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पेट्रोल-डीजल और होंगे महंगे, कच्चा तेल सात साल के उच्चतम स्तर पर

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अभी और बढ़ोतरी के लिए तैयार रहें। इसकी वजह है अंतरराष्ट्रीय बाजार में...
पेट्रोल-डीजल और होंगे महंगे, कच्चा तेल सात साल के उच्चतम स्तर पर

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अभी और बढ़ोतरी के लिए तैयार रहें। इसकी वजह है अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम का बढ़ना। सोमवार को कच्चे तेल की कीमत 7 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। दरअसल तेल उत्पादन करने वाले देशों के संगठन ओपेक प्लस ने फैसला किया है कि कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने उत्पादन में जो कटौती की थी, उसे धीरे-धीरे बढ़ाएंगे। सोमवार को वियना में हुई इन देशों की बैठक में नवंबर में उत्पादन सिर्फ चार लाख बैरल रोजाना बढ़ाने का फैसला किया गया।

सोमवार को न्यूयॉर्क एक्सचेंज में अमेरिकी कच्चा तेल (डब्लूटीआई) 2.32 डॉलर बढ़कर 78.17 डॉलर प्रति बैरल हो गया। यह 2014 के बाद डब्ल्यूटीआई की सबसे अधिक कीमत है। ब्रेंट क्रूड की कीमत 3 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इसकी कीमत 2.8 फ़ीसदी बढ़कर 81.48 डॉलर प्रति बैरल हो गई।

टैक्स कटौती से ही दाम स्थिर रह सकते हैं

पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर रखने के लिए भी सरकार को इन पर टैक्स कम करना पड़ेगा, जिसकी फिलहाल कोई संभावना नहीं दिखती है। घरेलू तेल कंपनियों ने 18 जुलाई से 23 सितंबर तक पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए थे, बल्कि इस दौरान पेट्रोल 65 पैसे और डीजल 1.25 रुपए सस्ता हुआ था। लेकिन पेट्रोल के दाम 28 सितंबर से और डीजल के 24 सितंबर से फिर बढ़ने लगे हैं। उसके बाद से सोमवार तक पेट्रोल 1.25 रुपए और डीजल 2.15 रुपए महंगा हो चुका है।

 भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक

भारत कच्चे तेल के आयात और खपत के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है। देश में कच्चे तेल की जरूरत का 85 फ़ीसदी और प्राकृतिक गैस का लगभग 50 फ़ीसदी आयात किया जाता है। कच्चे तेल से पेट्रोल और डीजल बनता है जबकि प्राकृतिक गैस से वाहनों के लिए सीएनजी बनाई जाती है। इसका इस्तेमाल फैक्ट्रियों में ईंधन के रूप में भी होता है।

ओपेक ने महामारी के कारण घटाया था उत्पादन

पिछले साल महामारी के कारण मांग कम हो जाने की वजह से ओपेक प्लस देशों ने उत्पादन में बड़े पैमाने पर कटौती की थी ताकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम ज्यादा ना घटे। लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं। विश्व अर्थव्यवस्था में तेजी से रिकवरी हो रही है। पेट्रोल और डीजल की मांग तो बढ़ ही रही है, यात्रा प्रतिबंधों में ढील के बाद विमान ईंधन एटीएफ की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने सऊदी अरब के अधिकारियों के साथ बातचीत में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि तेल उत्पादक देशों को विश्व अर्थव्यवस्था की रिकवरी में मदद करनी चाहिए।

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