Advertisement

फेसबुक लाएगा क्रिप्टोकरंसी लिब्रा, कहा- पेमेंट करना मैसेज भेजने जितना होगा आसान

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने ऐलान किया है कि वह अगले वर्ष क्रिप्टोकरंसी लिब्रा लॉन्च कर देगा।...
फेसबुक लाएगा क्रिप्टोकरंसी लिब्रा, कहा- पेमेंट करना मैसेज भेजने जितना होगा आसान

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने ऐलान किया है कि वह अगले वर्ष क्रिप्टोकरंसी लिब्रा लॉन्च कर देगा। माना जा रहा है कि अगले छह से 12 महीनों में लिब्रा की लॉन्चिंग हो जाएगी। लिब्रा को स्टेबलकॉइन बताते हुए फेसबुक ने आश्वस्त करते हुए कहा कि यह बिटकॉइन जैसी उथल-पुथल भरी क्रिप्टोकरंसी नहीं होगी। इससे लोगों की आर्थिक जरुरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। इससे ई-कॉमर्स सर्विस को बढ़ावा मिलेगा साथ ही विज्ञापनों के जरिए ज्यादा कमाई के अवसर भी मिलेंगे।

फेसबुक अपने दो दर्जन से ज्यादा पार्टनरों के साथ क्रिप्टोकरंसी लिब्रा की लॉन्चिंग करेगा। इन पार्टनरों में पेपाल, ऊबर, स्पॉटिफाई, विजा और मास्टरकार्ड जैसी दिग्गज वैश्विक कंपिनयां शामिल हैं। फेसबुक को अपने मौजूदा और भविष्य के भागीदारों से 1 अरब डॉलर (करीब 70 अरब रुपये) की सहायता की उम्मीद है।

अकूत कमाई का जरिया बनेगी लिब्रा

इस ऐलान के साथ ही फेसबुक ने उम्मीद जताई है कि उसकी डिजिटल करंसी लिब्रा एक दिन अमेरिकी डॉलर की हैसियत हासिल करेगी और उसकी तरह ही उसकी भी ट्रेडिंग होगी। कंपनी को उम्मीद है कि लिब्रा उसकी अकूत कमाई का जरिया बनेगी।

एक नया डिजिटल वॉलिट तैयार करने की योजनामें फेसबुक

लिब्रा एक स्टेबलकॉइन होगी। स्टेबलकॉइन उस डिजिटल करेंसी को कहा जाता है जिसे सरकार समर्थित मुद्राओं एवं प्रतिभूतियों (करंसीज ऐंड सिक्यॉरिटीज) का समर्थन प्राप्त होता है। फेसबुक ब्लॉकचेन टीम के हेड डेविड मार्कस ने कहा कि फेसबुक एक नया डिजिटल वॉलिट तैयार करने की योजना बना रहा है जो मेसेंजर और वॉट्सऐप के अंदर होगा। इन दोनों ऐप्स से दोस्तों, पारिवारिक सदस्यों और व्यापारिक संस्थाओं के बीच लिब्रा का लेनदेन हो सकेगा।

इस वॉलिट को यूज करने के लिए नहीं होगी फेसबुक अकाउंट की जरुरत

लिब्रा वॉलिट के लिए नई कंपनी कैलिब्रा बनाई गई है, जो डिजिटल वॉलिट तैयार कर रही है। इस वॉलिट से लोग लिब्रा खरीद सकेंगे, इस्तेमाल कर सकेंगे और उसे दूसरे के पास भेज सकेंगे। कैलिब्रा का वॉलिट यूज करने के लिए फेसबुक अकाउंट की जरूरत नहीं होगी। इस वॉलिट से लोग फेसबुक के दो मेसेजिंग ऐप्स, वॉट्सऐप और मेसेंजर के जरिए लिब्रा का लेनदेन कर सकेंगे। शुरुआत में इंस्टाग्राम मेसेजेज को वॉलिट से नहीं जोड़ा जाएगा।

लिब्रा यूजर्स का ट्रांजैक्शन डेटा कभी भी फेसबुक के साथ साझा नहीं करेगी

फेसबुक ने बताया कि अगर लोग कैलिब्रा या उसी तरह का कोई वॉलिट इस्तेमाल करेंगे तो उनका व्यक्तिगत लेनदेन लिब्रा ब्लॉकचेन पर प्रदर्शित नहीं होगा। कैलिब्रा का वादा है कि वह लिब्रा यूजर्स का ट्रांजैक्शन डेटा कभी भी फेसबुक के साथ साझा नहीं करेगी। हां, अगर लोग वस्तुएं खरीदने और पैसे भेजने के लिए फेसबुक प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करेंगे तो संभव है कि फेसबुक उनकी खरीदारी और पैसे के लेनदेन की आदतों से जुड़े आंकड़े हासिल कर ले।

बिना किसी फीस के दुनियाभर में पैसे के आदान-प्रदान का जरिया बनेगीलिब्रा

फेसबुक के अधिकारियों का कहना है कि लिब्रा बिना किसी फीस के दुनियाभर में पैसे के आदान-प्रदान का जरिया बनेगी। अभी वेस्टर्न यूनियन और दूसरे अंतरराष्ट्रीय मनी-ट्रांसफर सर्विसेज पैसे के लेनदेन पर फीस वसूलती हैं। फेसबुक अधिकारियों का कहना है कि लिब्रा बड़ी तादाद में वैसे लोगों के लिए भी ऑनलाइन शॉपिंग का दरवाजा खोल देगी जिनका कोई बैंक अकाउंट या क्रेडिट कार्ड नहीं है।

आम लोगों और व्यापारियों को लिब्रा का इस्तेमाल करने के लिए मिलेगा इंसेंटिव्स

लिब्रा के पार्टनर्स आम लोगों और व्यापारियों को लिब्रा का इस्तेमाल करने के लिए इंसेंटिव्स देंगे। इनमें ऊबर डिस्काउंट से लेकर लिब्र बोनस जैसे ऑफर्स शामिल हैं। ये ऑफर्स कैलिब्रा वॉलिट साइन इन करते वक्त मिलेंगे।

बिटकॉइन जैसी अन्य क्रिप्टोकरंसी से बिल्कुल अलग होगी लिब्रा

फेसबुक का कहना है कि लिब्रा, बिटकॉइन जैसी अन्य क्रिप्टोकरसंजी से बिल्कुल अलग होगी क्योंकि इसका मूल्य अमेरिकी डॉलर, यूरो, येन एवं अन्य स्थापित मुद्राओं से समर्थित होगा। लिब्रा का मूल्य स्थिर रखने के लिए एक-एक कॉइन की खरीद को वास्तविक मुद्राओं में रखे गए रिजर्व फंड के मूल्य का समर्थन हासिल होगा।

फेसबुक सीधे-सीधे लिब्रा का संचालन नहीं करेगा, बल्कि वह और उसके पार्टनर लिब्रा असोसिएशन के नाम से एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन बना रहे हैं जिसका मुख्यालय जिनिवा में होगा। यही संस्थान लिब्रा और इसके इस्तेमाल की देखरेख करेगा। लिब्रा असोसिएशन स्विट्जरलैंड के फाइनैंशल अथॉरिटीज द्वारा संचालित होगा।

रेग्युलेटरों की तमाम आशंकाओं का फेसबुक को देना होगा जवाब

लिब्रा को लेकर फेसबुक को रेग्युलेटरों की तमाम आशंकाओं का भी जवाब देना होगा। दरअसल, रेग्युलेटरों को लग रहा है कि फेसबुक ने पहले से ही बहुत ताकत हासिल कर ली है। दुनियाभर के करीब 2 अरब यूजर्स की रोजाना बातचीत पर उसका नियंत्रण होता है। साथ ही, डिजिटल प्राइवेसी के मामले में उसका रेकॉर्ड अच्छा नहीं है। वहीं, जिनके मन में क्रिप्टोकरंसीज को लेकर तमाम तरह के संदेह हैं, वे भी लिब्रा का जोरदार विरोध करेंगे। यही वजह है कि लिब्रा की लॉन्चिंग से संबंधित ऐलान होते ही यूरोप से राजनीतिक विरोध की आवाजें उठने लगीं। फ्रांस के वित्त मंत्री ने कहा कि लिब्रा को पारंपरिक मुद्राओं के विकल्प के रूप में पेश नहीं किया जाना चाहिए।

क्‍या है क्रिप्टोकरंसी
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है। इसे डिजिटल वॉलेट में रखकर ही लेन-देन किया जा सकता है। यह 2009 में सबसे पहले दुनिया के सामने आई। इसके जरिए बिना बैंक को माध्‍यम बनाए लेन-देन किया जा सकता है। हालांकि भारत में इस मुद्रा को न तो आधिकारिक अनुमति है और न ही इसे रेग्युलेट करने का कोई नियम बना है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad