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कोविड-19 पर फिक्की की रिपोर्ट- महामारी से उद्योग को बचाने के लिए सस्ते कर्ज की दरकार

पूरी दुनिया में भयानक महामारी का रूप ले चुके कोविड-19 का असर भले ही देश में अभी सीमित है लेकिन...
कोविड-19 पर फिक्की की रिपोर्ट- महामारी से उद्योग को बचाने के लिए सस्ते कर्ज की दरकार

पूरी दुनिया में भयानक महामारी का रूप ले चुके कोविड-19 का असर भले ही देश में अभी सीमित है लेकिन अर्थव्यवस्था पर इसका असर दिखने लगा है। उद्योग संगठन फिक्की के एक सर्वे का संकेत है कि 53 फीसदी भारतीय उद्योगों पर इसका असर शुरूआती अवस्था में ही दिखने लगा है। 15 मार्च से 19 मार्च के बीच 317 कंपनियों के बीच किए गए सर्वे से उद्योगों पर असर का अनुमान लग रहा है। फिक्की ने महामारी पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक विकास दर और सुस्त पड़ने की आशंका है, इसलिए उद्योग जगत को आसान कर्ज दिया जाना चाहिए और ब्याज दर घटानी चाहिए।

आधी से ज्यादा कंपनियों पर व्यापक असर

सर्वे के अनुसार सिर्फ 19 फीसदी कंपनियों पर कोरोना वायरस का असर सीमित है। 53 फीसदी कंपनियों पर व्यापक असर पड़ रहा है। सर्वे में शामिल तीन चौथाई कंपनियों ने ऑर्डरों में भारी कमी आने की बात कही है। 50 फीसदी ने तो ऑर्डरों में 20 फीसदी से भी ज्यादा कमी की आशंका जताई है। 35 फीसदी कंपनियों ने बिक्री घटने के कारण स्टॉक बढ़ने की बात मानी है। अन्य 50 फीसदी कंपनियों ने स्टॉक 15 फीसदी से ज्यादा बढ़ने की जानकारी दी है। इसी तरह 80 फीसदी कंपनियों ने कैश फ्लो घटने के संकेत दिए हैं। 40 फीसदी कंपनियों ने कैश फ्लो में 20 फीसदी से ज्यादा कमी आने की जानकारी दी है। 60 फीसदी कंपनियों ने सप्लाई चेन पर भी असर पड़ने की बात कही है। कंपनियों को हालात और बिगड़ने की आशंका है।

हालात सामान्य होने में छह महीने लगेंगे

कोरोना वायरस फैलने के बाद कंपनियों को कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए उपाय करने पड़ रहे हैं। 40 फीसदी ने कर्मचारियों के प्रवेश के कड़े नियम और डिसइन्फेक्शन की व्यवस्था की है। 30 फीसदी कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था लागू की है। 80 फीसदी कंपनियों को हालात सामान्य होने में छह महीने का वक्त लगने का अनुमान है।

अर्थव्यवस्था में सुधार और मुश्किल

अर्थव्यवस्था के बारे में फिक्की कहना है कि कोरोना वायरस के चलते पहले से ही सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में सुधार आने की उम्मीद लगभग खत्म हो गई है। मध्यम अवधि तक रफ्तार सुधरने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। पिछली कई तिमाहियों से विकास दर बेहद सुस्त चल रही थी। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में विकास दर घटकर छह साल के निचले स्तर 4.7 फीसदी रह गई।

इन उद्योगों पर सर्वाधिक असर

फिक्की का कहना है कि ट्यूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी और एविएशन उद्योग पर इस महामारी का सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। सिनेमा, थिएटर और शॉपिंग मॉल्स में फुटफॉल घटने और नौकरियां जाने से रिटेल, कंस्ट्रक्शन और एंटरटेनमेंट सेक्टर पर भी असर पड़ रहा है। वित्तीय क्षेत्र और सप्लाई चेन पर भी महामारी का व्यापक असर पड़ रहा है। चीन में वायरस फैलने के कारण वहां के बाजार पर निर्भर सीफूड, पेट्रोकेमिकल्स, जेम्स एंड ज्वैसरी आदि उद्योगों पर भी असर दिखाई दे रहा है। अंकटाड के अनुसार भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर 34.8 करोड़ डॉलर का असर पड़ने का अंदेशा है। भारत दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले 15 देशों में शामिल है।

ब्याज दर घटाने का सुझाव

फिक्की ने सुझाव दिया है कि इस संकट से निपटने में उद्योगों की मदद के लिए ब्याज दरें घटाई जानी चाहिए। बैंकों की ओर से पर्याप्त कर्ज सुलभ कराने की भी मांग की गई है। दबावग्रस्त उद्योगों के कर्जों के रिशिड्यूलिंग और कॉरपोरेट बांड और कॉमर्शियल पेपर मार्केट में तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआइ के हस्तक्षेप का भी सुझाव दिया गया है।

कोविड-19 से निपटने को प्राइवेट सेक्टर भी सक्रिय

उद्योग संगठन फिक्की कोविड-19 से निपटने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है। संदिग्ध मरीजों की जांच, प्राइवेट लैबों की तैयारी फिर आइसोलेशन बिस्तरों का इंतजाम करने का मामला हो, वह सक्रियता से सहयोगी कर रही है। उसने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को स्ट्रैटजी पेपर भी तैयार करके सौंपा है।

स्टेज-3 को टालना अच्छी रणनीति- रेड्डी

फिक्की की अध्यक्ष डॉ. संगीता रेड्डी ने कहा है कि व्यक्तिगत स्वच्छता के बारे में व्यापक स्तर पर जागरूकता, सांस लेने के सुरक्षित तरीके, सोशल डिस्टेंसिंग और कम्युनिटी ट्रांसमिशन को सीमित करने के लिए स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारियां बेहतरीन रणनीति है। इससे भारत कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज (स्टेज-3) को टालने में सफल हो सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और नीति आयोग के साथ बैठकों में प्राइवेट हेल्थकेयर सेक्टर ने सरकार को इस मुहीम में पूरा सहयोग देने और स्वास्थ्य की बेहतरीन सेवाएं देश भर में साझा करने का आश्वासन दिया है। जागरूकता बढ़ाने, प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी के साथ टेस्टिंग, ट्रेनिंग और ट्रीटमेंट की चार सूत्रीय रणनीति आज समय की सबसे बड़ी मांग है।

सेलिब्रिटीज के जरिये जागरूकता

व्यापक जागरूकता लाने की अहमियत को समझते हुए फिक्की ने फरवरी में ही कई कदम उठाए थे। उसने जागरूकता के संदेशों वाले सेलिब्रिटीज के वीडियो मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर के जरिये जारी करके इस दिशा में काम किया। विश्व व्यापार संगठन ने कोविड-19 को महामारी घोषित कर दिया है। इसके बाद फिक्की ने तमाम संगठनों को इस स्थिति से निपटने के लिए गाइडलाइन तैयार की और इसका प्रचार प्रसार किया।

प्राइवेट लैब भी टेस्टिंग के लिए तैयार

रेड्डी के अनुसार संदिग्ध मरीजों की जांच सबसे अहम रणनीति है। स्वास्थ्य मंत्रालय और आइसीएमआर ने प्राइवेट लैबों को कोविड-19 के टेस्ट करने की अनुमति दी है। फिक्की ने ऐसी प्राइवेट लैबों की सूची तैयार की है जो आइसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार टेस्टिंग कर सकती हैं। फिक्की ने संदिग्ध मरीजों के सेंपल घरों से एकत्रित करने की भी पहल की है। कोविड-19 से निपटने के लिए प्रयासों को तेज करते हुए प्राइवेट अस्पतालों ने अलग बिस्तर निर्धारित किए हैं और अस्पतालों में ऐसे मरीजों से संक्रमण रोकने के लिए अलग से प्रवेश-निकासी की व्यवस्था की गई है।

फिक्की की डब्ल्यूएचओ से अपील

फिक्की ने डब्ल्यूएचओ से देश के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में अपने फील्ड ऑफिसों के जरिये राज्य सरकारों के साथ तालमेल की बेहतरी के लिए मदद करने की अपील की है।

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