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नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा, 2014 के बाद देश ने लगाई गलत दिशा में छलांग

नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा...
नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा, 2014 के बाद देश ने लगाई गलत दिशा में छलांग

नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होने के बावजूद 2014 से गलत दिशा में लंबी छलांग लगाई है। उन्होंने कहा कि पीछे जाने के कारण भारत इस क्षेत्र में दूसरा सबसे खराब देश है।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सेन ने कहा, 'चीजें बहुत बुरी तरह खराब हुई हैं, 2014 से इसने गलत दिशा में छलांग लगाई है। हम तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में पीछे की तरफ जा रहे हैं।'

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित इस अर्थशास्त्री ने अपनी किताब 'भारत और उसके विरोधाभास' को जारी करने के अवसर पर रविवार को यह बात कही। यह उनकी किताब 'एन अनसर्टेन ग्लोरी: इंडिया एंड इट्स कंट्राडिक्शन' का हिन्दी संस्करण है। यह किताब उन्होंने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज के साथ लिखी है।

अमर्त्य सेन ने कहा कि बीस साल पहले छह देशों भारत, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान में से भारत का स्थान श्रीलंका के बाद दूसरे सबसे बेहतर देश के रूप में था। उन्होंने कहा, 'अब यह दूसरा सबसे खराब देश है। पाकिस्तान ने हमें सबसे खराब होने से बचा रखा है।'

सेन ने कहा कि सरकार ने असमानता और जाति व्यवस्था के मुद्दों की अनदेखी कर रखी है और अनुसूचित जनजातियों को अलग रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के समूह है जो शौचालय और गंदगी हाथों से साफ करते हैं। उनकी मांग और जरूरतों की अनदेखी की जा रही है।

वहीं, बीजेपी शासित सरकार को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि स्वाधीनता संघर्ष में यह मानना मुश्किल था कि हिंदू पहचान के जरिए राजनीतिक लड़ाई जीती जा सकती है किन्तु अब तस्वीर बदल गई है। उन्होंने कहा, 'किंतु ऐसा हुआ है, यही वजह है कि इस समय विपक्षी एकता का पूरा मुद्दा इतना महत्वपूर्ण है।'

सेन ने कहा, 'यह एक प्रतिष्ठान के खिलाफ अन्य की लड़ाई नहीं है, श्री मोदी बनाम श्री राहुल गांधी की नहीं है, यह मुद्दा है कि भारत क्या है।'

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