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पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने नोटबंदी को बताया बड़ा झटका, कहा सख्त था कदम

नोटबंदी के दो साल पूरा होने पर भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन ने इसे...
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने नोटबंदी को बताया बड़ा झटका, कहा सख्त था कदम

नोटबंदी के दो साल पूरा होने पर भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन ने इसे अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका बताते हुए उसकी निंदा की है। उनका कहना है कि नोटबंदी का फैसला एक बड़ा मौद्रिक झटका था, जिससे अर्थव्यवस्था सात तिमाहियों में नीचे खिसककर 6.8 फीसदी पर आ गई। जो नोटबंदी के फैसले से पहले 8 फीसदी थी।

 नोटबंदी के समय देश के सीईए थे अरविंद सुब्रमण्यन

नोटबंदी के दौरान देश के सीईए रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि उनके पास इस तथ्य के अलावा कोई ठोस दृष्टिकोण नहीं है कि औपचारिक सेक्टर में वेल्फेयर कॉस्ट उस वक्त पर्याप्त थी। हालांकि उन्होंने अपनी किताब में इस बात का खुलासा नहीं किया है कि नोटबंदी के फैसले में उनकी सलाह ली गई थी या नहीं। उनकी इस किताब का नाम है, ‘ऑफ काउंसिल: द चैलेंजिस ऑफ मोदी-जेटली इकोनोमी’।

नोटबंदी एक सख्त, बड़ा और मौद्रिक झटका था

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आर्थिक सलाहकार के पद पर चार साल तक रहे सुब्रमण्यन ने कहा, ‘नोटबंदी एक सख्त, बड़ा और मौद्रिक झटका था, जिससे बाजार से 86 फीसदी मुद्रा हटा दी गई। इससे जीडीपी भी प्रभावित हुई। अपनी किताब के चैप्टर द टू पजल्स ऑफ डिमोनेटाइजेशन- पॉलिटिकल एंड इकोनोमिक में उन्होंने लिखा है कि नोटबंदी से पहले 6 तिमाहियों में ग्रोथ औसतन 8 फीसदी थी, जबकि इस फैसले के लागू होने के बाद यह औसतन 6.8 फीसदी रह गई’।

नहीं लगता कि किसी ने नोटबंदी से ग्रोथ पर पड़े असर पर बहस की होगी: अरविंद

पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित अपनी किताब में अरविंद सुब्रमण्यन ने अपने कार्यकाल में हुए कई घटनाक्रमों के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने किताब में लिखा है कि उन्हें नहीं लगता कि किसी ने नोटबंदी से ग्रोथ पर पड़े असर पर बहस की होगी। यह दो या उससे कम फीसदी थी।

सुब्रमण्यन ने आगे कहा, ‘वैसे, इस अवधि में कई अन्य कारकों ने भी वृद्धि को प्रभावित किया है, जिनमें उच्च वास्तविक ब्याज दर, जीएसटी कार्यान्वयन और तेल की कीमतें भी एक कारण हैं’।

8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू

8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू हुई थी। तब 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे और उनके स्थान पर 500 और 2000 के नए नोट जारी हुए थे। लोगों को नोट बदलवाने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ा, बाजार में भी पैसे की कमी हो गई थी।

जल्द ही लॉन्च होने वाली है सुब्रमण्यन की ये किताब

सुब्रमण्यन की ये किताब जल्द ही लांच होने वाली है। फिलहाल वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में अथिति प्राध्यापक और पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनोमिक्स में सीनियर फेलो हैं।

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