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रियल्टी मार्केट की हालत नोटबंदी के समय जैसी खस्ताहाल, छह महीने ऐसी ही रहेगी स्थितिः सर्वे

देश में रियल एस्टेट मार्केट की हालत नोटबंदी के दौर जैसी हो गई है। इस मार्केट का सेंटीमेंट इंडेक्स...
रियल्टी मार्केट की हालत नोटबंदी के समय जैसी खस्ताहाल, छह महीने ऐसी ही रहेगी स्थितिः सर्वे

देश में रियल एस्टेट मार्केट की हालत नोटबंदी के दौर जैसी हो गई है। इस मार्केट का सेंटीमेंट इंडेक्स गिरकर उस स्तर पर पहुंच गया है जिस स्तर पर नोटबंदी के बाद गिरा था। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के तमाम उपायों के बावजूद रियल्टी मार्केट के हालात अगले छह महीनों तक निराशाजनक बने रहने का अनुमान है।

सेंटीमेंट इंडेक्स गिरकर 42 पर रह गया

उद्योग संगठन फिक्की, नेरेडको और प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक के ताजा सर्वे के अनुसार रियल्टी मार्केट का सेंटीमेंट इंडेक्स जुलाई-सितंबर तिमाही में गिरकर 42 पर रह गया है। जबकि उससे पहले की अप्रैल-जून तिमाही में यह इंडेक्स 47 और उससे पहले वाली तिमाही में 62 पर था।

2016 की आखिरी तिमाही में 41 पर था इंडेक्स

मौजूदा वर्ष की तीसरी तिमाही के रियल एस्टेट सेंटीमेंट इंडेक्स रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडेक्स का इतना निचला स्तर 2014 में चुनाव से पहले अनिश्चितता के दौर में और 2016 की आखिरी तिमाही में रहा था। 2016 की आखिरी तिमाही में यह इंडेक्स 41 का स्तर छू गया था।

फ्यूचर इंडेक्स भी सर्वकालिक निचले स्तर पर

रिपोर्ट के अनुसार यही नहीं, फ्यूचर सेंटीमेंट इंडेक्स चालू वर्ष की तीसरी तिमाही में सर्वकालिक न्यूनतम स्तर यानी 49 पर रह गया। इंडेक्स से स्पष्ट संकेत मिलता है कि रियल्टी सेक्टर भारी दबाव में है। इंडेक्स अगर 50 के ऊपर रहता है तो आशावादी माना जाता है जबकि 50 पर होने की स्थिति में स्थिर माना जाता है। अगर इंडेक्स इससे नीचे है तो निराशाजनक माना जाता है।

सरकारी उपायों से दूर नहीं हुई निराशा

नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा कि सरकार के तमाम उपायों के बावजूद मांग कमजोर रहने के कारण रियल एस्टेट मार्केट के सेंटीमेंट निराशाजनक हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि पहली बार बाजार से जुड़े लोगों की ओर से अगले छह महीनों के दौरान रियल एस्टेट सेक्टर और देश की अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को लेकर मिला-जुला रुख देखने को मिला है।

उपायों से नॉन-अफोर्डेबल मार्केट को फायदा नहीं

बैजल ने कहा कि वित्त मंत्री की ओर से रियल्टी सेक्टर में सुधार के लिए जो भी उपाय किए गए हैं, वे मुख्य तौर पर सप्लाई साइड की चुनौतियों को सुलझाने के लिए हैं। सरकारी कदम विशेष रूप से सस्ते मकानों और फ्लैटों को ध्यान में रखकर उठाए गए। विशाल नॉन-अफोर्डेबल सेगमेंट को इन घोषणाओं से कोई फायदा नहीं मिला।

हालांकि कॉमर्शियल स्पेस में सुधार संभव

बैजल का कहना है कि सप्लाई साइड के उपायों से मांग नहीं बढ़ी है। वित्तीय अनिश्चितता के चलते ग्राहक प्रॉपर्टी खरीदने से बच रहे हैं। सिर्फ सप्लाई साइड के उपायों से रियल्टी मार्केट की स्थिति में सुधार मुश्किल है। हालांकि कॉमर्शियल रियल्टी सेक्टर में स्थिरता दिखाई दे रही है। अगले छह महीनों में ऑफिस स्पेस सप्लाई भी सुधरने की उम्मीद दिखाई दे रही है।

तिमाही सेंटीमेंट इंडेक्स में डेवलपर्स, प्राइवेट इक्विटी फंड, बैंक और, बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और कंसल्टेंट जैसे सप्लाई साइड के पक्षों से बात करके बाजार की स्थिति समझने का प्रयास किया गया है। इस सर्वे में उनसे अर्थव्यवस्था, नए लांच हुए प्रोजेक्टों, बिक्री, लीजिंग, मूल्य वृ्द्धि और फंडिंग पर सवाल किए गए थे। सर्वे में उद्योग के करीब 200 लोगों से तय पैरामीटर पर सवाल किए गए और उनके जवाब के आधार पर निष्कर्ष निकाले गए।

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