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आरबीआई ने रेपो रेट 0.25% घटाया, घटेगी ईएमआई और किसानों को बिना गारंटी के मिलेगा 1.60 लाख रु तक का लोन

करीब 17 महीने बाद एक बार फिर से आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती कर दी है। बृहस्पतिवार को वित्त वर्ष 2018-19 की...
आरबीआई ने रेपो रेट 0.25% घटाया, घटेगी ईएमआई और किसानों को बिना गारंटी के मिलेगा 1.60 लाख रु तक का लोन

करीब 17 महीने बाद एक बार फिर से आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती कर दी है। बृहस्पतिवार को वित्त वर्ष 2018-19 की आखिरी समीक्षा में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट 0.25 फीसदी घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया है। रिजर्व बैंक के इस कदम से होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन से लेकर बिजनेस लोन तक सस्ते हो सकते हैं। साथ ही पहले से कर्ज ले रखे ग्राहकों की भी ईएमआई घट सकती है। इसके लिए आरबीआई ने किसानों को बड़ी राहत दी है। अब किसानों को 1.60 लाख रुपये तक का कर्ज बिना गारंटी के मिल सकेगा। इसके पहले एक लाख रुपये तक का कर्ज बिना गारंटी के मिलता था।  आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ 7.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।

 

 

रेपो रेट में 0.25 फीसदी कटौती

पीटीआई के मुताबिक, एमपीसी के छह में से चार सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती का समर्थन किया जबकि दो अन्य सदस्यों, विरल आचार्य और चेतन घाटे रेट कट के पक्ष में नहीं थे। अगस्त 2017 के बाद पहली बार रेपो रेट में कमी की गई है। हालांकि आरबीआई ने सीआरआर में कोई कटौती नहीं की है। उसे 4 फीसदी पर बरकरार रखा है।

ग्रोथ रेट 7.4 फीसदी रहने का अनुमान

आरबीआई का कहना है कि 2019-20 में देश की जीडीपी की रफ्तार 7.4% रह सकती है। जबकि महंगाई की दर 2019-20 के पहले क्वार्टर में 3.2, दूसरे में 3.4% और तीसरे हाफ में 3.9 क्वार्टर तक रह सकती है। आरबीआई ने  किसानों को मिलने वाले लोन की सीमा भी बढ़ाई है। अब बिना किसी गारंटी के किसानों को 1.60 लाख तक का लोन मिल सकेगा, पहले ये लिमिट 1 लाख रुपये तक की थी। इसके लिए जल्द ही नोटिस जारी किया जाएगा।

एमपीसी ने उम्मीद के अनुसार नीतिगत रुख को 'नपी-तुली कठोरता' बरतने को बदल कर 'तटस्थ' कर दिया। साथ ही कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और राजकोषीय चुनौतियों के चलते नीतिगत दर में बदलाव नहीं किए जाने की संभावना है। छह सदस्यीय एमपीसी की बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की। आरबीआई गवर्नर बनने के बाद यह उनका पहली एमपीसी बैठक थी।

चालू वित्त वर्ष की आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा

बता दें कि यह चालू वित्त वर्ष की छठी और आखिरी मौद्रिक नीति समीक्षा है। आम तौर पर एमपीसी अपनी समीक्षा को दोपहर में जारी करती है। पिछले तीन बार से अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने रेपो रेट को लेकर स्थिति पहले जैसी बरकरार रखी है। उससे पहले चालू वित्त वर्ष की अन्य दो समीक्षाओं में प्रत्येक बार उसने दरों में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की थी।

दिसंबर में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में नहीं किया था परिवर्तन

इससे पहले दिसंबर 2018 में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में परिवर्तन नहीं किया था, लेकिन वादा किया था कि अगर मुद्रास्फीति का जोखिम नहीं हुआ तो वह दरों में कटौती करेगा। खाद्य कीमतों में लगातार गिरावट के चलते खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2018 में 2.19 प्रतिशत रही जो 18 माह का निचला स्तर है।

रेपो रेट क्या है

बैंकों को अपने नियमित के कामकाज लिए अमूमन बड़ी रकम की आवश्यकता होती है। तब रिजर्व बैंक से रात भर के लिए (ओवरनाइट) कर्ज लेने का विकल्प अपनाते हैं। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है।

आम आदमी पर क्या असर पड़ता है?

दरअसल, रेपो रेट कम होने से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है और इसके चलते बैंक आम लोगों को दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दरों में भी कमी करते हैं ताकि अधिक से अधिक रकम कर्ज के तौर पर दी जा सके। अब यदि रेपो दर में बढ़ोतरी की जाती है तो इसका सीधा अर्थ यह होता है कि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से रात भर के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। ऐसे में जाहिर है कि बैंक दूसरों को कर्ज देने के लिए जो ब्याज दर तय करेंगे वह भी उन्हें बढ़ाना होगा।

 

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