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थोक महंगाई चार साल के उच्चतम स्तर पर, खुदरा दर में भी हुई थी बढ़ोतरी

देश में महंगाई की मार झेल रही जनता को फिलहाल राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। हाल ही में खुदरा महंगाई दर...
थोक महंगाई चार साल के उच्चतम स्तर पर, खुदरा दर में भी हुई थी बढ़ोतरी

देश में महंगाई की मार झेल रही जनता को फिलहाल राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। हाल ही में खुदरा महंगाई दर में हुई 5 फीसदी बढ़ोतरी के बाद अब देश में थोक महंगाई दर काफी बढ़ गई है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर जून, 2018 में 5.77 फीसदी हो गई। यह महंगाई पिछले चार साल में सर्वाधिक है। 

एएनआई के मुताबिक, देश में थोक महंगाई दर बढ़कर साढ़े चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। जून महीने में थोक महंगाई दर बढ़कर 5.77 फीसदी पर पहुंच गई। मई महीने में यह 4.43 फीसदी थी। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, जून 2017 में थोक मंहाई दर 0.90 फीसदी थी।

महंगाई दर चार साल में सर्वाधिक

सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, प्राथमिक वस्तुओं की कीमतों में 2.0 फीसदी, ईंधन और पावर बास्केट के मूल्यों में 3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। ये महंगाई दर 4.93 फीसदी के अनुमान से कहीं अधिक है। बता दें कि मई में महंगाई दर 15 महीनों में सर्वाधिक रही थी और 4.43 तक पहुंच गई थी। अब यह महंगाई दर चार साल में सर्वाधिक है।

आम आदमी पर महंगाई की मार

आम आदमी पर महंगाई की मार खाने-पीने की चीजों की महंगाई जून 2018 में 1.80 फीसदी रही जो मई में 1.60 फीसदी थी। सब्जियों की महंगाई जून में बढ़कर 8.12 फीसदी हो गई। मई में सब्जियों की कीमतें 2.51% बढ़ी थीं। बिजली और ईंधन क्षेत्र की मुद्रास्फीति दर जून में बढ़कर 16.18% हो गई जो मई में 11.22% थी।

पिछले दिनों बढ़ी  थी खुदरा महंगाई दर

गौरतलब है कि इससे पहले 12 जुलाई को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों को मुताबिक, खुदरा महंगाई दर जून के महीने में बढ़कर 5 फीसदी हो गई। मई में यह 4.87 फीसदी थी। बीते 5 महीनों में जून में खुदरा महंगाई दर सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है।

केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार खाने-पीने के सामान में महंगाई दर कम होकर जून में 2.91 फीसदी पर आ गई। जबकि मई में खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर 3.1 फीसदी रही थी।

हालांकि, फ्यूल और पावर सेगमेंट में मुद्रास्फीति बढ़कर जून में 7.14 फीसदी पर पहुंच गयी जो कि मई में 5.8 फीसदी पर आई थी। सरकार ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति चार फीसदी के आसपास रखने का निर्देश दिया है। रिजर्व बैंक को इसे चार फीसदी से दो फीसदी अधिक या कम के दायरे का लचीलापन भी दिया गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ब्याज दरों की समीक्षा के लिए इस महीने के बाद में बैठक करने वाली है।

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