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कोविड-19 के असर से निर्यात में 34.5 फीसदी की रिकॉर्ड गिरावट, रुपया भी अब तक के निचले स्तर पर

कोविड-19 महामारी के चलते सभी देशों की सीमाएं सील होने का असर भारत के आयात-निर्यात पर दिखने लगा है। मार्च...
कोविड-19 के असर से निर्यात में 34.5 फीसदी की रिकॉर्ड गिरावट, रुपया भी अब तक के निचले स्तर पर

कोविड-19 महामारी के चलते सभी देशों की सीमाएं सील होने का असर भारत के आयात-निर्यात पर दिखने लगा है। मार्च महीने में भारत के निर्यात में 34.57 फ़ीसदी की रिकॉर्ड गिरावट आई है। इससे पहले 2008-09 के आर्थिक संकट के दौरान मार्च 2009 में निर्यात में 33.3 फीसदी की गिरावट आई थी। लेदर, जेम्स एंड ज्वेलरी और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात ज्यादा घटने के चलते पिछले महीने फैक्ट्री में बनी वस्तुओं यानि मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट सिर्फ 21.41 अरब डॉलर का रह गया। यह मार्च 2019 में 32.72 अरब डॉलर था। आयात में भी 28.72 फ़ीसदी की गिरावट आई और यह 31.16 अरब डॉलर का रहा। यह नवंबर 2015 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। तब निर्यात 30.26 फ़ीसदी कम हो गया था। हालांकि आयात और निर्यात दोनों में गिरावट आने से व्यापार घाटा सिर्फ 9.76 अरब डॉलर का रह गया। यह 13 महीने में सबसे कम है। विदेशी निवेशकों के पैसे निकालने और डॉलर मजबूत होने के चलते रुपया भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है जिससे आने वाले दिनों में निर्यात काफी महंगा पड़ सकता है।

तेल एवं सोने के आयात में क्रमशः 15 फ़ीसदी और 62.64 फ़ीसदी की गिरावट आई है। आयरन ओर में 58.43 फ़ीसदी की बढ़त को छोड़कर बाकी 30 में से सभी 29 उत्पाद समूह के निर्यात में गिरावट आई है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है।

सालाना आधार पर भी निर्यात में गिरावट

पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में भी निर्यात 314.31 अरब डॉलर का रहा। इसमें 4.78 फ़ीसदी की कमी आई है। 2011-12 से भारत का निर्यात 300 अरब डॉलर के आसपास बना हुआ है। 2017-18 में निर्यात 330 अरब डॉलर का रहा था। 2018-19 में यह बढ़कर 330.08 अरब डॉलर हो गया था। 2019-20 में आयात भी 9.12 फीसदी घटकर 467.19 अरब डॉलर रह गया।

जून तिमाही में यही ट्रेंड रहने के आसार

वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कोविड-19 संकट के चलते दुनिया भर में आई सुस्ती की वजह से निर्यात में कमी आई है। सप्लाई चेन बाधित हुई हैं और बहुत से निर्यात के ऑर्डर रद्द हो गए हैं। निर्यातकों के संगठन फियो के प्रेसिडेंट शरद कुमार सराफ ने कहा कि आंकड़े उम्मीद के मुताबिक ही हैं क्योंकि मार्च के दूसरे पखवाड़े में लॉकडाउन और ऑर्डर रद्द होने के चलते निर्यात नहीं हो पाया। कोविड-19 के चलते पूरी दुनिया में बिजनेस नहीं के बराबर रह गया है और सभी अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में आ गई हैं। सराफ के अनुसार अप्रैल-जून तिमाही में भी यही ट्रेंड बने रहने के आसार हैं। जुलाई सितंबर तिमाही से स्थिति में कुछ सुधार की उम्मीद है।

डब्ल्यूटीओ के मुताबिक 32 फीसदी तक गिर सकता है विश्व व्यापार

आयात निर्यात के आंकड़े विश्व व्यापार संगठन के अनुमानों के मुताबिक भी हैं। डब्ल्यूटीओ का अनुमान है कि 2020 में कोविड-19 के चलते पूरी दुनिया में बिजनेस गतिविधियां बाधित रहेंगी इसलिए विश्व व्यापार 13 से 32 फ़ीसदी तक गिर सकता है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में सर्विसेज का निर्यात 6.88 फ़ीसदी बढ़कर 17.73 अरब डॉलर का रहा। सर्विसेज के आयात में भी 12.82 फ़ीसदी की बढ़त हुई और कुल 11.07 अरब डॉलर के सर्विसेज का आयात हुआ।

एक डॉलर 76.87 रुपए का हुआ

विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया भी गिरावट का रिकॉर्ड बना रहा है। गुरुवार को इसमें 43 पैसे की गिरावट आई और एक डॉलर 76.87 रुपए का हो गया। बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 76.44 के स्तर पर पहुंच गया था। शेयर बाजार से विदेशी निवेशक लगातार पैसे निकाल रहे हैं। इसके अलावा अमेरिकी डॉलर भी हाल के दिनों में मजबूत हुआ है। दोनों के मिले-जुले असर से रुपए में गिरावट आई है।

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