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दो साल से आरबीआई और सरकार के बीच चल रही थी खींचतान, इसलिए मजबूर हुए उर्जित पटेल

पिछले कुछ महीनों से केंद्र सरकार के साथ चल रही तनातनी के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित...
दो साल से आरबीआई और सरकार के बीच चल रही थी खींचतान, इसलिए मजबूर हुए उर्जित पटेल

पिछले कुछ महीनों से केंद्र सरकार के साथ चल रही तनातनी के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसके पीछे व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है। आरबीआई की स्वायत्तता सहित कई मुद्दों को लेकर सरकार के साथ मतभेद की खबरों के बाद यह अटकलें लगाई जा रहीं थीं कि वह पद छोड़ सकते हैं। हालांकि 19 नवंबर को आरबीआई की बोर्ड बैठक के बाद विवाद सुलझता हुआ नजर आ रहा था। लेकिन, सोमवार को अचानक उर्जित पटेल ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया।

दरअसल, सितंबर 2016 में उर्जित पटेल रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर नियुक्त होने के बाद से ही आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच किसी न किसी मुद्दे को लेकर तनातनी जारी थी। दोनों के बीच आरबीआई एक्ट की धारा 7, एसएमई को ज्यादा कर्ज देने, बैंकों पर सख्ती और नोटबंदी को लेकर विवाद एक अहम मुद्दा रहा है। इन सबके बीच 2019 के अंत तक यानी पटेल का कार्यकाल खत्म होने से 9 महीने पहले ही स्थिति ऐसी हो गई कि उन्हें इस पद से इस्तीफा देना पड़ा। 

आइए जानते हैं उन विभिन्न मु्द्दों के बारे में जिन्हें लेकर आरबीआई और सरकार के बीच जारी रहा विवाद- 

- आरबीआई ने प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) की रूपरेखा के तहत कुछ नियम तय किए थे। यही सरकार और आरबीआई गवर्नर के बीच विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा था। रिजर्व बैंक ने 12 बैंकों को त्वरित कारवाई की श्रेणी में डाला। ये नया कर्ज नहीं दे सकते, नई ब्रांच नहीं खोल सकते और न ही डिविडेंड दे सकते हैं।

- सरकार पीसीए नियमों में ढील चाहती है ताकि कर्ज देना बढ़ सके। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि बैंकों की बैलेंस शीट और न बिगड़े, इसलिए रोक जरूरी है।

- अंतर-मंत्रालय समिति ने अलग पेमेंट-सेटलमेंट रेगुलेटर की सिफारिश की। रिजर्व बैंक इसके खिलाफ था। उसका अभी भी यही कहना है कि यह आरबीआई के अधीन हो। इसका प्रमुख आरबीआई गवर्नर ही हो।

- एनपीए और विल्फुल डिफॉल्टरों पर अंकुश लगाने के लिए आरबीआई ने 12 फरवरी को नियम बदले। कर्ज लौटाने में एक दिन की भी देरी हुई तो डिफॉल्ट मानकर रिजॉल्यूशन प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी। सरकार ने इसमें ढील देने का आग्रह किया, लेकिन आरबीआई नहीं माना।

- नीरव मोदी का पीएनबी फ्रॉड सामने आने के बाद सरकार ने रिजर्व बैंक की निगरानी की आलोचना की तो आरबीआई गवर्नर ने ज्यादा अधिकार मांगे ताकि सरकारी बैंकों के खिलाफ कारवाई की जा सके।

- सरकार रिजर्व बैंक से ज्यादा डिविडेंड चाहती है ताकि अपना घाटा कम कर सके। आरबीआई का कहना है कि सरकार इसकी स्वायत्तता को कम कर रही है। अभी इसकी बैलेंस शीट मजबूत बनाने की जरूरत है।

सितंबर 2016 में बने थे गवर्नर

पटेल सितंबर 2016 में रिजर्व बैंक के 24वें गवर्नर नियुक्त किए गए थे। वह तीन साल के लिए नियुक्त किए गए थे। इससे पहले वह रिजर्व बैंक में ही डेप्युटी गवर्नर थे।सितंबर 2019 में पटेल का कार्यकाल खत्म होने वाला था। 

अब आरबीआई के मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेर सकता है विपक्ष

आरबीआई गवर्नर ने ऐसे समय में इस्तीफा दिया है जब एक दिन बाद ही संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है। सोमवार को ही विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की रणनीति बनाने के लिए बैठक भी की है। राफेल, बेरोजगारी, किसान समेत कई मसलों को लेकर पहले से ही केंद्र पर हमलावर विपक्ष अब आरबीआई के मुद्दे पर भी मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर सकता है।

बयानों से भी चर्चा में रहा विवाद

विरल आचार्य

डिप्टी गवर्नर, आरबीआई

सरकारें केंद्रीय बैंक की आजादी का सम्मान नहीं करेंगी तो उन्हें बाद में पछतावा होगा कि एक महत्वपूर्ण संस्था को कमतर आंका गया।

 रघुराम राजन

पूर्व गवर्नर आरबीआई

आरबीआई सीट बेल्ट की तरह है। यह फैसला सरकार को करना है कि वह सीट बेल्ट पहनना चाहती है या नहीं।

 अरूण जेटली

वित्त मंत्री

शीर्ष बैंक 2008 से 2014 के बीच अंधाधुंध कर्ज देने वाले बैंकों पर अंकुश लगाने में नाकाम रहा, वे सच्चाई पर पर्दा डालते रहे।

 

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