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लॉकडाउन में ढील के बावजूद शुरू नहीं हो सका उत्पादन, एमएसएमई के सामने श्रमिकों की समस्या

सरकार ने भले लॉकडाउन के तीसरे चरण में ढील देते हुए 4 मई से अनेक आर्थिक गतिविधियों की अनुमति दी है, लेकिन...
लॉकडाउन में ढील के बावजूद शुरू नहीं हो सका उत्पादन, एमएसएमई के सामने श्रमिकों की समस्या

सरकार ने भले लॉकडाउन के तीसरे चरण में ढील देते हुए 4 मई से अनेक आर्थिक गतिविधियों की अनुमति दी है, लेकिन सोमवार को देश के ज्यादातर हिस्से में फैक्ट्रियों में कामकाज शुरू नहीं हो सका। कहीं उद्यमी गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुरूप कोविड-19 से बचाव के उपाय करने में जुटे हैं, तो कहीं राज्य सरकारों की तरफ से अभी अनुमति नहीं मिली है। महानगर समेत ज्यादातर बड़े शहर रेड जोन में होने के चलते ईकॉमर्स कंपनियों के लिए डिलीवरी बढ़ाना फिलहाल मुश्किल हो रहा है, तो रिटेलर्स ने दिशानिर्देशों पर सरकार से कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं। केंद्र के निर्देशों के बाद भी राज्यों को जमीनी हालात को देखते हुए कामकाज शुरू करने की इजाजत देनी पड़ती है। राज्य, केंद्र के दिशानिर्देशों में ढील नहीं दे सकते, हालांकि वे इससे ज्यादा सख्ती बरत सकते हैं।

राज्य सरकारों से अनुमति मिलने का इंतजार

एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम के चेयरमैन रजनीश गोयनका ने ‘आउटलुक’ को बताया कि फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू होने में दो-चार दिन लग सकते हैं। गृह मंत्रालय ने कोविड-19 से बचाव के लिए कई मानक तय किए हैं। ज्यादातर इकाइयों में पहले सैनिटाइजेशन किया जाएगा, उसके बाद ही काम शुरू हो सकता है। उन्होंने बताया कि मजदूरों की भी समस्या आने वाली है, क्योंकि अनेक मजदूर अपने गांव लौट गए हैं। जो हालात हैं, उन्हें देखते हुए लगता है कि 20 से 30 फीसदी एमएसएमई इकाइयां बंद हो जाएंगी।

तमिलनाडु स्मॉल एंड टाइनी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन प्रेसिडेंट एस. अंबुराजन ने भी कहा कि औद्योगिक इकाइयों में 30 से 40 फीसदी काम करने वाले प्रवासी होते हैं। इनमें से ज्यादातर लौट गए हैं। उनके बिना उत्पादन शुरू करना मुश्किल होगा। राज्य सरकार ने नगर निगम से बाहर स्थित फैक्ट्रियों में 6 मई से उत्पादन शुरू करने की अनुमति दी है। हालांकि इनमें 50 फीसदी लोगों के साथ ही काम शुरू किया जा सकता है। निगम क्षेत्र में उत्पादन शुरू करने के लिए जिला प्रशासन की अनुमति लेनी पड़ेगी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के बाद देश में सबसे ज्यादा एमएसएमई इकाइयां तमिलनाडु में हैं।

सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व प्रेसिडेंट सुरेश संथालिया ने बताया कि राज्य में औद्योगिक गतिविधियां नहीं के बराबर चल रही हैं। जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, तब से झारखंड की औद्योगिक राजधानी जमशेदपुर ग्रीन जोन में है। यहां 50 फीसदी क्षमता के साथ फैक्ट्री खोलने की अनुमति तो दे दी गई है, लेकिन दुकानें अभी बंद हैं। कच्चे माल की सप्लाई की भी समस्या है।

बड़े शहर रेड जोन में होने से ई-कॉमर्स कंपनियों के सामने दिक्कत

सरकार ने ईकॉमर्स कंपनियों को ऑरेंज और ग्रीन जोन में गैर-जरूरी वस्तुओं की डिलीवरी की अनुमति दी है, लेकिन इनका कामकाज भी गति पकड़ने में अभी वक्त लगेगा। सभी महानगर और अन्य बड़े शहर रेड जोन में हैं और वहां ईकॉमर्स कंपनियों को सिर्फ जरूरी वस्तुओं की सप्लाई की ही अनुमति है। रिटेलर्स ने भी सरकार से दिशानिर्देशों के कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। जैसे, ‘नेबरहुड और स्टैंडअलोन शॉप’ के दायरे में कौन सी दुकानें आएंगी। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार केंद्र के बाद राज्यों के भी दिशानिर्देश आने हैं। कई राज्यों में इनके नहीं आने से भ्रम की स्थिति है। संगठित रिटेल की दुकानें खुलेंगी या नहीं, इस पर भी भ्रम है। फ्यूचर ग्रुप के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी ग्रीन जोन में स्थित स्टोर खोलने की अनुमति ले रही है।

अप्रैल में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में रिकॉर्ड गिरावट

फैक्ट्रियां बंद रहने के कारण अप्रैल में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का पीएमआई इंडेक्स सिर्फ 27.4 रह गया, जो मार्च में 51.8 था। पीएमआई के आंकड़े 15 साल से दर्ज किए जा रहे हैं। इसमें इतनी गिरावट पहले कभी नहीं आई थी। इंडेक्स के 50 से कम रहने का मतलब निगेटिव ग्रोथ है। ये आंकड़े जारी करने वाली संस्था आईएचएस मार्किट के अनुसार मांग खत्म होने के कारण मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छंटनी की है।

66 फीसदी कंपनियों ने नई भर्तियां टालीः केपीएमजी

केपीएमजी के एक सर्वे के अनुसार 66 फीसदी कंपनियों ने नई भर्तियां फिलहाल टाल दी हैं। हालांकि आईटी, फार्मा और उपभोक्ता वस्तु बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां नई भर्तियां करेंगी। यही नहीं, 36 फीसदी कंपनियों ने वेतन का बजट घटा दिया है और 50 फीसदी ने वेतन का बजट पिछले साल जितना ही रखने का फैसला किया है। एडवाइजरी, ऑटोमोबाइल, शिक्षा, एनर्जी, तेल एवं गैस सेक्टर के 40 फीसदी से ज्यादा संस्थानों ने वेतनवृद्धि टालने का निर्णय लिया है। सर्वे में शामिल 22 फीसदी कंपनियों ने कहा कि अगर कोविड-19 महामारी जारी रही तो उन्हें इन्सेंटिव रोकना पड़ सकता है।

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