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जीडीपी आंकड़ों की टाइमिंग और तरीके पर उठे सवाल, पूर्व सीएसओ ने कहा- साख पर धक्का

मोदी सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर है। मौका है यूपीए सरकार के समय जारी हुए सकल घरेलू उत्पाद...
जीडीपी आंकड़ों की टाइमिंग और तरीके पर उठे सवाल, पूर्व सीएसओ ने कहा- साख पर धक्का

मोदी सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर है। मौका है यूपीए सरकार के समय जारी हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों का संशोधन। बृहस्पतिवार को नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने साल 2011-12 के बेस ईयर पर यूपीए सरकार के समय के जीडीपी आंकड़े जारी किए। इन आकड़ों में ग्रोथ रेट जो कहीं ज्यादा थी, वह गिरकर 1.3 फीसदी कम हो गई। ऐसे में 2019 चुनावों के पहले ये आंकड़े मोदी सरकार के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। यहीं से विवाद शुरू हो गया। यूपीए सरकार के समय वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम नए आंकड़े जारी होने के बाद पूरी तरह से भड़क गए। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘नए संशोधित आंकड़े मजाक हैं। असल में यह बुरे मजाक से भी बदतर है। इन आंकड़ों का उद्देश्य मान सम्मान को धक्का पहुंचाना है।‘

पूर्व सीएसओ ने नीति आयोग पर उठाए सवाल

इस मामले पर भारत सरकार में पूर्व सीएसओ रहे प्रणब सेन ने आउटलुक को बताया कि नीति आयोग द्वारा आंकड़े जारी करना सीएसओ के साख पर सवाल खड़े करता है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि जीडीपी के आंकड़े सीएसओ की जगह किसी और विभाग ने जारी किए हैं। उनके अनुसार जब भी जीडीपी के आंकड़े जारी होते हैं, तो उसके दो घंटे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय को बंद लिफाफे में दिए जाते है। इस तरह की गोपनीयता रखी जाती है। जीडीपी से संबंधित आंकड़ों को जारी करने का काम नीति आयोग का कहीं से नहीं है। ऐसे में यह कदम कई सारे सवाल खड़े करता है। चिदंबरम ने भी कहा अब जब नीति आयोग ने मान सम्मान को धक्का पहुंचाने का काम किया है, तब समय आ गया है कि इस पूरी तरह से बेकार संस्था को बंद कर दिया जाय।

2 साल पहले ही जारी करना था संशोधित आंकड़े

प्रणब सेन के अनुसार बेस ईयर साल 2015 में संशोधित हुआ था। ऐसे में सरकार को उसके 7-8 महीने बाद संशोधित आंकड़ों को जारी कर देना चाहिए था। इस वक्त जारी करने का औचित्य समझ में नहीं आता है। एक बात और इन आंकड़ो में आश्चर्य में डालती है कि जब भी बेस ईयर बदलता है तो स्थिर प्राइस पर ग्रोथ रेट बढ़ती है करंट प्राइस पर घटती है। लेकिन संशोधित आंकड़ों में इसके ठीक उल्टा हुआ है। ऐसा क्यों हुआ यह समझ से परे है। शायद नीति आयोग को पता हो।

कैसे बदले आंकड़े

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा बुधवार को जारी संशोधित आंकड़ों के अनुसार जीडीपी ग्रोथ रेट 2010-11 में 8.5 फीसदी रही थी। जबकि संशोधन के पहले यह दर 10.3 फीसदी थी। इसी तरह 2005-06 और 2006-07 की ग्रोथ रेट 9.3-9.3 से घटकर क्रमश: 7.9 और 8.1 फीसदी हो गई है। इसी तरह 2007-08 की ग्रोथ 9.8 प्रतिशत से घटकर 7.7 फीसदी हो गई है। वहीं 2008-09 की ग्रोथ रेट 3.9 फीसदी से घटकर 3.1 फीसदी हो गई है। इसी तरह 2009-10 8.5 से घटकर 7.9 फीसदी और 2011-12 में 6.6 से घटकर 5.2 फीसदी हो गई है।

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