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एयरटेल-वोडाफोन-आइडिया के पक्ष में लामबंद हुए उद्योग संगठन, वित्त मंत्री को लिखा पत्र

देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के पक्ष में उद्योग संगठन लामबंद हो गए हैं। दो...
एयरटेल-वोडाफोन-आइडिया के पक्ष में लामबंद हुए उद्योग संगठन, वित्त मंत्री को लिखा पत्र

देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के पक्ष में उद्योग संगठन लामबंद हो गए हैं। दो बड़े उद्योग संगठनों सीआईआई और फिक्की ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर टेलीकॉम कंपनियों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई है। इस सेक्टर पर सात लाख करोड़ रुपये के कर्ज का हवाला देते हुए दोनों उद्योग संगठनों के अध्यक्षों ने सरकार से सेक्टर में प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। पत्र में कहा गया है कि टेलीकॉम सेक्टर की बिगड़ती हालत का दूसरे सेक्टर और कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर हो रहा है। इसलिए इस सेक्टर को राहत दी जानी चाहिए। समस्या के समाधान के लिए इन संगठनों ने वित्त मंत्री से मिलने का समय भी मांगा है।

एजीआर की वजह से कंपनियों के अस्तित्व पर खतरा

सीआईआई प्रेसिडेंट विक्रम किर्लोस्कर ने निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा है कि हाल में उठे एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के मुद्दे ने न सिर्फ टेलीकॉम कंपनियों को, टेलीकॉम इकोसिस्टम में शामिल सभी पक्षों को प्रभावित किया है। प्रमुख कंपनियों पर पहले ही काफी आर्थिक बोझ है, अब एजीआर की वजह से उनके अस्तित्व पर खतरा आ गया है। इसलिए सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे इस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बनी रहे और इंफ्रास्ट्रक्चर एवं नई टेक्नोलॉजी में नया निवेश हो सके।

दूसरी इंडस्ट्री पर भी टेलीकॉम सेक्टर का असर

किर्लोस्कर का कहना है कि किसी भी इंडस्ट्री सेक्टर में वाइब्रेंसी के लिए उसमें कई कंपनियों का होना जरूरी है। सीआईआई का तर्क है कि बाकी अर्थव्यवस्था के लिए टेलीकॉम सेवाएं कच्चे माल की तरह हैं। ये सेवाएं दूसरे सेक्टर की उत्पादकता बढ़ाने का काम करती हैं, खासकर डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने वाली नई टेक्नोलॉजी के जरिए।

टेलीकॉम इंडस्ट्री पर सात लाख करोड़ रुपये का कर्ज

फिक्की प्रेसिडेंट संदीप सोमानी ने अपने पत्र में टेलीकॉम सेक्टर के लिए तत्काल राहत के कदम उठाने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि यह सेक्टर सात लाख करोड़ रुपये के कर्ज तले दबा हुआ है और नेटवर्क एवं नई टेक्नोलॉजी में निवेश के लायक इसके पास पैसे नहीं हैं। एजीआर पर सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले का असर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, सैटेलाइट कम्युनिकेशन प्रोवाइडर, केबल ऑपरेटर और यहां तक कि बिजली, स्टील और रेलवे की कंपनियों पर भी होगा।

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलीकॉम मार्केट है। बीबीसी के  230 देशों के एक अध्ययन के अनुसार भारत में मोबाइल डाटा सबसे सस्ता है। यहां इंटरनेट यूजर्स की संख्या 2021 तक 82 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है।

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