे ही इस वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान 6.8 फीसदी से घटाकर 6.1 करने की खबर आई, बाजार का रुख पलट गया। रिजर्व बैंक के नए अनुमान के बाद अर्थव्यवस्था, उपभोक्ता मांग और रोजगार को लेकर फिर से अनिश्चितता का माहौल बन गया है। एनएसई में आईटी को छोड़कर सभी सेक्टर इंडेक्स गिरावट के साथ बंद हुए। बैंक इंडेक्स में 2.4 फीसदी, फाइनेंशियल सर्विसेज में 1.9 फीसदी, एफएमसीजी में 1.5 फीसदी और मेटल इंडेक्स में 1.2 फीसदी गिरावट आई।

बीएसई का मार्केट कैप 1.42 लाख करोड़ रुपये घटा

इस गिरावट से बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 1.42 लाख करोड़ रुपये घट गया। यह अब 143.18 लाख करोड़ रुपये रह गया है। अक्टूबर के तीन कारोबारी दिनों में मार्केट कैप चार लाख करोड़ रुपये कम हो गया है।

मार्जिन घटने की आशंका से बैंकिंग शेयरों पर दबाव

ब्रोकिंग फर्म बीएनपी परिबा के कैपिटल मार्केट हेड गौरव दुआ ने बताया कि गिरावट की एक वजह बैंकिंग शेयर भी रहे। रिजर्व बैंक ने बैंकों से ब्याज दरों में जल्दी कटौती करने को कहा है, इससे उनके मार्जिन पर असर होगा। पांच बार में रेपो रेट में 1.35 फीसदी कटौती के बाद भी विकास का अनुमान घटाना पड़ा है। आगे रिजर्व बैंक के लिए भी कुछ करने की गुंजाइश कम होगी। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर के अनुसार सरकार और रिजर्व के कदमों के बावजूद निवेशकों में उत्साह नहीं है। जीडीपी आंकड़ों में संशोधन से बैंकिंग सिस्टम में नया तनाव दिख सकता है।

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