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ईपीएफ पर कर प्रस्ताव वापस लेने का फैसला

बजट में ईपीएफ संबंधी प्रस्ताव को लेकर विभिन्न वर्गों की आलोचनाओं के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कर्मचारी भविष्य निधि से राशि निकालने पर कर लगाने के विवादास्पद प्रस्ताव को वापस लेने की घोषणा की।
ईपीएफ पर कर प्रस्ताव वापस लेने का फैसला

जेटली ने 2016-17 के बजट प्रस्ताव में एक अप्रैल 2016 के बाद कर्मचारी भविष्य निधि की कुल राशि के 60 प्रतिशत निकालने पर कर लगाने की बात कही थी। इस प्रस्ताव की विभिन्न कर्मचारी संगठनों एवं राजनीतिक दलों ने आलोचना की थी।

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मंगलवार को लोकसभा में स्वत: संज्ञान लेते हुए अपने बयान में कहा, ‘हमें मिले कई ज्ञापनों के मद्देनजर सरकार इस प्रस्ताव की समग्र समीक्षा करना चाहती है और इसलिए इस प्रस्ताव को वापस लेती है।’ उन्होंने हालांकि कहा कि राष्ट्रीय पेंशन योजना से जुड़े लोगों को राशि निकालने के समय 40 प्रतिशत की छूट बनी रहेगी।

अपने बजट प्रस्ताव में जेटली ने प्रस्ताव किया था कि ईपीएफ की 40 प्रतिशत राशि निकालना कर मुक्त होगा और शेष 60 राशि भी इसी श्रेणी में आएगी, अगर उसे पेंशन योजना में निवेश किया जाता है। बजट में इस प्रस्ताव की विभिन्न राजनीतिक दलों और कर्मचारी संघों ने आलोचना की थी और कहा था कि यह कर्मचारियों को पेंशन योजना में निवेश करने के लिए मजबूर करने वाली बात है।

कराधान प्रस्ताव का औचित्य बताते हुए जेटली ने कहा, ‘ कर्मचारियों के पास यह विकल्प होना चाहिए कि वे कहां निवेश करें। सैद्धांतिक रूप से ऐसी स्वतंत्रता अनिवार्य है लेकिन सरकार के लिए कराधान से संबद्ध उद्देश्य को भी हासिल करना महत्वपूर्ण है।’

उन्होंने कहा कि वर्तमान स्वरूप में नीतिगत उद्देश्य अधिक राजस्व प्राप्त करना नहीं बल्कि लोगों को पेंशन योजना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के 3.7 करोड़ उपभोक्ता हैं। इस प्रस्ताव से 15 हजार रुपये प्रति माह वेतन वाले 3.26 करोड़ ईपीएफओ उपभोक्ताओं पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। 

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