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सितंबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 5.13 प्रतिशत हुई, अगस्त में थी 4.53 फीसदी

सितंबर में थोक महंगाई दर पिछले महीने के मुकाबले बढ़ गई है। सितंबर में थोक मूल्य कीमत सूचकांक...
सितंबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 5.13 प्रतिशत हुई, अगस्त में थी 4.53 फीसदी

सितंबर में थोक महंगाई दर पिछले महीने के मुकाबले बढ़ गई है। सितंबर में थोक मूल्य कीमत सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) 5.13 फीसदी हो गया है, जो अगस्त में 4.53 फीसदी था।

 आंकड़ों के मुताबिक खाद्य पर्दाथों की कीमतों में तेजी आने के कारण थोक महंगाई दर में इजाफा हुआ है। इस दौरान खाद्य महंगाई दर -2.25 फीसदी से बढ़कर 0.14 फीसदी हो गया है। अगस्त में थोक महंगाई 3 महीने के निचले स्तर पर आ गई थी। जुलाई में डब्ल्यूपीआई 5.09 फीसदी और बीते साल सितंबर में 3.14 फीसदी पर था।

सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, प्राइमरी आर्टिकल्स WPI -0.15 फीसदी से बढ़कर 2.97 फीसदी हो गया है। खाद्य पदार्थों की महंगाई दर -2.25 फीसदी से बढ़कर 0.14 फीसदी हो गई है। दालों की थोक महंगाई दर -14.26 फीसदी से बढ़कर -18.14 फीसदी और आलू की थोक महंगाई दर 71.89 से बढ़कर 80.13 फीसदी हो गई है। हालांकि प्याज की थोक महंगाई -20.80 से बढ़कर -25.43 रही है।

सितंबर में फ़यूल और पावर की थोक महंगाई दर 17.73 से घटकर 16.65 फीसदी हो गई है। वहीं, सितंबर में मैन्युफैक्चरिंग महंगाई 4.43 से घटकर 4.22 फीसदी रही है।

क्या है थोक महंगाई दर?

हम हमेशा जानने की कोशिश करते हैं कि महंगाई का पता कैसे लगता है। महंगाई जानने के कई तरीके हैं। भारत में सबसे प्रमाणिक तरीका है थोक बिक्री मूल्य में हो रहे उतार-चढ़ाव को मापना। इसके लिए एक सूचकांक (इंडेक्स) है जिसे थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) कहते हैं। थोक मूल्य सूचकांक के बढ़ने का मतलब हुआ महंगाई में तेजी और इसके गिरने का मतलब हुआ महंगाई में कमी। इस सूचकांक में 435 अलग-अलग वस्तुओं का लेखा-जोखा रखा जाता है। सूचकांक में शामिल हर वस्तु को एक वजन दिया गया है। इस आधार पर तय किया गया है कि किन वस्तुओं की हमारी जिंदगी में कितनी अहमियत है।

भारत में नीतियों के निर्माण में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर का इस्तेमाल किया जाता रहा है। थोक बाजार में वस्तुओं के समूह की कीमतों में सालाना तौर पर कितनी बढ़ोत्तरी हुई है इसका आकलन महंगाई के थोक मूल्य सूचकांक के जरिए किया जाता है। भारत में इसकी गणना तीन तरह की महंगाई दर, प्राथमिक वस्तुओं, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई में बढ़त के आधार पर की जाती है। अभी तक भारत में वित्तीय और मौद्रिक नीतियों के कई फैसले थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर के हिसाब से ही की जाती रही है।

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