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रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.1% से घटाकर 5% किया, नहीं बदला रेपो रेट

रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए आर्थिक विकास दर के अनुमान में बड़ी कटौती की है। गुरुवार को जारी मौद्रिक नीति...
रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.1% से घटाकर 5% किया, नहीं बदला रेपो रेट

रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिए आर्थिक विकास दर के अनुमान में बड़ी कटौती की है। गुरुवार को जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में इसने इस साल जीडीपी सिर्फ 5 फीसदी बढ़ने का अनुमान व्यक्त किया। अक्टूबर की समीक्षा में इसने 6.1 फीसदी ग्रोथ का अनुमान जताया था। गिरती विकास दर को देखते हुए ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट 5.15 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया है। हालांकि इससे पहले लगातार पांच समीक्षा में इसने रेपो रेट में 1.35 फीसदी कटौती की थी। रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर बैंक आरबीआई से अल्पावधि के कर्ज लेते हैं।

भविष्य में रेपो रेट में कटौती की है गुंजाइश

मौद्रिक नीति समिति का कहना है कि आने वाले दिनों में पॉलिसी दरों में कटौती की गुंजाइश है। हालांकि अभी विकास और महंगाई का जो संतुलन है, उसे देखते हुए इसने फिलहाल रेट कट नहीं करने का फैसला किया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सभी छह सदस्यों ने कटौती नहीं करने के पक्ष में वोट किया। यह मौजूदा वित्त वर्ष की पांचवीं समीक्षा है। अगली समीक्षा 4-6 फरवरी 2020 को होगी। मौद्रिक नीति समिति की बैठक तीन दिसंबर को शुरू हुई थी। मौजूदा रेपो रेट 5.15 फीसदी मार्च 2010 के बाद सबसे कम है। 

दूसरी छमाही में खुदरा महंगाई का अनुमान बढ़ाया

समीक्षा में खुदरा महंगाई के अनुमान में भी संशोधन किया गया है। दूसरी छमाही यानी अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 के दौरान महंगाई के अनुमान को बढ़ाकर 5.1-4.7 फीसदी किया गया है। अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा महंगाई 4-3.8 फीसदी रहने का अनुमान है।

2019 की छह समीक्षा में विकास का अनुमान 2.4% नीचे आया

इस साल फरवरी की समीक्षा में आरबीआई ने 2019-20 में जीडीपी विकास दर 7.4 रहने का अनुमान जताया था। अब उसका अनुमान घटकर सिर्फ 5 फीसदी रह गया है। इस तरह छह समीक्षा के अंतराल में विकास दर के अनुमान में इसने 2.4 फीसदी की कटौती की है, जो अर्थव्यवस्था की लगातार कमजोर होती हालत को बताती है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही, अप्रैल-जून में विकास दर 5 फीसदी और जुलाई-सितंबर में सिर्फ 4.5 फीसदी दर्ज हुई। यह 26 तिमाही यानी साढ़े छह साल में सबसे कम है। 2018-19 में विकास दर 6.8 फीसदी रही थी।

सभी इंडिकेटर बताते हैं कि मांग अब भी कमजोर है

रिजर्व बैंक ने इस साल 7 फरवरी, 4 अप्रैल, 6 जून, 7 अगस्त और 4 अक्टूबर को पांच बार में रेपो रेट में 1.35 फीसदी कटौती की थी। सिद्धांत रूप से रेपो रेट कम होने पर बैंक होम लोन, ऑटो लोन आदि सस्ता कर सकेंगे। इससे इन चीजों की डिमांड बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। लेकिन अभी तक की कवायद नाकाम रही है और विकास दर में लगातार छह तिमाही से गिरावट आ रही है। चिंताजनक बात यह है कि तमाम इंडिकेटर्स के आधार पर रिजर्व बैंक का कहना है कि मांग अब भी कमजोर बनी हुई है।

2019 में कैसे-कैसे बदला रिजर्व बैंक का रुख

फरवरी 2019 : 2019-20 में 7.4 फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया। पहली छमाही में महंगाई दर 3.2-3.4 फीसदी और अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 3.9 फीसदी का अनुमान व्यक्त किया।

अप्रैल 2019 : 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.2 फीसदी किया। पहली छमाही में महंगाई दर 2.9-3.0 फीसदी और दूसरी छमाही में 3.5-3.8 फीसदी का अनुमान व्यक्त किया।

जून 2019 : 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.0 फीसदी कर दिया। पहली छमाही में महंगाई दर 3.0-3.1 फीसदी और दूसरी छमाही में 3.4-3.7 फीसदी का अनुमान जताया।

अगस्त 2019 : 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 6.9 फीसदी किया। जुलाई-सितंबर में महंगाई दर 3.1 फीसदी और दूसरी छमाही में 3.5-3.7 फीसदी का अनुमान व्यक्त किया।

अक्टूबर 2019 : 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 6.1 फीसदी किया। जुलाई-सितंबर में महंगाई दर 3.4 फीसदी और दूसरी छमाही में 3.5-3.7 फीसदी का अनुमान व्यक्त किया।

दिसंबर 2019 : मौजूदा वित्त वर्ष में विकास दर का अनुमान घटाकर 5 फीसदी किया। अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 के दौरान खुदरा महंगाई के अनुमान को बढ़ाकर 5.1-4.7 फीसदी किया है।

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