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कॉर्पोरेट कर की दर चार साल में 25 प्रतिशत होगी: जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारत में व्यक्तिगत आय पर कर की दरों को अधिक तर्कसंगत बनाने और अगले वित्त वर्ष से अगले चार साल के भीतर कंपनी कर की दर को घटाकर 25 प्रतिशत करने का वादा किया है। साथ ही उन्होंने कहा है कि व्यक्तिगत बचत प्रोत्साहित करने वाली रियायतों को छोड़कर आय कर में अन्य छूटें खत्म करने की तैयारी है।
कॉर्पोरेट कर की दर चार साल में 25 प्रतिशत होगी: जेटली

अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में छात्रों और अध्यापकों की सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि घरेलू काले धन की समस्या से निपटने में कराधान को तर्कसंगत बनाने के साथ ज्यादा बैंकिंग लेन-देन और तय सीमा से लेन-देन में पैन कार्ड को अनिवार्य बनाने का दीर्घकालिक असर होगा। कॉर्पोरेट  कर की दर कम हो जाने के बाद छूटों को खत्म करना ही होगा। उन्होंने कहा कि अधिकतर कानूनी विवाद और विशेषाधिकार इन्हीं रियायतों के इर्द-गिर्द हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि विश्व में वृद्धि बढ़ाने के लिए चीन के अलावा अतिरिक्त कंधों की जरूरत है और यह भारत के लिए मौका है। उन्होंने अगले कुछ महीनो में भाजपा नीत सरकार की योजनाओं को खाका पेश करते हुए कहा कि वस्तु एवं सेवा कर :जीएसटी: शीर्ष प्राथमिकता होगी और उन्होंने उम्मीद जताई कि शीतकालीन सत्रा में दिवालियापन संहिता संसद में पेश की जाएगी।

काले धन की समस्या का हवाला देते हुए वित्त मंत्री ने कहा पहला कदम है कि अपनी दरें तर्कसंगत बनाएं, कराधान की दर इस तरह तर्कसंगत बनाएं कि यह सुनिश्चित हो कि लोग इसका अनुपालन करें। उन्होंने कहा दूसरी बात यह है कि अर्थव्यवस्था का स्वरूप बदल रहा है और इतना कि बैंकिंग लेन-देन, भुगतान गेटवे वास्तविकता बन गया है। इन सबसे प्रोत्साहन मिलेगा और इसकी वजह से अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा बैंकिंग लेन-देन के दायरे में आएगा।

जेटली ने कहा कि इसके अलावा सरकार ने बजट में घोषणा की है कि वह कुछ खंडों में नियत सीमा से अधिक लेन-देन के लिए पैन कार्ड अनिवार्य बना रही है। उन्होंने कहा जहां तक कॉर्पोरेट कर का सवाल है जब यह कम होगा तो छूटें खत्म करनी होंगी। उन्होंने कहा, ‘ये ऐसी कार्पोरेट छूटें हैं जो लोगों को मिलती हैं, ज्यादातर मुकदमे और विशेषाधिकार इन्हीं छूटों के इर्द-गिर्द हैं। सबसे बड़ी समस्याओं में एक है कराधान मामलों में विश्वसनीयता।’

उन्होंने कहा जहां तक कराधान मामलों का सवाल है, हमारी ओर से बहुत कुछ करने की जरूरत है ... प्रत्यक्ष कर के लिहाज से हमने विश्व में विश्वसनीयता खो दी। आक्रामक कराधान प्रणाली ने देश का कोई भला नहीं किया है। इससे कर तो आया नहीं लेकिन बदनामी जरूर मिली।

उन्होंने कहा सरकार में किसी के लिए भी यह गंभीर चुनौती होगी कि जिन मामलों में आकलन आदेश जारी हो चुका है उन्हें सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया के द्वारा परे किया जा सकता न कि कार्यकारी आदेश के जरिए। साथ ही कहा कि इनमें से हरेक मुद्दे का समाधान उनके लिए सबसे कठिन चुनौतियों में से हैं। उन्होंने हालांकि संतोष जाहिर किया कि प्रत्यक्ष कर से जुड़े ये सभी मुद्दे अब निपटाए जा रहे हैं।

जेटली ने कहा कि सरकार ने कराधान समस्या के समाधान के हल के लिए कानूनी और शासकीय तरीकों सहित सभी विकल्प खुले रखे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि पिछली तारीख से कराधान का भय .. कमोबेश खत्म दूर किया जा चुका है।’ वित्त वर्ष 2016-17 से कार्पोरेट कर की दर चरणबद्ध तरीके से घटा कर 25 प्रतिशत करने की शुरूआत हो जाएगी। वह व्यक्तिगत बचत को प्रोत्साहित करने वाली रियायतों को छोड़कर ज्यादातर छूटों को खत्म करने पर भी विचार कर रहे हैं। मैं जल्दी ही उन करछूटों के संबंध में अधिसूचना जारी करने वाला हूं जिन्हें इसी साल तर्कसंगत बनाया जाना है।

वृहत्-आर्थिक बुनियादी कारकों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति आम तौर पर नियंत्रण में है और केंद्रीय बैंक ने पिछले 16 महीनों में धीरे ही सही लेकिन दृढ़ता से मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखते हुए रेपो दर में लगभग 1.25 प्रतिशत की कटौती की है। जेटली ने कहा कि राजकोषीय घाटा भी नियंत्रण में है और देश राजकोषीय घाटे का लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में है। इन बुनियादी लक्ष्यों को प्राप्त करने और राजकोषीय सावधानी के बाद हम अगले दो-ढाई साल में (2018 तक) राजकोषीय घाटे को जीडीपी के तीन प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं और हम इसे प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 3.9 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य है।

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