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आइडीबीआइ बैंक में 9,300 करोड़ रुपये अतिरिक्त पूंजी के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी

सरकार ने आइडीबीआइ बैंक में 9,300 करोड़ रुपये की नई पूंजी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है ताकि बैंक अपना...
आइडीबीआइ बैंक में 9,300 करोड़ रुपये अतिरिक्त पूंजी के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी

सरकार ने आइडीबीआइ बैंक में 9,300 करोड़ रुपये की नई पूंजी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है ताकि बैंक अपना पूंजी आधार सुधारकर घाटे से उबर सके। कैबिनेट बैठक के बाद यह जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दी।

बैंक की स्थिति सुधरेगी और फायदे में आएगा- जावड़ेकर

जावड़ेकर ने बताया कि इससे बैंक की स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी और वह फायदे में आ सकेगा। इससे बैंक सामान्य रूप से कर्ज दे सकेगा। सरकार के पास भविष्य में अपना निवेश निकालने का विकल्प भी मिलेगा। बैंक के लिए आवश्यक 9,300 करोड़ रुपये पूंजी में से 4,743 करोड़ रुपये एलआइसी द्वारा लगाए जाएंगे। आइडीबीआइ में अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी के अनुसार एलआइसी 51 फीसदी पूंजी लगाएंगी। बाकी 4,557 करोड़ रुपये सरकार देगी। अपनी 49 फीसदी हिस्सेदारी के अनुसार सरकार को एक बार यह पूंजी देनी होगी।  

बैंक को पीसीए निगरानी से निकलने की भी उम्मीद

सरकार ने इस साल जनवरी में अपनी हिस्सेदारी 86 फीसदी से घटाकर 46.46 फीसदी कर दी थी। उसने अपनी बाकी हिस्सेदारी एलआइसी को बेच दी। इससे एलआइसी की हिस्सेदारी बढ़कर 51 फीसदी हो गई। नई पूंजी मिलने के बाद आइडीबीआइ बैंक को अपने स्तर पर पूंजी और बढ़ाने में कामयाब होने की उम्मीद है। उसे अगले साल तक भारतीय रिजर्व बैंक के त्वरित सुधारात्मक कदम (पीसीए) की निगरानी से बाहर आने की भी आशा है।

सरकार पर नहीं आएगा वित्तीय भार

जावड़ेकर ने बताया कि आइडीबीआइ बैंक में पूंजी बढ़ाने से सरकार पर किसी तरह का वित्तीय बोझ नहीं आएगा क्योंकि यह पूंजी रिकैप बांड के जरिये दी जाएगी। सरकार बैंक में पूंजी डालेगी। उसी दिन बैंक सरकार से रिकैप बांड खरीद लेगा। इस तरह से सरकार की तरलता या बजट प्रावधानों पर इस निवेश का कोई असर नहीं पड़ेगा।

एनपीए 18.8 फीसदी से घटकर 8 फीसदी

उन्होंने कहा कि बैंक को अपने खातों को दुरुस्त करने के लिए एक बार पूंजी की आवश्यकता है। बैंक अपने फंसे कर्ज यानी एनपीए को पहले ही घटाकर इस साल जून में 8 फीसदी पर लाने में कामयाब हो चुका है। जबकि पिछले साल उसका एनपीए 18.8 फीसदी था।

पिछले साल अगस्त में कैबिनेट में एलआइसी को आइडीबीआइ बैंक की हिस्सेदारी बढ़ाकर 51 फीसदी करने और प्रमोटर बनने की अनुमति दी गई थी। इसके लिए एलआइसी ने प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट और ओपन ऑफर के जरिये बाकी पूंजी जुटाई थी।

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