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एमएसएमई को 9.25 फीसदी ब्याज पर मिलेगा कर्ज, नई योजना को कैबिनेट की मंजूरी

कैबिनेट ने लघु, छोटे और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) को तीन लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त फंडिंग के लिए...
एमएसएमई को 9.25 फीसदी ब्याज पर मिलेगा कर्ज, नई योजना को कैबिनेट की मंजूरी

कैबिनेट ने लघु, छोटे और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) को तीन लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त फंडिंग के लिए इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम को मंजूरी दे दी है। इसके तहत बैंक और वित्त संस्थान कंपनियों को 9.25 फीसदी और एनबीएफसी 14 फीसदी ब्याज पर कर्ज देंगे। कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन से सबसे ज्यादा एमएसएमई कंपनियां ही प्रभावित हुई हैं। इनकी मदद के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते स्कीम की घोषणा की थी। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का हिस्सा है। कैबिनेट ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना प्रधानमंत्री वय वंदना योजना की अवधि मार्च 2023 तक बढ़ा दी है। यह योजना एलआईसी के जरिए लागू की गई है। इसके तहत बुजुर्गों को न्यूनतम पेंशन राशि दी जाती है।

सरकार ने तीन वर्षों के लिए किया 41,600 करोड़ का प्रावधान

इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी कर्ज की 100 फीसदी गारंटी देगी। इसके लिए सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष और अगले तीन वर्षों के लिए 41,600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस स्कीम के तहत एमएसएमई 31 अक्टूबर तक कर्ज ले सकते हैं। हालांकि अगर इस स्कीम के तहत दी गई कुल कर्ज राशि इस तारीख से पहले ही तीन लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई, तो तभी उसे बंद कर दिया जाएगा। देश में 6.3 करोड़ एमएसएमई कंपनियां हैं, इस स्कीम से 45 लाख को फायदा मिलने की उम्मीद है।

कर्ज लेने की ये होंगी शर्तें

जिन कंपनियों का सालाना कारोबार 100 करोड़ रुपये तक है, 29 फरवरी तक जिन पर 25 करोड़ रुपये तक का कर्ज था और जिनके खाते एनपीए घोषित नहीं हुए हैं वे इस स्कीम के तहत कर्ज के लिए आवेदन कर सकती हैं। उन्हें यह कर्ज अतिरिक्त वर्किंग कैपिटल के रूप में मिलेगा। हालांकि नए कर्ज की राशि पुराने बकाया कर्ज के अधिकतम 20 फीसदी तक ही होगी। इस स्कीम के तहत कर्ज चार साल के लिए मिलेगा और एक साल तक मोरेटोरियम की सुविधा मिलेगी। यानी उद्यमी चाहें तो एक साल बाद कर्ज लौटाना शुरू कर सकते हैं।

रेवेन्यू शेयरिंग आधार पर कोल ब्लॉक की नीलामी

वित्त मंत्री ने पिछले सप्ताह रेवेन्यू शेयरिंग आधार पर कोयले के कॉमर्शियल खनन की घोषणा की थी। कैबिनेट ने बुधवार को इसके नियमों को भी मंजूरी दे दी। किसी खदान के लिए बोली लगाने वाली कंपनी को कम से कम चार फीसदी रेवेन्यू सरकार को देना पड़ेगा। इसके बाद 0.5 फीसदी शेयरिंग के आधार पर बोली बढ़ाई जा सकती है। अगर रेवेन्यू शेयरिंग की बोली 10 फीसदी पहुंच गई, तो उसके बाद इसे 0.25 फीसदी के हिसाब से बढ़ाया जा सकेगा। कोयले की बिक्री और इस्तेमाल को लेकर कोई पाबंदी नहीं होगी।

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