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बजट और रेड सूटकेस का है काफी पुराना रिश्ता, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

शुक्रवार यानी 5 जुलाई को देश का बजट 2019 पेश होने जा रहा है। इस दिन आप वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथ...
बजट और रेड सूटकेस का है काफी पुराना रिश्ता, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

शुक्रवार यानी 5 जुलाई को देश का बजट 2019 पेश होने जा रहा है। इस दिन आप वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथ में एक 'ब्रीफकेस' देखेंगे, जिसे लेकर हर साल बजट के दिन वित्त मंत्री संसद पहुंचते हैं। इस साल दूसरी बार यह ब्रीफकेस आपको दिखेगा, क्योंकि चुनाव से पहले सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था।

वास्तव में बजट फ्रांसीसी शब्द ‘बॉगेटी’ से निकला हुआ है, जिसका मतलब लेदर बैग होता है। 1860 में ब्रिटेन के ‘चांसलर ऑफ दी एक्सटचेकर चीफ’ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन फाइनेंशियल पेपर्स के बंडल को लेदर बैग में लेकर आए थे, तभी से यह परंपरा शुरू हो गई थी।

संसद में बजट भाषण से पहले वित्त मंत्री इस ब्रीफकेस के साथ मीडिया के सामने पोज देते नजर आते हैं। इस प्रथा को जारी रखते हुए देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री भी ऐसा कर सकती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि संविधान में 'बजट' शब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया गया है। इसे वार्षिक वित्तीय विवरण कहा गया है।  

कैसे हुई थी इसकी शुरुआत

चूंकि ब्रिटिश संसद को सभी संसदीय परंपराओं की जननी माना जाता है, इसलिए 'बजट' भी इसका अपवाद नहीं है। दरअसल 1733 में जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री (चांसलर ऑफ एक्सचेकर) रॉबर्ट वॉलपोल संसद में देश की माली हालत का लेखाजोखा पेश करने आए, तो अपना भाषण और उससे संबंधित दस्तावेज लैदर के एक बैग (थैले) में रखकर लाए। चमड़े के बैग को फ्रेंच भाषा में ‘बॉगेटी’ कहा जाता है। बस, इसीलिए इस परंपरा को पहले ‘बॉगेटी’ और फिर कालांतर में बजट कहा जाने लगा। जब वित्त मंत्री चमड़े के बैग में दस्तावेज लेकर वार्षिक लेखाजोखा पेश करने सदन में पहुंचता तो सांसद कहते- 'बजट खोलिए, देखें इसमें क्या है।' या 'अब वित्त मंत्री जी अपना बजट खोलें।' इस तरह 'बजट' नामकरण साल दर साल मजबूत होता गया।

अंग्रेजों के जमाने से परंपरा

अंग्रेजों ने इस परंपरा को भारत में भी बढ़ाया जो आज भी जारी है। आजादी के बाद पहले वित्त मंत्री आरके शानमुखम चेट्टी ने 26 जनवरी 1947 को जब पहली बार बजट पेश किया तो लेदर बैग के साथ संसद पहुंचे थे।

आकार वही लेकिन कई बार बदला रंग

इतने सालों में इस बैग का आकार लगभग बराबर ही रहा। हालांकि, इसका रंग कई बार बदला है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 में परिवर्तनकारी बजट पेश किया तो वह काला बैग लेकर पहुंचे थे। जवाहरलाल नेहरू, यशवंत सिन्हा भी काला बैग लेकर बजट पेश करने पहुंचे थे, जबकि प्रणब मुखर्जी लाल ब्रीफकेस के साथ पहुंचे थे। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के हाथों में ब्राउन और रेड ब्रीफकेस दिखा था। इस साल अंतरिम बजट पेश करने वाले कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल लाल ब्रीफकेस के साथ सदन में पहुंचे थे। लेकिन इन सबमें सबसे दिलचस्‍प पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सूटकेस था। यूपीए सरकार के वित्‍त मंत्री के रूप में उन्‍होंने पूरी तरह ग्‍लैडस्‍टन जैसे रेड बजट बॉक्‍स का उपयोग किया था।

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