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कोरोना का असर, रिटेलर अपने कर्मचारियों की संख्या में कर सकते हैं 20 फ़ीसदी की कटौती

कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन से उपजे संकट से रिटेलर अपने कर्मचारियों की संख्या में करीब 20 फीसदी की...
कोरोना का असर, रिटेलर अपने कर्मचारियों की संख्या में कर सकते हैं 20 फ़ीसदी की कटौती

कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन से उपजे संकट से रिटेलर अपने कर्मचारियों की संख्या में करीब 20 फीसदी की कटौती कर सकते हैं। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक सर्वे में यह बात सामने आई है। एसोसिएशन ने देश के अलग-अलग हिस्सों के 768 रिटेलर्स के बीच यह सर्वे किया जिनमें 3,92,963 लोग काम करते हैं।

78,500 कर्मचारियों की हो सकती है छंटनी

सर्वे के नतीजों के अनुसार छोटे रिटेलर कर्मचारियों की संख्या में 30 फ़ीसदी, मझोले आकार के रिटेलर 12 फ़ीसदी और बड़े रिटेलर 5 फ़ीसदी घटाने की सोच रहे हैं। सभी रिटेलर्स को मिलाया जाए तो 20 फ़ीसदी कर्मचारियों की कटौती हो सकती है। संख्या के लिहाज से या आंकड़ा 78,592 बैठता है।

सर्वे में शामिल 65 फ़ीसदी रिटेलर 100 से कम कर्मचारियों वाले

छोटे रिटेलर्स के यहां 100 से कम लोग काम करते हैं। मझोले रिटेलर्स के यहां 100 से 1000 तक कर्मचारी होते हैं। 1000 से ज्यादा कर्मचारी वाले बड़े रिटेलर हैं। सर्वे में शामिल रिटेलर्स में रिटेलर्स में 65 फ़ीसदी छोटे, 24 फ़ीसदी मझोले और 11 फ़ीसदी बड़े रिटेलर थे।

नॉन फूड रिटेलर्स को पिछले साल की तुलना में 40 फ़ीसदी रेवेन्यू का अनुमान

सर्वे में शामिल 95 फ़ीसदी नॉन फूड रिटेलर्स ने बताया कि 25 मार्च से लागू लॉक डाउन के बाद उनकी दुकानें बंद हैं। फिलहाल उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। अगले 6 महीने के दौरान भी उन्हें पिछले साल की तुलना में 40 फ़ीसदी कम रेवेन्यू मिलने का अंदेशा है। खाने पीने का सामान बेचने वाले रिटेलर्स की उम्मीदें भी ज्यादा नहीं है। उन्हें लगता है कि अगले 6 महीने में उनका रेवेन्यू पिछले साल की तुलना में 56 फ़ीसदी ही रहेगा। ज्यादातर फूड रिटेलर जरूरी के साथ गैर जरूरी वस्तुएं भी बेचते हैं। लेकिन इन दिनों गैर जरूरी वस्तुओं की बिक्री पर पाबंदी लगी हुई है जिससे उनका रेवेन्यू बहुत कम रह गया है।

मध्यम अवधि में ऑटोमोबाइल कंपनियों की मुश्किलें बरकरार रहेंगी: जेफरीज

विदेशी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने मंगलवार को ऑटोमोबाइल बिक्री से संबंधित अनुमान जारी किए। इसका मानना है कि मध्यम अवधि में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का संघर्ष जारी रहेगा। कोविड-19 महामारी के अलावा इसकी एक और वजह बीएस 6 मानकों के कारण लागत में बढ़ोतरी होना है। हालांकि यात्री वाहनों और कमर्शियल वाहनों में स्थिति थोड़ी बेहतर रह सकती है। रिप्लेसमेंट मांग के चलते कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री जारी रहेगी जिससे इंडस्ट्री को कुछ हद तक उबरने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में ग्रोथ या डिमांड को लेकर कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है।

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