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आरबीआई के आरक्षित कोष पर सुझाव के लिए बिमल जालान की अध्यक्षता में बनी समिति

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने लिए आरक्षित कोष के उचित आकार बारे में सुझाव देने के लिए पूर्व...
आरबीआई के आरक्षित कोष पर सुझाव के लिए बिमल जालान की अध्यक्षता में बनी समिति

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने लिए आरक्षित कोष के उचित आकार बारे में सुझाव देने के लिए पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। यह समिति इस बारे में सुझाव देगी कि केंद्रीय बैंक के आरक्षित कोष का आकार क्या होना चाहिए और उसे सरकार को कितना लाभांश देना चाहिए।

वहीं इस समिति में आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव राकेश मोहन को उपाध्यक्ष बनाया गया है। समिति में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन भी रखे गए हैं। समिति के अन्य सदस्यों में भरत दोषी और सुधीर मांकड़ भी शामिल हैं। दोनों केंद्रीय बैंक के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि विशेषज्ञ समिति अपनी पहली बैठक से 90 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। समिति को इस बारे में वैश्विक स्तर पर अपनाए जाने वाले व्यवहार का अध्ययन करने और यह सिफारिश देने को कहा गया है कि क्या केंद्रीय बैंक के पास आरक्षित कोष और ‘बफर’ पूंजी आवश्यकता से अधिक है।

पूर्व गवर्नर और सरकार के बीच थे मतभेद

बता दें कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल तथा सरकार के बीच केंद्रीय बैंक के पास पड़े अतिरिक्त कोष को लेकर मतभेद थे। रिजर्व बैंक के पास उसके पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में ऐसी 9.6 लाख करोड़ रुपये की पूंजी दिखायी गयी है। वित्त मंत्रालय का विचार है कि रिजर्व बैंक अपनी कुल संपत्ति के 28 प्रतिशत के बराबर बफर पूंजी रखे हुए है जो वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा रखे जाने वाली आरक्षित पूंजी की तुलना में बहुत ऊंचा है। इस बारे में वैश्विक नियम 14 प्रतिशत का है।

पटेल ने मोहन की नियुक्ति के प्रस्ताव का किया था विरोध 

रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने 19 नवंबर की बैठक में इस बारे में सुझाव देने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन का फैसला किया था। हालांकि, इस समिति के स्वरूप की घोषणा नहीं की जा सकी थी क्योंकि दोनों पक्षों में राकेश मोहन की भूमिका को लेकर मतभेद थे। हाल में गवर्नर पद से इस्तीफा देने वाले उर्जित पटेल ने मोहन की नियुक्ति के प्रस्ताव का विरोध किया था। पटेल ने 10 दिसंबर को गवर्नर पद से इस्तीफा दिया। एक दिन बादर आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव शक्तिकान्त दास को रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया गया।

 

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