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जियो पहली बार ग्राहकों से लेगी वॉयस कॉल के पैसे, एयरटेल ने कहा- रेगुलेटर पर दबाव बनाने की कोशिश

रिलायंस जियो के ग्राहकों को पहली बार वॉयस कॉल के पैसे देने पड़ेंगे। कंपनी ने बुधवार को घोषणा की कि जियो...
जियो पहली बार ग्राहकों से लेगी वॉयस कॉल के पैसे, एयरटेल ने कहा- रेगुलेटर पर दबाव बनाने की कोशिश

रिलायंस जियो के ग्राहकों को पहली बार वॉयस कॉल के पैसे देने पड़ेंगे। कंपनी ने बुधवार को घोषणा की कि जियो के नेटवर्क से दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर कॉल के लिए वह प्रति मिनट 6 पैसे शुल्क लेगी। बुधवार से होने वाले सभी रीचार्ज पर जियो यह शुल्क वसूलेगी। यानी पुराने रीचार्ज की वैधता जब तक है, तब तक ग्राहक को यह शुल्क नहीं देना पड़ेगा। इस बीच, प्रतिस्पर्धी कंपनी एयरटेल ने जियो का नाम लिए बिना आरोप लगाया है कि उसने इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज घटवाने के लिए दबाव बनाने के मकसद से यह कदम उठाया है। जिस कंपनी के नेटवर्क से कॉल ओरिजिनेट होती है उसे उस कंपनी को पैसे देने पड़ते हैं, जिसके नेटवर्क पर कॉल जाती है। इसे इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज (आईयूसी) कहते हैं।

वॉयस कॉल पर शुल्क की भरपाई डाटा से 

जियो ने एक बयान में कहा कि प्रति मिनट 6 पैसे का शुल्क तब तक लगता रहेगा जब तक आईयूसी की व्यवस्था लागू रहेगी। जियो का कहना है कि उसे तीन साल में आईयूसी के रूप में एयरटेल, वोडाफोन और दूसरी कंपनियों को 13,500 करोड़ रुपये देने पड़े। इसलिए अब वह शुल्क लगाकर इसकी भरपाई करेगी। हालांकि ग्राहकों को वॉयस कॉल पर शुल्क की भरपाई डाटा से की जाएगी। जियो से जियो नेटवर्क या लैंडलाइन नंबर पर कॉल के पैसे नहीं देने पड़ेंगे। वाट्सएप, फेसटाइम या ऐसे एप के जरिए कॉल के भी पैसे नहीं लगेंगे।

ट्राई ने दिए हैं आईयूसी जारी रखने के संकेत

टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई ने 2017 में आईयूसी 14 पैसे से घटाकर 6 मिनट कर दिया था। तब उसने कहा था कि यह व्यवस्था जनवरी 2020 में खत्म कर दी जाएगी। लेकिन अब इसने एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, जिसमें कहा गया है यह समय सीमा बढ़ाने की समीक्षा की जाएगी।

ट्राई ने समीक्षा की बात स्पष्ट कही थीः एयरटेल

सुनील मित्तल की भारती एयरटेल ने जियो का नाम लिए बिना एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है, “हमारी एक प्रतिस्पर्धी कंपनी ने दूसरे ऑपरेटर के नेटवर्क पर कॉल के लिए प्रति मिनट 6 पैसे शुल्क लगाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि ट्राई ने आईयूसी का मामला दोबारा खोल दिया है, जबकि ट्राई ने 2017 में ही स्पष्ट कहा था कि नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल और ट्रैफिक के आधार पर इसकी समीक्षा की जाएगी। अभी तक टेक्नोलॉजी का पूरी तरह हस्तांतरण नहीं हुआ है। अब भी ग्रामीण इलाकों में 40 करोड़ गरीब हैं जो 2जी का इस्तेमाल करते हैं। वे हर महीने फोन पर 50 रुपये से भी कम खर्च करते हैं। वे 4जी सेवा का खर्च नहीं उठा सकते। 

विवाद की क्या है वजह

जियो ने सितंबर 2016 में जब सेवा शुरू की थी, तब इसकी ग्राहक संख्या एयरटेल और वोडाफोन से कम थी। इसलिए नेट आईयूसी के रूप में इसे एयरटेल और वोडाफोन से पैसे मिलते थे। अब जियो के ग्राहकों की संख्या इनसे अधिक हो गई है, तो इसे दूसरी कंपनियों को आईयूसी देना पड़ रहा है।

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