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जीएसटी की राह में हैं अभी कई चुनौतियां

महत्वपूर्ण कर सुधारों वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक सोमवार को लोकसभा में आएगा। लोकसभा में भी इसे लगभग सभी दलों का समर्थन मिलना लगभग तय माना जा रहा है। कुछ संशोधनों के साथ राज्यसभा में यह पहले ही पारित हो चुका है।
जीएसटी की राह में हैं अभी कई चुनौतियां

सरकार ने इसे एक अप्रैल 2017 से लागू करने की समय सीमा तय की है और इस दिशा में एक खाका भी तैयार कर लिया है। किन्तु विशेषज्ञों को इसके तय सीमा पर लागू होने की आशंका है। वजह है वे चुनौतियां जिनसे अभी पार पाना बाकी है।

संसद से पारित होने के 30 दिन के भीतर जीएसटी विधेयक को कम से कम 16 राज्यों की विधानसभाओ से मंजूरी मिलना जरूरी है। सरकार को उम्मीद है कि अगले 30 दिन में 16 राज्य संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे देंगे। विधेयक के कानून बनने के बाद कैबिनेट जीएसटी परिषद गठित करने की मंजूरी देगा।

जीएसटी परिषद में केन्द्र तथा राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। परिषद ही तय करेगी कि जीएसटी दर क्या होगी। टैक्स की दर क्या हो, इस पर खींचतान होगी। इस मुद्दे पर राज्य सरकारों के मतभेद सामने आते रहे हैं। कांग्रेस टैक्स की अधिकतम सीमा 18 फीसदी रखने की मांग कर रही है, लेकिन सरकार की तरफ से इस बारे में इतना ही कहा गया है कि कर की दर कम रहेगी।

हालांकि अंतिम फैसला परिषद ही करेगी लेकिन साफ है कि इस मसले पर आम सहमति बनाना आसान नहीं होगा। राज्यों के राजस्व आधार का आकलन तथा मुआवजा भी ऐसा मसला है जिससे पार पाना सरल नहीं होगा। राज्यों को मुआवजे के बारे में राजस्व सचिव हसमुख अधिया कह ही चुके हैं कि जीएसटी दर तय होने के बाद ही राशि का निर्धारण हो सकता है।

छूट वाली वस्तुओं की सूची पर निर्णय, केन्द्र और राज्यों का दोहरा नियंत्रण न हो यह सुनिश्चित करना निश्चय ही बड़ी चुनौती होगी। कारोबार सीमा क्या हो, राज्यों के साथ इस पर विचार-विमर्श चल रहा है। केन्द्र और राज्यों दोनों की राय इस बारे में अलग हैं। यह ऐसा मसला है जो समय ले सकता है।

जीएसटी लागू करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की ट्रेनिंग और नया आधारभूत ढांचा तय समय सीमा के भीतर तैयार करना भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा। जीएसटी के लिए सॉफ्टवेयर तैयार करने की सीमा दिसंबर 2016 तय की गई है। हालांकि सरकार जोर-शोर से लगी हुई है लेकिन समय निश्चित ही कम है। जानकारों का मानना है कि मौजूदा सिस्टम से नए सिस्टम में प्रवेश करना आसान नहीं होता। टैक्स के मामले में तो अलग- अलग व्याख्याएं होने का अंदेशा बना रहता है। एक समय सीमा में इन चुनौतियों से पार पाना निश्चय ही आसान नहीं होगा।

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