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नए एयरलाइंस की एंट्री से कितना प्रभावित होगा विमानन क्षेत्र?

लोगों को सस्ती कीमत पर हवाई उड़ान प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 'उड़ान' स्कीम लांच कर...
नए एयरलाइंस की एंट्री से कितना प्रभावित होगा विमानन क्षेत्र?

लोगों को सस्ती कीमत पर हवाई उड़ान प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 'उड़ान' स्कीम लांच कर रहे थे तब उन्होंने कहा था कि 'मैं चाहता हूं कि हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई जहाज में सफर करें।' हालांकि 21 अक्टूबर 2016 को लांच हुई उड़ान योजना को अभी तीन साल ही हुए थे कि दुनिया में कोविड-19 ने दस्तक दे दी, नतीजतन भारत समेत वैश्विक हवाई सेवाएं बिल्कुल ठप्प हो गई, जिसका सीधा असर विमानन क्षेत्र के ऊपर भी पड़ा।

नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री वीके सिंह ने दिसंबर 2021 में संसद को जानकारी दी थी कि कोरोना वायरस का प्रभाव विमानन क्षेत्र पर बहुत गहरा पड़ा है। वीके सिंह ने सदन में बताया था कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत में एयरलाइनों को लगभग 19,564 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और महामारी के कारण साल 2021 में घरेलू हवाई यात्रा में 61.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, कोरोना के मामलों में फिर से तीव्र कमी आई है और जिंदगी एक बार फिर से रफ्तार पकड़ती दिखाई दे रही है। इसको ध्यान में रखते हुए 18 अक्टूबर 2022 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घरेलू परिचालन के लिए अनुमानित क्षमता को 100 प्रतिशत तक बहाल कर दिया। सरकार के इस फैसले से विमानन क्षेत्र में उछाल देखने को मिल रहा है। आउटलुक से बात करते हुए बिजनेस कंसल्टिंग ग्रुप केपीएमजी में पार्टनर और ग्लोबल सेक्टर लीड (एयरपोर्ट्स) वासुदेवन एस कहते हैं कि वित्तीय वर्ष 2022 (FY22) में, पिछले वर्ष की तुलना में यात्रियों की आवाजाही में लगभग दोगुनी वृद्धि देखी गई है और यह स्पष्ट रूप से विकास को लेकर एक आशा की एक लौ जलाता है।

डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन द्वारा फरवरी में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिदिन 3.9 लाख यात्री हवाई यात्रा कर रहे हैं। केपीएमजी की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के घटते मामलों के कारण फरवरी 2022 में घरेलू हवाई यातायात में 19% की वृद्धि देखी गयी है। जनवरी 2022 में जहाँ हवाई ट्रैफिक 64 लाख था, वही फरवरी 2022 में यह 76 लाख तक पहुँच गया। नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया विमानन क्षेत्र के भविष्य को लेकर बहुत उत्साहित नजर आ रहे हैं। उनके अनुसार, "आने वाले दो महीनों में एयरलाइन ट्रैफिक कोविड-पूर्व के स्तर तक पहुँच जाएगा।" 

नए खिलाड़ियों की एंट्री और बदलता बाज़ार 

गौरतलब है कि भारत में विमानन क्षेत्र अभी एक उभरता बाज़ार है। इसी बाज़ार क्षमता को टैप करने के लिए कई कंपनियां इसमें पैसे लगाने को तैयार हैं। एयर इंडिया को टाटा ग्रुप द्वारा फिर से संचालित करना, जेट एयरवेज की इस सेक्टर में दूसरी पारी खेलने की तैयारी और आने वाले समय में स्टॉक मार्केट के बिगबुल राजेश झुनझुनवाला की एयरलाइन 'अकासा' के डेब्यू से एविएशन सेक्टर में एक उत्साह देखा जा रहा है। नई कंपनियों के बाजार में आने से विमानन क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा, इसपर आउटलुक से बात करते हुए क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के वाइस प्रेसिडेंट सुप्रियो बनर्जी कहते हैं, "इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं। नई एयरलाइनों का प्रवेश हमेशा  प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है।" वो आगे कहते हैं, "हालांकि किसी भी एयरलाइन की बढ़ती ईंधन लागत के प्रबंधन के साथ-साथ अपने ग्राहकों को बेहतर उड़ान अनुभव प्रदान करने की क्षमता एयरलाइंस कंपनियों की दीर्घकालिक स्थिरता की कुंजी बनेंगी।"

नए एयरलाइंस की एंट्री से पहले से स्थापित एयरलाइंस पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसपर क्रिसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवाइजरी के पार्टनर और एडवाइजर जय नारायण पद्मनाभन ने कहा, "विमानन क्षेत्र मे नए एयरलाइंस के प्रवेश से वैसी एयरलाइंस प्रभावित हो सकती हैं, जिनकी बाजार में हिस्सेदारी 10 से 12 प्रतिशत है।"

विशेषज्ञों का मानना है कि इस सेक्टर में उतरने वाली सभी एयरलाइंस को बाजार में बने रहने के लिए प्राइज और बेहतर सुविधाएं प्रदान करने पर जोर देना होगा। राकेश झुनझुनवाला की कम्पनी अकासा एक 'लो कास्ट एयरलाइन' है, जिसकी लागत काफी कम होने वाली है। अकासा ने अपने वक्तव्य में पहले ही साफ कर दिया है कि 'अकासा सभी भारतीयों को उनकी सामाजिक-आर्थिक या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना सेवा प्रदान करेगी।' 

बता दें कि अकासा अल्ट्रा-लो-कॉस्ट कैरियर (ULCC) स्ट्रेटजी पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ऐसे में कंपनी के लिए राजस्व पक्ष महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इसके किराए कम होंगे और इसे सहायक राजस्व पर बहुत अधिक ध्यान देना होगा। हालांकि, लो-कॉस्ट कैरियर फ्लाइट्स, फूल सर्विस एयरलाइंस की तुलना में अपने कनेक्टिविटी और कम लागत के वजह से हमेशा से फायदे में रहती हैं। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो कम लागत वाली भारत की सबसे बड़ी बजट एयरलाइन इंडिगो की कुल आय में नवीनतम दिसंबर तिमाही में ₹10,330.2 करोड़ (25%) की वृद्धि देखी है। वहीं, भारत की तीसरी सबसे बड़ी बजट एयरलाइन स्पाइस जेट ने इसी क्वाटर में 23.28 करोड़ रुपये की शुद्ध मुनाफा कमाया है। 

विशेषज्ञों का मानना है कि बाज़ार में प्रवेश करने वाले नए एयरलाइंस के लिए यह महत्वपूर्ण होगा कि वे लागत प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखें और ग्राहकों को कम पैसे में ज्यादा वैल्यू प्रदान करें। यदि नए कैरियर्स का किराया अधिक होगा तो वे ज्यादा लाभदायक नहीं हो सकते हैं।

गौरतलब है कि बाजार में लो-कॉस्ट कैरियर एयरलाइंस की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए गो एयर भी अल्ट्रा-लो-कॉस्ट कैरियर मॉडल पर बड़ा दांव लगा रही है। गो एयर के सीईओ कौशिक खोना ने एक साक्षात्कार में कहा कि अल्ट्रा-लो-कॉस्ट कैरियर मॉडल गो एयर को एक अद्वितीय विकास मार्ग पर ले जाएगा। 

आखिर एयरलाइंस की सफलता किस बात पर निर्भर होता है? इसपर आउटलुक को वासुदेवन बताते हैं कि भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में कम लागत वाले वाहकों की सफलता काफी हद तक एयरलाइनों द्वारा बुनियादी सेवाओं के साथ-साथ प्रति सीट न्यूनतम किराया चार्ज करने पर निर्भर करता है।"

जाहिर है कि जितनी एयरलाइंस बाजार में आएंगी प्रतिस्पर्धा उतनी ही बढ़ेगी और इसका सीधा असर एयरलाइंस के किराए पर भी देखने को मिल सकता है। अकासा का डेब्यू, जेट एयरवेज़ और टाटा का फिर से नए रूप में बाज़ार में उतरने से विमानन क्षेत्र में एक जबरदस्त 'फेयर-वार' देखने को मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो विस्तारा जैसी फूल सर्विस एयरलाइंस (FSA) के ऊपर इसका गहरा वित्तीय प्रभाव पड़ सकता है। पूर्व में जेट एयरवेज, किंगफिशर जैसी एयरलाइंस के बंद होने का सबसे बड़ा कारण यही था कि यह कम्पनियां स्पाइस जेट और इंडिगो जैसी लो कॉस्ट कैरियर एयरलाइंस से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाई थी।

उज्ज्वल भविष्य

कोरोना संबंधित प्रतिबंधों के हटने के साथ ही लोगों ने 'रेवेंज टूरिज्म' शुरू कर दिया है, जिसके वजह से आने वाले समय में विमानन क्षेत्र के ग्रोथ में तीव्र उछाल देखे जाने की संभावना है। इसके अलावा, सरकार की महत्वाकांक्षी उड़ान योजना के तहत एविएशन कनेक्टिविटी पर अभूतपूर्व जोर दिया गया है। उड़ान के तहत कुछ टियर -2, टियर-3 शहरों में भी कनेक्टिविटी बढ़ने जा रही है।

विमानन क्षेत्र के विश्लेषक भी इस बात की उम्मीद जता रहे हैं कि आने वाले कुछ तिमाहियों के बाद यह क्षेत्र बेहतर प्रदर्शन करेगा। क्रिसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवाइजरी के पार्टनर और एडवाइजर जय नारायण पद्मनाभन ने कहा, "ओवरऑल मार्केट के स्तर पर आने वाले समय में विकास बहुत बेहतर होगा और आने वाले चार तिमाहियों में विमानन क्षेत्र का ग्रोथ प्री-कोविड स्तर पर पहुँच जाएगा।"

जानकारों का कहना है कि महामारी के चलते भारी नुकसान का सामना करने के बाद विमानन क्षेत्र एक बार फिर से उड़ान भरने को तैयार है और सही सरकारी नीतियां, टियर-2 और टियर-3 शहरों को हवाई मार्गों से जोड़ना, बाज़ारों में नए एयरलाइंस की एंट्री से प्रतिस्पर्धा का बढ़ने और कोरोना के घटते मामलों के बीच मार्केट को फिर से खोले जाने के बाद यह माना जा रहा है कि आने वाले कुछ तिमाहियों में विमानन क्षेत्र कोरोना-पूर्व के स्तर पर पहुँच जाएगा और उसके बाद यह सेक्टर पीछे मुड़कर नहीं देखेगा।

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