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कोरोना संकट में निजीकरण पर सरकार की चाल और तेज, गिनती के बचेंगे पीएसयू

कोराना वायरस के संकटकाल में सरकार ने निजीकरण की रफ्तार और तेज कर दी है। शनिवार को आठ क्षेत्रों में निजी...
कोरोना संकट में निजीकरण पर सरकार की चाल और तेज, गिनती के बचेंगे पीएसयू

कोराना वायरस के संकटकाल में सरकार ने निजीकरण की रफ्तार और तेज कर दी है। शनिवार को आठ क्षेत्रों में निजी क्षेत्र को ज्यादा आजादी देने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए तर्कसंगट नीति बनाएगी और रणनीतिक क्षेत्रों को परिभाषित किया जाएगा। प्रत्येक रणनीतिक क्षेत्र में चार से ज्यादा पीएसयू नहीं होंगे।

उन्होंने राहत पैकेज की पांचवीं और आखिरी किस्त की घोषणा करते हुए कहा कि रणनीतिक क्षेत्रों की सूची अधिसूचित की जाएगी जिनमें सार्वजनिक उपक्रमों की उपस्थिति बनाए रखने की आवश्यकता होगी।

बाकी पीएसयू का निजीकरण होगा

प्रत्येक रणनीतिक क्षेत्र में कम से कम एक उपक्रम होगा लेकिन निजी क्षेत्र को भी अनुमति दी जाएगी। अन्य सेक्टरों में उपक्रमों का निजीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक खर्च की अपव्ययता घटाने के लिए रणनीतिक क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या एक से चार के बीच होगी। अन्य उपक्रमों का निजीकरण या विलय किया जाएगा। उन्हें होल्डिंग कंपनियों के अधीन भी लाया जा सकता है।

राज्य की कर्ज सीमा बढ़ी

वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों को ज्यादा कर्ज लेने की आवश्यकता पड़ रही है। उनकी वित्तीय दिक्कतों को देखते हुए उनकी कर्ज सीमा उनके ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (एसजीडीपी) के मुकाबले तीन फीसदी से बढ़ाकर पांच फीसदी किया गया है।

निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए कदम

निजी क्षेत्र को राहत देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि स्टॉक एक्सचेंजों में नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचरों की लिस्टिंग कराने वाले कंपनियों को सूचीबद्ध नहीं माना जाएगा। इस तरह उन्हें लिस्टेड कंपनी के तौर पर तमाम तरह के कंप्लायंस से राहत मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार को कंप्लायंस के भार का अहसास है। इसमें राहत देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने कंपनियों को विदेशों में अपनी सिक्योरिटीज के सीधे लिस्टिंग के लिए अनुमति दे दी है।

एमएसएमई को दिवालिया प्रक्रिया से राहत

वित्त मंत्री ने इंसॉल्वेंसी कार्रवाई शुरू के लिए लिमिट एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी है। इससे सूक्ष्म, लघु और मझोली कंपनियों को दिवालिया कानून से राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगले एक साल तक कोई नई दिवालिया प्रक्रिया शुरू नहीं होगी। सरकार ने कोविड-19 के कर्जों को डिफॉल्ट की परिभाषा से बाहर कर दिया है।

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