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नैनो नाइट्रोजन, जिंक और कॉपर का फील्ड ट्रायल शुरू, 50 फीसदी घटेगी उर्वरकों की खपत

इफको ने आज गुजरात स्थित अपने कलोल प्लांट में नैनो टैक्नोलॉजी आधारित उत्पाद जैसे नैनो नाइट्रोजन, नैनो...
नैनो नाइट्रोजन, जिंक और कॉपर का फील्ड ट्रायल शुरू, 50 फीसदी घटेगी उर्वरकों की खपत

इफको ने आज गुजरात स्थित अपने कलोल प्लांट में नैनो टैक्नोलॉजी आधारित उत्पाद जैसे नैनो नाइट्रोजन, नैनो जिंक और नैनो कॉपर का फील्ड ट्रायल शुरू करने की घोषणा की। इस मौके पर आयोजित समाहोर में केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि इन तीन उत्पादों से मिट्टी, किसान और पर्यावरण को फायदा मिलेगा और परंपरागत उर्वरकों की खपत में 50 प्रतिशत तक की कमी आएगी। इससे निवेश लागत भी कम होगी।

फायदेमंद साबित होंगे इफको के उत्पाद

उन्होंने यह भी कहा कि यद्यपि यह नैनो उत्पादों का ट्रायल है लेकिन मेरा विश्वास है कि ये उत्पाद असरदार सिद्ध होंगे और मैं उम्मीद करता हूँ कि जल्द ही भारत के किसान इनका इस्तेमाल शुरू कर सकेंगे। इससे वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने में मदद मिलेगी।

खेती में इस्तेमाल से ये फायदे मिलेंगे

इफको के प्रबंध निदेशक डा. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि प्रथम चरण में आईसीएआर और कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से नियंत्रित स्थितियों में इनका क्षेत्र परीक्षण किया जाएगा। इस चरण के लिए इफको ने तीन प्रकार के नैनो उत्पाद विकसित किए हैं। पहला इफको नैनो नाइट्रोजन है जिसे यूरिया के विकल्प के रूप में विकसित किया गया है। सही तरीके से प्रयोग करने पर यह यूरिया की खपत को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है। दूसरा उत्पाद इफको नैनो जिंक है जिसे मौजूदा उपलब्ध जिंक उर्वरक के विकल्प के रूप में विकसित किया गया है। इस उत्पाद का केवल 10 ग्राम एक हैक्टेयर भूमि के लिए पर्याप्त है और इससे एनपीके उर्वरक की खपत 50 प्रतिशत तक कम हो जाएगी । तीसरा उत्पाद इफको नैनो कॉपर है जो पौधे को पोषण और सुरक्षा दोनों प्रदान करता है। यह पौधे में हानिकारक कीटों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित करता है। इससे पौधे में ग्रोथ हारमोन की सक्रियता बढ़ती है जिससे पौधे का विकास तेजी से होता है।

किसानों ने भी देखी नई तकनीक

कार्यक्रम में अलग-अलग राज्यों से आमंत्रित 34 प्रगतिशील किसान शामिल हुए। इनमें से कई पद्मश्री से सम्मानित हैं। इन उत्पादों को कलोल स्थित इफको के अत्याधुनिक नैनो बायोटेक्नोलौजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में देसी तकनीक से विकसित किया गया है। नैनो संरचना से निर्मित ये उत्पाद पौधों को असरदार पोषण प्रदान करते हैं।

आधुनिकी प्रौद्योगिकी से ही आएगी हरित क्रांतिः मंत्री

इस अवसर पर पोत परिवहन (स्वतंत्र प्रभार) रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि संसाधनों की कमी तथा उर्वरकों की कम उपयोग दक्षता के कारण किसानों की लागत कई गुना बढ़ गई है। नैनो प्रौद्योगिकी के माध्यम से हम अपेक्षित रासायनिक संरचना के साथ उर्वरक उत्पादन की संभावनाओं और पोषक तत्वों की उपयोग क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं । इससे पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण पर होने वाले कुप्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी। पंचायती राज और कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि भारतीय कृषि में आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाकर ही हरित क्रांति लाई जा सकती है।

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