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भारत की दूसरी तिमारी में 8.4 फीसदी जीडीपी ग्रोथ, अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार

सरकार ने दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। इस, दौरान जीडीपी ग्रोथ 8.4 फीसदी रही...
भारत की दूसरी तिमारी में 8.4 फीसदी जीडीपी ग्रोथ, अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार

सरकार ने दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। इस, दौरान जीडीपी ग्रोथ 8.4 फीसदी रही है। पिछले साल इसी अवधि में भारत की अर्थव्यवस्था 7.4 फीसदी निगेटिव में चली गई थी। कई एजेंसियों की तरफ से अनुमान भी ऐसे ही लगाए जा रहे थे। इस साल की पहली तिमाही यानी अप्रैल 2021 से जून 2021 में भारत की जीडीपी की ग्रोथ में 20.1 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई थी। आठ कोर सेक्टर में विकास दर में इजाफा हुआ है। इनकी विकास दर अक्तूबर में 7.5 फीसदी की गति से आगे बढ़ी है। 

इससे पहले जून तिमाही में भारत की जीडीपी सबसे तेज दर के साथ बढ़ी थी। इस दौरान जीडीपी की 20.1 फीसदी की दर से बढ़ी थी।  अप्रैल-अक्तूबर के दौरान राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य के 36.3 फीसदी पर रहा है। कुल टैक्स रिसिप्ट 10.53 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि कुल खर्च 18.27 लाख करोड़ रुपये रहा है। सरकार ने इस साल राजकोषीय घाटा 6.8 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया था। 

इंडिया रेटिंग्स ने अनुमान लगाया था कि देश की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष की दूसरी जुलाई-सितंबर तिमाही में 8.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि पूरे वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 9.4 प्रतिशत रहेगी। इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि कृषि क्षेत्र की ऊंची वृद्धि की वजह से उपभोक्ता खर्च बढ़ा है जिससे निजी अंतिम उपभोग खर्च में तेजी आई है। एजेंसी ने कहा कि इसका एक अन्य प्रमुख कारण टीकाकरण में लगभग तीन गुना उछाल है, जो अक्टूबर के अंत तक बढ़कर 89.02 करोड़ पर पहुंच गया। जून के अंत तक यह आंकड़ा 33.57 करोड़ था।

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि फॉर्मल सेक्टर कोविड संकट के बाद तेजी से उभरा है, जबकि इस पर महामारी का खासा असर पड़ा था। इसके उत्पादन की प्रकृति बताती है कि यह कम प्रभावित रहेगा। ईसीए ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र पहले से अधिक मजबूत होकर उभरा है और उत्पादन क्षेत्र दिखाता है कि इस दशक में भारत तेज रफ्तार से वृद्धि करेगा। उन्होंने कहा कि साल 2015 से 2019 के बीच कुल उत्पादन लागत, कारोबारी निर्यात और विनिर्मित वस्तुओं के निर्यात में भारत की सकल वार्षिक वृद्धि चीन से अधिक रही है।

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