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'रूह अफजा' फिर से बाजार में मौजूद, कंपनी ने कहा- सभी प्रमुख दुकानों से खरीदा जा सकता है

इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है और इस्लाम धर्म के पाक महीने 'रमजान' की शुरुआत होने के साथ ही बाजार में रूह...
'रूह अफजा' फिर से बाजार में मौजूद, कंपनी ने कहा- सभी प्रमुख दुकानों से खरीदा जा सकता है

इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है और इस्लाम धर्म के पाक महीने 'रमजान' की शुरुआत होने के साथ ही बाजार में रूह अफजा की कमी हो गई थी। इसी बीच रूह अफजा बनाने वाली कंपनी हमदर्द लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड ने कहा है कि रूह अफजा अब बाजार में मौजूद है और इसे सभी प्रमुख दुकानों से खरीदा जा सकता है। कंपनी ने कहा कि मांग ज्यादा होने की वजह से कुछ समय के लिए इसकी आपूर्ति में कमी आई थी।

सोशल मीडिया पर भी इसकी कमी की खूब चर्चा हुई। रूह अफजा के शौकीन लोगों को जब इसके नहीं मिलने की खबर मिली तो विश्वास करना मुश्किल था क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि रूह अफजा की कमी 1906 से अभी तक कभी नहीं हुई थी। हालांकि रूह अफजा के बाजार से गायब होने की खबर पर कुछ लोगों ने कहा कि यह केवल अफवाह है, लेकिन लोग जब बाजार पहुंचे तो अफवाह हकीकत में बदल गई। वहीं, दुकानदार भी इससे परेशान हैं और हों भी क्यों गर्मियों में सबसे ज्यादा बिकने वाला प्रोडक्ट जो है। 

दरअसल सालों से गर्मी की शुरुआत होते ही टीवी पर रूह अफजा का विज्ञापन दिखने लगता था, लेकिन इस बार गर्मी चरम पर पहुंच चुकी है और रूह अफजा की कहीं कोई खोज खबर नहीं है। वहीं, इस मामले पर कंपनी ने आधिकारिक तौर पर तो नहीं लेकिन ये जरूर माना है कि बाजार में इस पेय पदार्थ की कमी है और ऐसा कच्चे माल की कमी होने की वजह है। कंपनी ने कुछ ही वक्त में सप्लाई बढ़ाने की बात कही है।

रमजान और रूह अफजा कनेक्शन

वहीं रमजान और रूह अफजा के कनेक्शन की बात करें तो ऐसा कहा जाता है कि दिनभर रोजा रखने वाले मुस्लिम जब शाम को इफ्तार करते हैं तो रूह अफजा के शर्बत से ही गले को तर करते हैं, लेकिन इस बार बहुत से लोग इससे महरूम हैं।ॉ

पाकिस्तान ने की भारत में रूह अफजा भेजने की पेशकश

इसे लेकर अब पाकिस्तानी कंपनी हमदर्द ने भारत में रूह अफजा की आपूर्ति करने की पेशकश की है। एक भारतीय समाचार साइट के एक लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए, हमदर्द पाकिस्तान के मुख्य कार्यकारी उसामा कुरैशी ने वाघा बॉर्डर के रास्ते से भारत में यहां की सरकार की तरफ से आदेश मिलने के बाद लोकप्रिय रूह अफजा की आपूर्ति करने की पेशकश की है।

कुरैशी ने अपने ट्वीटर हैंडल में ट्वीट करते हुए लिखा, 'हम रमजान में भारत को रूह अफजा और रूह अफजा गो मुहैया करा सकते हैं। भारत सरकार इजाजत दे तो हम वाघा बॉर्डर के रास्ते से रूह अफजा और रूह अफजा गो ट्रक भेज सकते हैं।'

कंपनी ने माना मार्केट में है रूह अफजा की कमी

हमदर्द इंडिया कंपनी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर 'आउटलुक' को बताया कि बाजार में रूह अफजा की कमी है और धीरे-धीरे इस कमी को पूरा किए जाने की ओर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ हफ्तों में ही इस कमी को पूरा कर लिया जाएगा। 

कंपनी का यह है दावा

न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, रूह अफजा को भारत में चार से पांच महीनों के लिए बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन स्टोर पर भी यह उपलब्ध नहीं है। कंपनी ने इस कमी के पीछे कच्चे माल की कमी का उत्पादन रुकने की वजह बताया। बताया जा रहा है कि कंपनी कई महीनों का कच्चा माल स्टॉक में रखती है, लेकिन इस बार कुछ कमी हो गई है। जिन हर्बल्स का कंपनी इस्तेमाल करती है वह सामान्य रूप से उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। यही वजह है कि बाजरा में रूह अफजा की कमी देखने को मिल रही है। 

जानें कहां से आया रूह अफजा   

1900 के दशक में यूनानी चिकित्सा व्यवसायी हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने पुरानी दिल्ली के लाल कुआं बाजार में 'हमदर्द' नाम का दवाखाना खोला। 1907-1908 के आसपास, हकीम मजीद ने दिल्ली की गर्म लू की हवाओं से निपटने के लिए 'रूह अफजा' नामक पेय की खोज की। देखते ही देखते जो एक दवाखाना शुरू किया गया था वो अब पेय की वजह से पहचाना जाने लगा।

 

1947 तक, रूह अफजा दिल्ली में और संयुक्त प्रांत में हर किसी रसोई में पाया जाने लगा। जब देश में बंटवारे का माहौल था और इसमें 'हमदर्द' भी बंट गया और अब्दुल के मरने के बाद उनके छोटे बेटे हकीम मोहम्मद सईद ने पाकिस्तान जा कर वहां कराची से हमदर्द की शुरूआत की। भारतीय हमदर्द की तर्ज पर ये कंपनी भी खोली गई और आज पाकिस्तान में यह जाना पहचाना ब्रांड है। हमदर्द की शाखाएं भारत और पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश में भी है।

हर कोई रूह अफजा मिस कर रहा है

एक उपभोक्ता ने ट्वीट किया, 'सालों से रूह अफजा इफ्तार का अहम हिस्सा रहा है। आज हर कोई #Roohafza मिस कर रहा है।' इस तरह के कई ट्वीट वायरल हो रहे हैं।

 


 

एक यूजर ने लिखा है ने लिखा है कि ऐसे कैसे गर्मी कटेगी।

 

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