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सस्ते क्रूड से लॉकडाउन में सरकार ने कमाए 2 लाख करोड़, आम आदमी को राहत का इंतजार

पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले चार दिनों से फिर बढ़ने लगी हैं। आज बुधवार को पेट्रोल 40 पैसे और डीजल 45...
सस्ते क्रूड से लॉकडाउन में सरकार ने कमाए 2 लाख करोड़, आम आदमी को राहत का इंतजार

पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले चार दिनों से फिर बढ़ने लगी हैं। आज बुधवार को पेट्रोल 40 पैसे और डीजल 45 पैसे महंगा हो गया। इसके साथ ही पिछले चार दिनों में पेट्रोल 2.14 रुपये और पेट्रोल 2.23 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है। कोरोना संकट के दौर में रोजगार और काम-धंधे के लिए परेशान लोगों की दिक्कतें मूल्य वृद्धि से और बढ़ेंगी। मार्च से जब विश्व बाजार में क्रूड ऑयल सस्ता हो रहा था, उस समय ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 82 दिनों तक मूल्य की दैनिक समीक्षा बंद रखी लेकिन जैसे ही कच्चा तेल महंगा होने लगा, समीक्षा दोबारा चालू कर दी।

पेट्रोल-डीजल में दो रुपये से ज्यादा वृद्धि

तेल कंपनियों की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, बुधवार को इस बढ़ोतरी के साथ दिल्ली में पेट्रोल 73.40 रुपये और डीजल 71.62 रुपये प्रति लीटर हो गया। पिछले चार दिनों ने पेट्रोल 2.14 रुपये और डीजल 2.23 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया। दिल्ली में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में स्थानीय वैट के अनुसार कीमत में बढ़ोतरी अलग-अलग रही है। पिछले 14 मार्च को सरकार ने जैसे ही पेट्रोल और डीजल पर तीन रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई, उसके बाद से सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) ने कीमत की दैनिक समीक्षा बंद कर दी थी। उन्होंने 16 मार्च के बाद कीमत में कोई संशोधन नहीं किया।

सस्ते क्रूड का फायदा सरकारी खजाने में

पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का संकट गहराने के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था का पहिया रुकने से क्रूड ऑयल की कीमत में गिरावट आने लगी। क्रूड की कीमत घटकर शून्य से नीचे चले जाने पर भी उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई राहत नहीं मिली। क्रूड सस्ता होने पर तेल कंपनियों की लागत घट जाती है, इसके कारण उन्हें दैनिक आधार पर कीमतों की समीक्षा करनी होती है। लेकिन सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर सस्ते क्रूड का फायदा खुद ले लिया।

सरकार को मिले दो लाख करोड़ रुपये

सरकार ने क्रूड ऑयल की कीमत में गिरावट शुरू होने के साथ ही पहले मार्च में पेट्रोल और डीजल पर तीन-तीन रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई। इससे सरकार को 39,000 करोड़ रुपये का सालाना अतिरिक्त राजस्व मिलने की संभावना जताई गई थी। इसके बाद 6 मई को पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर ड्यूटी बढ़ाई। इससे सरकार 1.6 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व हासिल कर सकती है। इस तरह सरकार ने करीब दो लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त राजस्व हासिल कर लिया। यही नहीं, कच्चे तेल में गिरावट के बाद रिटेल कीमत घटाने के बजाय अल्ट्रा-क्लीन बीएस-6 ग्रेड फ्यूल अपग्रेड की लागत को एडजस्ट किया गया। हायर ग्रेड का फ्यूल एक अप्रैल से प्रभावी किया गया है। इस तरह पेट्रोल और डीजल की कीमत में क्रमशः 14 रुपये और 17 रुपये की राहत उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाई। छह मई को एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी होने पर इसका भार तेल कंपनियों ने खुद ही उठाया लेकिन राज्य सरकारों ने वैट में बढ़ोतरी की तो कंपनियों ने इसका भार उपभोक्ताओं पर डाल दिया। पांच मई दिल्ली को दिल्ली सरकार ने पेट्रोल पर वैट 1.67 रुपये और डीजल पर 7.10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी।

मोदी काल में एक्साइज ड्यूटी कई गुना

2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 32.98 रुपये और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर हो चुकी है जबकि 2014 में पेट्रोल पर ड्यूटी 9.48 रुपये और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर थी। एक जून को दिल्ली में डीजल की बेस कीमत (भाड़ा सहित) महज 18.78 रुपये थी। जबकि एक्साइज ड्यूटी, वैट और डीलर कमीशन जोड़कर फुटकर कीमत 69.39 रुपये प्रति लीटर थी। इसी तरह पेट्रोल की भाड़ी सहित बेस कीमत 17.96 रुपये प्रति लीटर थी, जबकि फुटकर में यह 71.26 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा था।

उपभोक्ताओं के लिए मूल्य वृद्धि असहनीय

पेट्रोल और डीजल की कीमत को लेकर सरकार की नीति से अधिकांश उपभोक्ता असहमत नजर आते हैं। दिल्ली के मयूर विहार के रहने वाले नवल गुप्ता कहते है कि कोरोना संकट के चलते लोग नौकरियां जाने, वेतन कटने या फिर कारोबार ठप होने से परेशान है, ऐसे में सरकार की ऐसी मूल्य नीति उपभोक्ताओं की दिक्कतें और बढ़ाएगी। इसी तरह लाल कुआं गाजियाबाद के एक अन्य उपभोक्ता ने कहा कि जब आर्थिक स्थिति ठीक हो तो कीमत में वृद्धि परेशान नहीं करती है, लेकिन इस समय यह कदम असहनीय है। सरकार को इस पर ध्यान अवश्य देना चाहिए।

कंपनियों ने कहा- उथल-पुथल के चलते समीक्षा रोकी

कीमतों की दैनिक समीक्षा रोकने पर अधिकारी कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड में भारी उथल-पुथल होने के कारण यह कदम उठाया गया। बाजार में दोबारा स्थिरता आने पर दैनिक समीक्षा शुरू की गई है। लेकिन अधिकारियों का यह कथन हवाई ईंधन और एलपीजी पर लागू नहीं होता है। कंपनियां इन दोनों उत्पादों की कीमतों में रोजाना बदलाव करती रहीं।

आर्थिक गतिविधियों में तेजी के साथ क्रूड महंगा

दुनिया भर में कोरोना संकट पर कुछ हद तक काबू पाने के बाद अनेक देशों में आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने लगी हैं। इसके कारण क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ने लगी है। मध्य एशिया के ब्रेंट क्रूड की कीमत 40.49 डॉलर प्रति बैरल होग गई है जबकि अमेरिकी क्रूड 38.13 डॉलर पर दर्ज किया गया। क्रूड में तेजी आने के साथ ही भारतीय क्रूड की बास्केट की औसत कीमत भी बढ़ी है। भारतीय बास्केट में ब्रेंट क्रूड की औसत कीमत 42.29 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है। जबकि अप्रैल में इसकी औसत कीमत 19.90 डॉलर प्रति बैरल थी।

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