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पीएमसी बैंक ग्राहकों को झटका, याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने पीएमसी बैंक से नगदी निकालने पर भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से लगाई गई रोक हटाने की मांग...
पीएमसी बैंक ग्राहकों को झटका, याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने पीएमसी बैंक से नगदी निकालने पर भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से लगाई गई रोक हटाने की मांग कर रहे पीएमसी खाताधारकों को झटका दिया है। कोर्ट ने पीएमसी बैंक से नगदी निकालने पर भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से लगाई गई रोक हटाने की मांग कर रहे पीएमसी खाताधारकों की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

पीएमसी मामले में विरोध प्रदर्शन तेज होने के बीच बैंक से संबंधित एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (18 अक्टूबर) को सुनवाई करने पर राजी हुआ था।

खटखटा सकते हैं हाईकोर्ट का दरवाजा

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि हम अनुच्छेद 32 (रिट अधिकार क्षेत्र) के तहत इस याचिका की सुनवाई नहीं करना चाहते। याचिकाकर्ता उचित राहत के लिए संबंधित हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

दिल्ली स्थित बिजोन कुमार मिश्रा ने दायर की यह याचिका

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस स्थिति की गंभीरता से परिचित है और प्रवर्तन निदेशालय दोषी के खिलाफ उचित कार्रवाई कर रहा है। दिल्ली स्थित बिजोन कुमार मिश्रा ने यह याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक को यह निर्देश दिया जाना चाहिए कि राष्ट्रीयकृत बैंकों सहित विभिन्न सहकारी बैंकों में रखी खाताधारकों की खून पसीने की कमाई की पूरी तरह से सुरक्षा और बीमा होना चाहिये। इसके लिये बैंकों में जमा राशि की शत प्रतिशत सुरक्षा के लिए उचित उपाय और बीमा कवरेज सुनश्चित किया जाना चाहिए। याचिका में जमा राशि की निकासी की सीमा तय किए जाने संबंधी रिजर्व बैंक की अधिसूचना को भी निरस्त करने का आग्रह किया गया है।

500 खाताधारकों की ओर से दायर की गई है याचिका

याचिकाकर्ता बेजोन कुमार मिश्रा की ओर से पेश हुए वकील शशांक सुधी ने कहा कि उन्होंने पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी बैंक के 500 खाताधारकों की ओर से याचिका दायर की है जिसमें नकदी निकालने पर आरबीआई की ओर से लगाई रोक को हटाने का अनुरोध किया गया है।

बता दें कि पिछले दिनों कम से कम तीन मौतें हुई हैं जिनका जुड़ाव पीएमसी बैंक से बताया गया है। इसी घटनाक्रम को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

 

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