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कारोबारी मसले पर ट्रंप ने भारत को फिर निशाना बनाया, अत्यधिक आयात शुल्क मंजूर नहीं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ज्यादा आयात शुल्क लगाने के लिए भारत पर फिर से हमला किया है।...
कारोबारी मसले पर ट्रंप ने भारत को फिर निशाना बनाया, अत्यधिक आयात शुल्क मंजूर नहीं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ज्यादा आयात शुल्क लगाने के लिए भारत पर फिर से हमला किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क की ऊंची दर स्वीकार नहीं की जाएगी। अमेरिका भले ही भारत को बड़ा सामरिक सहयोगी बताता हो लेकिन वह कारोबारी मसलों पर भारत के प्रति अत्यंत सख्त रुख अपनाए हुए हैं। इससे लगता नहीं है कि प्रस्तावित वार्ताओं में आसानी से दोनों पक्षों के बीच सहमति बन पाएगी।

बातचीत के लिए सहमति के बाद भी कड़ा रुख

ट्रंप ने ट्वीट किया कि भारत लंबे अरसे से अमेरिकी वस्तुओं पर अत्यधिक आयात शुल्क वसूल रहा है। अब इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। दोनों देशों के बीच कारोबारी मतभेदों को सुलझाने के लिए भारत और अमेरिका के बीच बातचीत के लिए सहमति बनने के कुछ दिनों के बाद डोनाल्ड की यह टिप्पणी आई है। जापान के ओसाका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच जी20 समिट के मौके पर बातचीत के बाद दोनों पक्षों के बीच कारोबारी मतभेद सुलझाने के लिए यह पहली बातचीत होगी।

मोदी के साथ वार्ता में दिखी थी नरमी

ट्रंप अत्यधिक शुल्क लगाने का आरोप लगाते हुए भारत की लगातार आलोचना करते रहे हैं। हालांकि मोदी के साथ बातचीत में उन्होंने नरम रुख दिखाया और कारोबारी मुद्दे बातचीत से सुलझाने पर सहमति दिखाई।

भारत से छीन ली थी जीएसपी की सुविधा

दोनों देशों के बीच कारोबारी वार्ता तब सुस्त पड़ गई जब अमेरिका ने जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंसेज (जीएसपी) प्रोग्राम के तहत भारत की सुविधा छीन ली थी। जीएसपी के तहत विकासशील देश होने के नाता भारत से तमाम वस्तुओं का अमेरिका में शुल्क मुक्त आयात हो सकता था। लेकिन अमेरिका ने पिछले पांच जून को भारत से यह सुविधा छीन ली। 1974 में लागू जीएसपी प्रोग्राम अमेरिका की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी ट्रेड प्रिफरेंस स्कीम है। इसके तहत भारत समेत लाभार्थी देशों से हजारों वस्तुओं के अमेरिका में शुल्क मुक्त आयात की छूट थी। इसके जवाब में भारत ने दो सप्ताह से कम समय में अमेरिका की 25 वस्तुओं के आयात पर शुल्क बढ़ा दिया।

पोंपियो दौरे में दिखी थी प्रतिबद्धता

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो के नई दिल्ली दौरे के समय भारत और अमेरिका ने माना कि दोनों देशों के बीच कारोबारी मतभेद हैं। उन्होंने इन मतभेदों को सुलझाने की प्रतिबद्धता जताई थी। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बातचीत के बाद पोंपियो ने मीडिया से कहा था कि दोनों देशों को कारोबारी मुद्दे सुलझाने के लिए रचनात्मक और व्यावहारिक नजरिया अपनाना चाहिए। जयशंकर ने दोनों देशों के बीच व्यापार को आसान बनाने के लिए प्रतिबद्धता जताई थी। पिछले साल भारत ने अमेरिका के स्टील और एल्यूमीनियम पर जवाबी कार्रवाई के तहत आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा की थी। जबकि पोंपियो ने कहा था कि अच्छे दोस्तों के बीच मतभेद भी होते हैं। दोनों देशों को मुद्दे सुलझाने की आवश्यकता है क्योंकि दोनों ओर असंख्य अवसर मौजूद हैं।

भारत को दिया नाटो देशों के समान दर्जा

कारोबारी मुद्दों के अलावा सामरिक मसलों पर भी भारत और अमेरिका के बीच खींचतान बनी हुई है। हाल में अमेरिका ने भारत को नाटो देशों के समान दर्जा दिया था। अमेरिका संसद ने भारत को यह दर्जा देने के लिए एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बाद अमेरिका अपने नाटो सहयोगी देशों जैसे इजरायल और दक्षिण कोरिया की तर्ज पर भारत के साथ डील करेगा।

ईरान से तेल आयात बंद करने को मजबूर किया

इसके विपरीत अमेरिका ने ईरान से कच्चा तेल आयात बंद करने को मजबूर कर दिया। ईरान के साथ परमाणु समझौता रद्द करने के बाद अमेरिका ने उस पर नए आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। जिनके तहत भारत समेत तमाम देश ईरान से कुछ भी आयात नहीं कर सकते हैं। जबकि भारत के लिए ईरान पारंपरिक रूप से कच्चे तेल का प्रमुख सप्लायर रहा है। लेकिन भारत को ईरान से कच्चा तेल इस साल मई में रोक देना पड़ा। अमेरिका में भारतीय राजदूत ने इसकी पुष्टि की थी।

अमेरिका से कच्चा तेल आयात चार गुना

दूसरी ओर, अमेरिका से भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति अनायास बढ़ गई। सरकार आंकड़ों के मुताबिक, बीते वित्त वर्ष के दौरान अमेरिका से कच्चे तेल का आयात चार गुना बढ़कर 64 लाख टन हो गया।

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