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यूपी में आधे से भी कम क्षमता के साथ काम कर रहे उद्योग

लॉकडाउन 3.0 के बीच उत्तर प्रदेश में तकरीबन 9000 उद्योगों में काम चल रहा है लेकिन इनका काम कब तक चलता रहेगा...
यूपी में आधे से भी कम क्षमता के साथ काम कर रहे उद्योग

लॉकडाउन 3.0 के बीच उत्तर प्रदेश में तकरीबन 9000 उद्योगों में काम चल रहा है लेकिन इनका काम कब तक चलता रहेगा इसको लेकर अधिकतर उद्यमी संतुष्ट नहीं हैं। एक साथ कई मोर्चों पर दिक्कतें उन्हें पूरी क्षमता के साथ काम नहीं करने दे रही। कहीं श्रमिकों की उपलब्धता समस्या है तो कहीं लॉकडाउन नियमों के पालन की उलझनें। काम शुरू करने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति अभी भी एक बड़ी समस्या है। मशीनरी आधारित उद्योगों में सबसे बड़ी दिक्कत इस बात है कि अगर उनके सामने मशीन की खराबी की समस्या आई तो उनका काम ठप हो सकता है।

कच्चे माल से लेकर पैकेजिंग की दिक्कतें

नमकीन उद्योग से जुड़ी एक कंपनी के प्रमुख वासुदेव चावला कहते हैं, “हम अपनी पूरी क्षमता का महज 25 से 30 फीसदी उत्पादन कर पा रहे हैं। लेबर की उपलब्धता अभी भी बड़ी समस्या है। जो गांव चले हैं उनका वापस आना मुश्किल हैं। वैसे भी हमें आधे लेबर के साथ काम करने की अनुमति है।” चावला के मुताबिक दिक्कतें और भी हैं। हम अभी निश्चिंत नहीं है कि हमें कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो पाएगा। जब कच्चा माल समाप्त हो जाएगा तो हमारा काम वैसे ही रुक जाएगा। चावला कहते हैं हम पूरी क्षमता से तभी काम कर पाएंगे जब चेन कंप्लीट होगी। यानी कच्चे माल की आपूर्ति, उत्पादन से लेकर पैकेजिंग और सप्लाई से जुड़ी चेन पूरी हुए बगैर व्यवस्था का सामान्य नहीं माना जा सकता। 

लॉकडाउन नियमों की लक्ष्मण रेखा 

एक अन्य उद्योगपति कहते हैं लॉकडाउन नियमों की सख्ती दो मोर्चे पर हमारे लिए परेशानी बन रही है। हमने कुछ कर्मी इसी काम में लगाए हैं कि वे फैक्टरी के भीतर सेनेटाइजेशन से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग पर फोकस करे। इससे प्रोडक्शन के मोर्चे हमारी क्षमता कम हो रही है। मध्य अप्रैल में उद्योग महकमे की ओर से सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजेशन को लेकर सख्ती
और कुछ सुपरवाइजरों के साथ प्रताड़ना की भी शिकायत भी हुई। लेकिन बाद में उद्योग संगठन की पहल के बाद इस स्थिति में सुधार आया है। 

उद्योग पालन कर रहे हैं गाइडलाइन

ज्वायंट कमिश्नर इंडस्ट्री पवन अग्रवाल कहते हैं, “उद्योंगों को गाइडलाइन के तहत काम शुरू करने की इजाजत दी गई है और वे पूरी जिम्मेदारी से इसका पालन भी कर रहे हैं। वक्त की गंभीरता को समझते हुए हम भी उन्हें आत्मानुशासन के साथ काम करने को कह रहे हैं। अभी तक कहीं से भी गाइडलाइन के उल्लंघन की शिकायत नहीं है। जिला स्तर पर डीआईसी को इसकी निगरानी सौंपी गई है।” 

लॉकडाउन ने घटाई मांग

रजत केमिकल उद्योग के मालिक रजत मेहरा कहते हैं। हमारे सामने फिलहाल काम जारी रखने को लेकर कोई अधिक दिक्कत नहीं है। लेकिन लॉकडाउन की वजह से संबंधित उद्योगों का प्रोडक्शन प्रभावित हुआ है और हमारे उत्पादन की मांग घट गई है। हम पोटेशियम कार्बोनेट, कास्टिक सोडा फ्लेक्स और सोडियम क्लोरेट जैसे उत्पाद बनाते हैं जिनकी खपत हार्लिक्स और ऐसे ही उत्पाद बनाने वाली विटामिन इंडस्ट्री में होती है। अगर हमारे उपभोक्ता उद्योग में काम धीमा होगा तो जाहिर है हमारे उत्पाद की मांग पर असर होगा। 

सभी जरूरी सामानों के उत्पादन पर नहीं जोर 

अधिकतर उद्योगों का मानना है कि अभी भी पूरा उद्योग जगत अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करने की स्थिति में नहीं है। जब तक एक समग्र सोच के साथ उद्योगों को सरकार का साथ नहीं मिलेगा उत्पादन के साथ रोजगार भी प्रभावित होगा। खाद्य पदार्थ बनाने वाले एक उद्यमी बताते हैं कि पहले हमें जरूरी सामानों के उद्योग में शामिल ही नहीं किया गया, जबकि सरकार का जनता से वादा है कि जरूरत के सामानों की आपूर्ति प्रभावित नहीं होने दी जाएगी। अगर सभी जरूरी उपभोक्ता उत्पादों का उत्पादन जारी रखना है और उसे पूरी क्षमता के साथ काम करने देना है तो इस दिशा में और भी व्यावहारिक प्रयास करने की जरूरत है।    

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