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जीएसटी के दो साल पूरे, आज से बदल सकते हैं ये नियम

देश के ऐतिहसिक टैक्स सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए दो साल पूरे हो चुके हैं। ‘एक देश, एक...
जीएसटी के दो साल पूरे, आज से बदल सकते हैं ये नियम

देश के ऐतिहसिक टैक्स सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए दो साल पूरे हो चुके हैं। ‘एक देश, एक कर’ के नारे के साथ दो वर्ष पहले आज ही के दिन वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लांच किया गया था। शुरुआती अड़चनें पार कर जीएसटी स्थिरता और स्थायित्व की ओर बढ़ा है, लेकिन सरलीकृत रिटर्न, निर्यातकों को त्वरित रिफंड और रियल एस्टेट व पेट्रोलियम उत्पादों को इस टैक्स प्रणाली के दायरे में लाने की चुनौतियों से पार पाना अभी भी बाकी है।

1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ जीएसटी का रास्ता काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा, तो इससे देश में कई महत्वपूर्ण बदलाव भी हुए। अब आज यानी 1 जुलाई, 2019 से इसमें कुछ और बदलाव हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारे में-

जीएसटी में आज से जो नए बदलाव हो सकते हैं, उनमें नया रिटर्न सिस्टम, नकद खाता बही प्रणाली को तर्कसंगत बनाने, नया रिटर्न फॉर्म सिस्टम शामिल है। नकद खाते को तर्कसंगत बनाते हुए 20 मदों को पांच प्रमुख खातों में शामिल किया जाएगा। टैक्स, ब्याज, जुर्माना शुल्क और अन्य चीजों के लिए सिर्फ एक नकद बहीखाता होगा।

नया रिटर्न सिस्टम

नए रिटर्न सिस्टम को 1 जुलाई से ट्रायल के तौर पर लागू किया जा सकता है, जिसके सफल होने के बाद इसे 1 अक्टूबर से अनिवार्य बनाया जाएगा। इससे मौजूदा जीएसटीआर-3बी (समरी रिटर्न) की जगह जीएसटीआर-1 (सप्लाई रिटर्न) सिस्टम लाया जाएगा।

जब जीएसटी लागू हुआ था जो किसी व्यापारी को एक महीने में 36 रिटर्न दाखिल करना पड़ा था, लेकिन इस नए रिटर्न प्रणाली में महीने में सिर्फ एक ही रिटर्न दाखिल करना होगा।

रिफंड का सिंगल मैकेनिज्म

जीएसटी के सिंगल रिफंड मैकेनिज्म के तहत सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी व सेस के लिए रिफंड को मंजूरी मिल सकती है। इसके अलावा 50 लाख रुपये तक के सालाना टर्नओवर के लिए छोटे सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए कम्पोजिशन स्कीम आ सकती है और उन्हें 6 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। व्यापार से व्यापार में लेनदेन के लिए चरणबद्ध इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस सिस्टम होगा। सभी राज्यों की राजधानी में जीएसटी अपीलेट ट्राइब्यूनल की स्थापना की जाएगी।

कैश लेजर भी आसान होगा

वित्त मंत्रालय के मुताबिक, सरकार कैश लेजर की जटिलताएं कम करेगी और पहले के 20 कॉलम की जगह इसमें पांच बड़े कॉलम होंगे। टैक्स, ब्याज, जुर्माने, शुल्क और अन्य के लिए एक ही कैश लेजर होगा।

इससे पहले जीएसटी में मिली ये सफलता

-    जीएसटी में तमाम वस्तुओं-सेवाओं पर टैक्स रेट में कटौती के बावजूद टैक्स कलेक्शन बढ़ता गया है। अगस्त 2017 के 93,590 करोड़ रुपये के राजस्व के मुकाबले मई 2019 में राजस्व बढ़कर 1,00,29 करोड़ रुपये रहा है।

-    राज्यों की सीमाओं में अबाध तरीके से ट्रकों की आवाजाही की वजह से ट्रांसपोर्ट में तेजी आई है और इसकी वजह से लॉजिस्ट‍िक यानी माल की ढुलाई की लागत में करीब 15 फीसदी की कमी आई है।

-    इसके अलावा विभि‍न्न मद में सिंगल टैक्स रेट होने से टैक्स देना आसान हुआ है।

काफी सफल रहा है जीएसटी लेकिन आज भी कई चुनौतियां  

-     रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया अब तक काफी जटिल बनी हुई थी, जिसके अब कुछ आसान होने की उम्मीद है।

-    सर्विस प्रोवाइडर्स को कई जगह रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है।

-    विवाद से निपटने में मुश्किल यह है कि अधिकार क्षेत्र केंद्र और राज्यों में बंटा हुआ है।

-    निर्यातकों को रिफंड लेने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

-    बिजली, तेल, गैस, शराब अब भी जीएसटी से बाहर हैं, इन्हें जीएसटी में किस तरह से लाया जाए यह भी एक चुनौती है।

जीएसटी की शुरुआत

30 जून 2017 और एक जुलाई की मध्यरात्रि को संसद के सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी की शुरुआत की थी। इससे 17 विभिन्न प्रकार के टैक्स और सेस एक में समाहित हो गए थे और कर के ऊपर कर की व्यव्स्था खत्म हुई। राज्यों के बीच व्यापार की अलग-अलग प्रणाली की जगह एक व्यवस्था लागू हुई। इससे कारोबारी लागत कम होने के साथ व्यापार आसान हुआ। पिछले दो साल में सरकार ने टैक्स स्लैब में लगातार बदलाव कर लोगों को राहत दी है और अब उसका ध्यान रिटर्न के सरलीकरण पर है।

 

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