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राष्ट्रपति कोविंद के 'सीएए ने गांधी के सपनों को पूरा किया' वाले बयान पर संसद में विपक्ष का हंगामा

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ आज यानी शुक्रवार से संसद में बजट सत्र शुरू हो रहा है। वित्त...
राष्ट्रपति कोविंद के 'सीएए ने गांधी के सपनों को पूरा किया' वाले बयान पर संसद में विपक्ष का हंगामा

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ आज यानी शुक्रवार से संसद में बजट सत्र शुरू हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में आर्थिक सर्वे 2019-20 पेश करेंगी। इसके एक दिन बाद यानी शनिवार को (1 फरवरी) को आम बजट पेश किया जाएगा। शुक्रवार को बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से हुई। राष्ट्रपति ने नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा को देश को कमजोर करने का प्रयास करार दिया। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) महात्मा गांधी का सपना था और इस कानून को बनाकर राष्ट्रपिता के सपने को साकार करने का काम किया गया है। उनके इस बयान को लेकर संसद में विपक्षी नेताओं ने हंगामा किया और जमकर नारेबाजी भी की।

राष्ट्रगान के साथ शुरू हुए अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह दशक भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दशक में हमारी स्वतंत्रता के 75 साल पूरे हुए। मेरी सरकार के प्रयास से इस सदी को भारत की सदी बनाने की मजबूत नींव रखी जा चुकी है। राष्ट्रपति ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि पर फैसले के बाद जनता ने जिस तरह से परिपक्वता का परिचय दिया वह प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि विरोध के नाम पर हिंसा देश को कमजोर करती है।

उन्होंने कहा कि इस लोकसभा के पहले सत्र में कार्य निष्पादन पिछले वर्षों में एक रेकॉर्ड रहा है। इस बीच महिलाओं को न्याय देने वाला तीन तलाक कानून, अनियमित जमा योजना प्रतिबंध कानून, चिटफंड संशोधन कानून, यौन अपराधों की सजा सख्त करने वाला कानून जैसे ऐतिहासिक कानून बनाए गए हैं। अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि पूज्य बापू जी ने स्वच्छता को ईश्वर से भी ऊपर बताया था। हमारा दायित्व है कि गांव और शहरों को और भी साफ सुथरा बनाएं।

 

हिंसा समाज और देश को कमजोर करती है

 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामजन्मभूमि पर फैसले के बाद देशवासियों द्वारा जिस तरह परिपक्वता से व्यवहार किया गया, वह भी प्रशंसनीय है। मेरी सरकार का स्पष्ट मत है कि पारस्परिक चर्चा-परिचर्चा तथा वाद-विवाद लोकतंत्र को और सशक्त बनाते हैं। वहीं, विरोध के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा, समाज और देश को कमजोर करती है। सरकार द्वारा पिछले पांच वर्षों में जमीनी स्तर पर किए गए सुधारों का ही परिणाम है कि अनेक क्षेत्रों में भारत की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अभूतपूर्व सुधार आया है। मेरी सरकार, ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के मंत्र पर चलते हुए, पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम कर रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार की योजनाओं ने हर धर्म के गरीबों को सुविधाएं पहुंचाई हैं। क्या जम्मू-कश्मीर के लोग उन मूलभूत अधिकारों के अधिकारी नहीं हैं जो पूरे देश को दिए जाते हैं। हमने करोड़ों स्वतंत्रता सेनानियों का सपना साकार किया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को बाकी देशवासियों की तरह अधिकार मिले हैं।

 

सात महीनों में संसद ने स्थापित किए काम करने के नए कीर्तिमान

 

हमारा संविधान, इस संसद से तथा इस सदन में उपस्थित प्रत्येक सदस्य से राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए देशवासियों की आशाओं-आकांक्षाओं की पूर्ति करने और उनके लिए आवश्यक कानून बनाने की अपेक्षा भी रखता है। मुझे प्रसन्नता है कि पिछले सात महीनों में संसद ने काम करने के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस लोकसभा के पहले सत्र में, सदन द्वारा कार्य निष्पादन, पिछले सात दशकों में एक नया रिकॉर्ड रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 के अंत में जम्मू-कश्मीर में पंचायतों में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न हुए थे। वहां ब्लॉक डेवेलपमेंट काउंसिल के भी चुनाव कराए गए। अब वहां कई योजनाओं का पारदर्शी तरीके से पूरा लाभ मिल रहा है। मेरी सरकार ने रेकॉर्ड समय में करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण करके इसे राष्ट्र को समर्पित किया।

अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को हटाया जाना ऐतिहासिक है

संसद के दोनों सदनों द्वारा दो तिहाई बहुमत से संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को हटाया जाना, न सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि इससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के समान विकास का भी मार्ग प्रशस्त हुआ है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का तेज विकास, वहां की संस्कृति और परंपराओं की रक्षा, पारदर्शी व ईमानदार प्रशासन और लोकतंत्र का सशक्तीकरण, मेरी सरकार की प्राथमिकताओं में हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जहां मार्च 2018 तक जम्मू-कश्मीर में लगभग 3,500 घर बनाए गए थे, वहीं दो साल से भी कम समय में 24,000 से ज्यादा घरों का निर्माण पूरा किया गया है।

पीएम मोदी ने की मीडिया से बात 

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस सत्र में हम इस दशक की मजबूत नींव रखें। यह सत्र मुख्य रूप से आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित होगा। मैं चाहता हूं कि दोनों सदनों में इन मुद्दों पर अच्छी बहस हो।

हमारी सरकार की नीति लोगों को मबजूत करने की रही

पीएम नरेंद्र मोदी ने बजट सत्र में अच्छी चर्चा की उम्मीद करते हुए कहा कि यह सत्र इस दशक के उज्ज्वल भविष्य की नींव मजबूत करने वाला रहेगा। पीएम मोदी ने सत्र से पहले कहा कि बजट सत्र का उपयोग अच्छी चर्चा के लिए हो। पीएम ने कहा कि हमारी सरकार की नीति लोगों को मबजूत करने की रही है।

'2020 का और दशक का यह पहला सत्र है'

पीएम ने कहा, '2020 का और दशक का यह पहला सत्र है। हम सबका प्रयास रहना चाहिए कि इस दशक के उज्ज्वल भविष्य के लिए मजबूत नींव डालने वाला यह सत्र बने। आज राष्ट्रपति के संबोधन के बाद सत्र में शनिवार को आम बजट पेश किया जाएगा।' पीएम ने विपक्ष का बिना नाम लिए उम्मीद जताई कि इस सत्र में अच्छी और व्यापक चर्चा होगी।

यह सत्र अधिकतम आर्थिक विषयों पर केंद्रित रहने वाला हो

मोदी ने कहा कि यह सत्र अधिकतम आर्थिक विषयों पर केंद्रित रहने वाला हो। उन्होंने कहा, 'इस सत्र में हमें व्यापक चर्चा करनी चाहिए। हम वैश्विक आर्थिक परिदृश्य से कैसे फायदा उठा सकते हैं, अपनी आर्थिक गतिविधि को और अधिक मजबूत करते हुए वैश्विक परिवेश का लाभ हमें मिले, इसपर चर्चा होनी चाहिए।'

पीएम ने कहा कि उनकी सरकार की पहचान दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित और महिलाओं को मजबूत बनाने वाली रही है। उन्होंने कहा, 'इस दशक में भी हमारा प्रयास उसी दिशा में रहेगा। मैं चाहता हूं सदन में आर्थिक विषयों और लोगों को मजबूत करने वाले विषयों पर व्यापक और अच्छी चर्चा हो।' उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि दिनोंदिन हमारी चर्चा का स्तर अधिक समृद्ध होता रहेगा।

बजट से पहले जारी किया जाएगा आर्थिक सर्वेक्षण 

बजट सत्र के दूसरे दिन यानी कल (शनिवार) को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करेंगी। बजट से पहले सदन में आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया जाएगा। आज संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संबोधित करेंगे। बजट सत्र का पहला चरण 11 फरवरी तक चलेगा। इसके बाद एक अंतराल के बाद इसका दूसरा हिस्सा 2 मार्च से शुरू होकर 3 अप्रैल तक चलेगा। आज से शुरू हो रहे संसद के बजट के पहले सत्र में कई मुद्दों पर घमासान होने की उम्मीद है। विपक्ष के तेवर देखने से लग रहा है कि नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। 

ये हैं आर्थिक सर्वेक्षण से जुड़ी अहम बातें

1- वित्त मंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार ही आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी करते हैं। सभी की निगाहें मौजूदा वित्त वर्ष के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पर होंगी, जो पूरे वर्ष के आर्थिक प्रदर्शन पर एक विस्तृत रिपोर्ट होगी।

2- इस रिपोर्ट में बीते वर्ष की आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट का आकलन किया जाता है कि सरकार की योजनाओं, नीतिगत चुनौतियों और आवश्यक सुझाव जैसे तमाम मुद्दों की रिपोर्ट दी जाती है।

3- इस रिपोर्ट के आधार पर मुख्य आर्थिक सलाहकार भी नीतिगत बदलावों की सिफारिश कर सकते हैं। यह देश में आर्थिक मामलों की स्थिति से आम लोगों को अवगत कराता है।

4- इस रिपोर्ट के जरिए सरकार प्रमुख आर्थिक फैसलों के बारे में जागरूक करती है, जो आम लोगों के जीवन को काफी हद तक प्रभावित करता है। इस वक्त अर्थव्यवस्था लंबे समय तक मंदी के दौर से गुजरी है तो ऐसे में रिपोर्ट चौंकाने वाली हो सकती है।

5- सरकार ने सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत से कम 4.5 प्रतिशत से अधिक और उपभोक्ता मुद्रास्फीति दिसंबर में 7.35 प्रतिशत तक पहुंच का आकलन किया था। 2014 के बाद से सबसे खराब स्तर दर्ज हुआ है। आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुस्त अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और उपभोक्ता मांग और निवेश को सीमित करने के लिए सीमित किया है।

2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य

पिछले साल आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने 2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा था। 824 प्रतिशत जीडीपी विकास दर हासिल करने के महत्वाकांक्षी एजेंडे को सरकार लगातार दोहरा रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार को आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में पेश करना है। उन्हें वर्तमान आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखना होगा और साथ ही साथ पीएम मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य से भी पीछे नहीं हटना होगा।

विपक्षी दलों ने की इन मुद्दों पर व्यापक चर्चा की मांग

संसद के बजट सत्र से पहले गुरुवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में ज्यादातर विपक्षी दलों ने सीएए, एनआरसी से जुड़ा मुद्दा उठाया, साथ ही अर्थव्यवस्था और महंगाई पर व्यापक चर्चा की मांग की। जम्मू-कश्मीर में पूर्व मुख्यमंत्रियों को रिहा करने की मांग भी उठी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों से सहयोग देने की अपील की और सभी दलों को उनकी बात रखने का पर्याप्त मौका देने का आश्वासन दिया। विपक्ष के तेवर से साफ है कि संसद का बजट सत्र हंगामेदार रहेगा।

सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों पर सरकार का रुख नकारात्मक

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने बैठक के बाद कहा कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों पर सरकार का रुख नकारात्मक है। उसने प्रदर्शनकारियों से सम्पर्क करने की कोई कोशिश नहीं की। पिछले करीब सवा महीने से देश की आधी आबादी सड़कों पर है। महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग इस ठंड में धरना दे रहे हैं, आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार को कोई परवाह नहीं है। हालांकि, संसदीय मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि विपक्ष को आत्मावलोकन करना चाहिए क्योंकि सीएए लोकतांत्रिक तरीके से संसद में पारित हुआ है।

सरकार का ध्यान सिर्फ विधेयक पारित कराने पर

विपक्षी दलों ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला की तत्काल रिहाई की मांग की। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार का ध्यान सिर्फ विधेयक पारित कराने पर है, विपक्ष भी देशहित में विधेयक पारित करने में सहयोग करेगा लेकिन कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए। देश की आर्थिक स्थिति खराब है, बेकारी और बेरोजगारी है। कश्मीर में तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंद रखा गया है। हम इन सभी मुद्दों पर चर्चा चाहते हैं।

विपक्ष चाहेगा कि सरकार इन मुद्दों पर संवेदनशील हो, इन पर सदन में चर्चा हो और इनका समाधान निकले। द्रमुक और वाम दलों ने भी कहा कि बैठक में सीएए, फारूख अब्दुल्ला की रिहाई के मुद्दे को उठाया गया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने सरकार के कुछ मंत्रियों और भाजपा के कुछ सांसदों द्वारा अभद्र शब्दों के इस्तेमाल के मुद्दे को भी उठाया।  यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री ने विपक्ष की ओर से उठाये गए मुद्दों पर क्या प्रतिक्रिया दी, शर्मा ने कहा कि उन्होंने ये बातें ध्यान से सुनीं। 

बैठक में आजाद के अलावा आनंद शर्मा, अधीर रंजन चौधरी, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा, एनसीपी की सुप्रिया सुले, बसपा के रितेश पांडे, बीजद के प्रसन्न आचार्य आदि शामिल हुए। सरकार की ओर से प्रधानमंत्री मोदी के अलावा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, आरपीआई के रामदास अठावले, लोजपा के चिराग पासवान आदि मौजूद थे।

सत्र में आएंगे 45 विधेयक

बजट सत्र की जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि पहला चरण 31 जनवरी से 11 फरवरी ( 9 बैठकें) और दूसरा चरण दो मार्च से तीन अप्रैल (22 बैठकें) तक चलेगा। बजट सत्र में सात वित्त संबंधी विधेयकों के साथ 45 विधेयक लाए जाएंगे। इनमें दो विधेयक अध्यादेशों का स्थान लेंगे।

संसद परिसर में आज धरना देगी कांग्रेस

सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए शुक्रवार को संसद परिसर में बजट सत्र की शुरुआत से पहले सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर सोनिया गांधी की अगुआई में विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया और 'गोली मारना बंद करो' के नारे लगाए। 

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